भारत-चीन की सेनाओं ने जल्द और चरणबद्ध तरीके से तनाव घटाने पर दिया जोर: सूत्र

Ladakh

सूत्रों ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है और इस संदर्भ में कयास आधारित, बिना प्रमाण वाली रिपोर्ट से परहेज करना चाहिए।

नयी दिल्ली। भारत और चीन की सेनाओं ने मंगलवार को करीब 12 घंटे की कमांडर स्तरीय वार्ता में ‘‘प्राथमिकता’’ के साथ ‘‘जल्द, चरणबद्ध और क्रमिक तरीक से’’ पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने पर जोर दिया। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। पूर्वी लद्दाख में सात सप्ताह से दोनों सेनाओं के बीच बढ़े तनाव को खत्म करने के मकसद से कमांडर स्तरीय वार्ता हुई है। सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच 17 जून को बनी सहमति के आधार पर यह फैसला हुआ है। बातचीत में जिम्मेदार तरीके से समग्र हालात से निपटने पर सहमति बनी थी। 

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सूत्रों ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है और इस संदर्भ में कयास आधारित, बिना प्रमाण वाली रिपोर्ट से परहेज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैठक में हुई चर्चा से व्यक्त होता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव घटाने के लिए दोनों पक्ष प्रतिबद्ध हैं। ‘‘आपसी सहमति योग्य समाधान’’ पर पहुंचने के लिए सैन्य, कूटनीतिक स्तर पर और बैठकें होने की संभावना है। मंगलवार की वार्ता में दोनों पक्षों ने छह जून को कोर कमांडर स्तर की पहली वार्ता में पीछे हटने को लेकर बनी सहमति को सच्चे तरीके से लागू करने का संकल्प जताया। सूत्रों के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख के चुशूल सेक्टर में एलएसी के भारतीय हिस्से में यह वार्ता हुई। बैठक दिन में 11 बजे शुरू हुई और करीब 12 घंटे तक चली। बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया जबकि चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिला के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने प्राथमिकता के साथ जल्द, चरणबद्ध और क्रमिक तरीक से तनाव घटाने पर जोर दिया।’’ एलएसी और सीमाई क्षेत्रों में आमने-सामने खड़ी सेनाओं के पीछे हटने तथा तनाव घटाने से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की यह तीसरी बैठक थी। एक सूत्र ने बताया, ‘‘बैठक लंबी चली, कोविड-19 के प्रोटोकॉल के मद्देनजर बिना समय गंवाए प्रभावी तरीके से बैठक हुई। वार्ता एलएसी पर तनाव घटाने के लिए दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता को दिखाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपसी सहमति योग्य समाधान पर पहुंचने तथा द्विपक्षीय संबंधों तथा प्रोटोकॉल के मुताबिक एलएसी पर अमन-चैन सुनिश्चित करने के लिए भविष्य में सैन्य, कूटनीतिक स्तर पर और बैठकें होने की संभावना है।’’ 

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इससे पहले दो दौर की बैठकों में भारतीय पक्ष ने क्षेत्र में विभिन्न स्थानों से तुरंत चीनी सैनिकों के हटने की मांग की थी। पिछले सात हफ्ते से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर गतिरोध गहरा गया है। गलवान घाटी में 15 जून को हिंसक झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद यह तनाव और गहरा गया। चीनी सेना को भी नुकसान हुआ लेकिन उसने कोई जानकारी नहीं दी है। इससे पहले 22 जून को बातचीत में दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले सभी स्थानों से ‘पीछे हटने’ पर सहमति बनी थी। गलवान घाटी की घटना के बाद सरकार ने सैन्य बलों को चीन के किसी भी दुस्साहस का मुहंतोड़ जवाब देने की ‘‘पूरी स्वतंत्रता’’ दे दी है।सेना ने पिछले दो हफ्ते में सीमा के पास अग्रिम स्थानों के लिए हजारों अतिरिक्त जवानों और अन्य उपकरणों को भेजा है।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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