Shaurya Path: Kashmir G20, Russia-Ukraine, CDS US Visit और Pakistan Situation से जुड़े मुद्दों पर Brigadier (R) DS Tripathi से बातचीत

Brigadier DS Tripathi
Prabhasakshi

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि जम्मू के कुछ इलाकों से चरणबद्ध तरीके से सेना की वापसी की योजना सीमा पार से किए जा रहे आतंकवादी हमलों के मद्देनजर ‘अनिश्चितकाल’ के लिए टाल कर सरकार ने सही फैसला किया है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह पाकिस्तान के हालात, रूस-यूक्रेन युद्ध के बदलते समीकरणों, क्वाड मीटिंग रद्द होने और सीडीएस के अमेरिकी दौरे से जुड़े पहुलओं, रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और जम्मू-कश्मीर में जी20 की बैठक से जुड़े मुद्दों तथा जम्मू से सैन्य वापसी की योजना अनिश्चितकाल के लिए टालने से जुड़े फैसलों पर चर्चा की गयी। इन सब मुद्दों पर बातचीत के लिए हमारे साथ हमेशा की तरह मौजूद रहे ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-

प्रश्न-1. सरकार ने जम्मू के कुछ इलाकों से सैन्य वापसी की योजना अनिश्चितकाल के लिए क्यों टाल दी है? साथ ही कश्मीर में जी20 बैठक के लिए नकारात्मक माहौल बनाने में जुटे पाकिस्तान की टूलकिट आखिर है क्या?

उत्तर- जम्मू के कुछ इलाकों से चरणबद्ध तरीके से सेना की वापसी की योजना सीमा पार से किए जा रहे आतंकवादी हमलों के मद्देनजर ‘अनिश्चितकाल’ के लिए टाल दी गई है। दरअसल सरकार ने जम्मू के कुछ इलाकों में सेना के आतंकवाद विरोधी बल ‘राष्ट्रीय राइफल्स’ के जवानों की मौजूदगी घटाने और सुरक्षा व्यवस्था जम्मू-कश्मीर पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों के हाथों में सौंपने की योजना बनाई थी। जम्मू क्षेत्र में सेना के तीन आतंकवाद विरोधी बल (सीआईएफ) हैं, जिनमें डेल्टा फोर्स, रोमियो फोर्स और यूनिफॉर्म फोर्स शामिल हैं। डेल्टा फोर्स डोडा क्षेत्र, रोमियो फोर्स राजौरी और पुंछ क्षेत्र तथा यूनिफॉर्म फोर्स उधमपुर व बनिहाल क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है। सेना की कुछ इकाइयों ने जम्मू क्षेत्र की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी हिस्से में सुरक्षा एवं कानून-व्यवस्था का जिम्मा धीरे-धीरे स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बलों को सौंपने की योजना बनाई थी। हालांकि, हालात को ध्यान में रखते हुए, खासतौर पर आतंकवादियों द्वारा 2023 में की गई हत्याओं को देखते हुए, इस योजना को ‘अनिश्चितकाल’ के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जम्मू क्षेत्र में इस साल आतंकवादियों के हाथों कुल 17 लोगों मारे जा चुके हैं, जिनमें सेना के 10 जवान शामिल हैं। एक जनवरी 2023 को राजौरी के धंगरी गांव में पांच नागरिक आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में मारे गए थे, जबकि दहशतगर्दों द्वारा भागने से पहले वहां छोड़े गए एक आईईडी में अगले दिन विस्फोट होने के कारण दो अन्य लोगों की जान चली गई थी। वहीं, 20 अप्रैल को पुंछ जिले की मेंढर तहसील के भट्टा दुर्रियन में आतंकवादियों ने रमजान के दौरान एक सीमावर्ती गांव में इफ्तार का सामान पहुंचाने जा रहे सेना के एक वाहन को निशाना बनाया था, जिसमें पांच जवान मारे गए थे। इसी तरह, पांच मई को राजौरी के कांडी वन क्षेत्र में आतंकवादियों द्वारा किए गए एक आईईडी विस्फोट में पांच पैरा कमांडो मारे गए थे और मेजर रैंक का एक अधिकारी घायल हो गया था। जम्मू के कुछ इलाकों से सेना को वापस बुलाने के प्रस्ताव पर पिछले कुछ समय से विचार किया जा रहा था और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में एकीकृत मुख्यालय (यूएचक्यू) की ओर से अंतिम सिफारिश की जानी थी। यूएचक्यू में सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के शीर्ष प्रतिनिधि शामिल हैं।

इसके अलावा, कश्मीर में हो रहे तेज विकास और जी20 की बैठक की तैयारियों को देखकर पाकिस्तान हालात बिगाड़ने के प्रयास कर रहा है। साथ ही दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ ऐसे तत्व हैं जो बैठक से पहले माहौल बिगाड़ने के प्रयास में लगे हुए हैं लेकिन भारत ऐसे लोगों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। इसी कड़ी में भारत ने अल्पसंख्यक मामलों के संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत फर्नांड डी वारेनेस की जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के मद्देनजर वहां जी20 की बैठक आयोजित करने पर आपत्ति जताए जाने को ‘‘आधारहीन और अवांछित’’ करार देते हुए उसे सिरे से खारिज कर दिया है। भारत ने इस मुद्दे को गैर जिम्मेदाराना तरीके से राजनीतिक रंग देने के लिए भी वेरेनस को आड़े हाथ लिया है। इसके साथ ही इस समय पूरे कश्मीर को दुल्हन की तरह सजाने के साथ ही सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किये गये हैं। बैठक से पहले या इसके दौरान आतंकवादियों की किसी तरह के हमले की साजिश के बारे में खुफिया जानकारी के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। सीमाओं पर घुसपैठ रोधी ढांचा तैनात किया गया है, वहीं रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में सुरक्षा मजबूत की गयी है। इसके अलावा राजमार्गों, महत्वपूर्ण शहरों और कस्बों में किसी भी तरह की आतंकी हमले की कोशिश को विफल करने के लिए और अधिक जांच चौकियां स्थापित की गयी हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर सेना, सीमा सुरक्षा बल, पुलिस और सीआरपीएफ के साथ ही ग्राम रक्षा समितियों की बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गयी है।

प्रश्न-2. पाकिस्तान में जिस तरह के हालात हैं वह क्या दर्शा रहे हैं? क्या भारत का यह पड़ोसी देश इराक और सीरिया बनने की राह पर बढ़ चला है?

उत्तर- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सत्तारुढ़ गठबंधन पर सेना को उनकी पार्टी के खिलाफ खड़ा करने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा है कि देश तबाही की ओर बढ़ रहा है और उसे विघटन का सामना करना पड़ सकता है। इस आरोप में कहीं ना कहीं दम नजर आता है। इसके अलावा जिस प्रकार इमरान खान को देश छोड़ने या देश में रहने पर मुकदमों का सामना करने और जेल भेजे जाने जैसी चेतावनी दी जा रही है वह दर्शाता है कि इस देश को सीरिया या इराक बनने में देर नहीं लगेगी। लेकिन भारत कतई नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान इराक या सीरिया बने। इमरान खान ने 1971 की परिस्थितियों का जो हवाला दिया है वैसी स्थिति अभी नहीं दिख रही है लेकिन पाकिस्तान में गतिरोध और विरोध बढ़ा तो उस देश के तीन टुकड़े होते देर नहीं लगेगी। दूसरी ओर, इमरान खान को भले विभिन्न अदालतों से जमानत मिल गयी हो लेकिन उनके समर्थकों ने सेना के अधिकारियों और सत्तारुढ़ दल के नेताओं से जुड़े प्रतिष्ठानों पर जिस तरह का हंगामा और तोड़फोड़ किया उससे नाराज सेना और सरकार ने इमरान खान तथा उनके समर्थकों को तगड़ा सबक सिखाने की तैयारी कर ली है। सेना और पाकिस्तान सरकार का रुख देखकर लगता है कि वह किसी भी सूरत में इमरान खान और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बख्शने के मूड़ में नहीं हैं। पाकिस्तान की सेना और सरकार ने इस बात की भी तैयारी कर ली है कि आगे से इमरान खान के समर्थक हंगामा नहीं करें और करें तो उन्हें उनके किये की सख्त सजा तत्काल दी जा सके। इमरान खान के बारे में तो इस प्रकार का भी दावा किया जा रहा है कि सेना की ओर से उन्हें फांसी की सजा या आजीवन कठोर कारावास की सजा दी जायेगी जिसका ऐलान कभी भी हो सकता है। बताया जा रहा है कि अदालतों से इमरान खान को राहत मिलते देख उन्हें सेना कानूनों के तहत सजा दिये जाने का फैसला किया गया है। दूसरी ओर, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया है जिसमें संसद की अवमानना करने के दोषी पाए गए व्यक्तियों को छह महीने तक की जेल या 10 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती हैं।

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प्रश्न-3. रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

उत्तर- मैं शुरू से ही कह रहा हूँ कि यह युद्ध अब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमीर जेलेंस्की के हाथ में नहीं रह गया है। अब जेलेंस्की जी-7 बैठक के दौरान हिरोशिमा भी पहुँच रहे हैं जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनकी मुलाकात होगी। पिछले महीने यूक्रेन विदेश विभाग की उप-मंत्री भी भारत दौरे पर आई थीं। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद मोदी की जेलेंस्की से यह पहली मुलाकात होगी हालांकि दोनों नेताओं के बीच कई मौकों पर फोन पर बात हो चुकी है। दूसरी ओर, विभिन्न देशों में मदद के लिए घूम रहे जेलेंस्की हाल में ब्रिटेन भी होकर आये। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का स्वागत किया और युद्धग्रस्त यूरोपीय राष्ट्र के प्रति अपने समर्थन की पुष्टि की। ब्रिटेन चौथा यूरोपीय देश है जिसकी पिछले कुछ दिन में जेलेंस्की ने यात्रा की है। जर्मनी और इटली की यात्रा के बाद उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मिलने के लिए पेरिस की एक अघोषित यात्रा की थी। जर्मनी और इटली की यात्रा के दौरान उन्होंने देश के वरिष्ठ नेताओं और पोप फ्रांसिस से मुलाकात की थी। ‘डाउनिंग स्ट्रीट’ (ब्रिटेन में प्रधानमंत्री आवास) के अनुसार, जेलेंस्की ने यूरोपीय नेताओं के साथ उनकी बैठकों के बारे में सुनक को जानकारी दी। यह यात्रा आइसलैंड में ‘काउंसिल ऑफ यूरोप समिट’ से पहले हुई। जापान में जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए तोक्यो की यात्रा से पहले सुनक इस सप्ताह आइसलैंड जाएंगे। सुनक ने कहा कि यह, भयावह युद्ध में यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई में एक महत्वपूर्ण क्षण है.. (ऐसा युद्ध) जिसके लिए उन्होंने नहीं उकसाया। उन्हें अंधाधुंध हमलों से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के निरंतर समर्थन की जररूत है जो (हमले) एक वर्ष से अधिक समय से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी की वास्तविकता रहे हैं। सुनक ने कहा कि हमें उन्हें निराश नहीं करना चाहिए। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध की सीमाएं भले ही यूक्रेन तक सीमित हो सकती हैं, लेकिन इसके परिणाम पूरी दुनिया में दिखेंगे। यह सुनिश्चित करना हमारे हित में है कि यूक्रेन सफल हो और पुतिन की बर्बरता नाकाम हो।

प्रश्न-4. क्वॉड शिखर सम्मेलन रद्द हो गया है लेकिन हमारे सीडीएस अमेरिका दौरे पर गये तो उन्होंने क्वॉड देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात की। क्या ऐसे में चीन का यह आरोप सही नहीं लगता कि क्वॉड का गठन सैन्य रूप से चीन को घेरने के लिए किया गया है? साथ ही मिस्र की यात्रा पर गये भारतीय सेनाध्यक्ष की यात्रा को आप कैसे देखते हैं?

उत्तर- अमेरिकी सैन्य प्रमुख के आमंत्रण पर क्वॉड देशों का सैन्य नेतृत्व यदि जुटा है तो रक्षा-सुरक्षा विषयों पर ही बातचीत हुई होगी। वैसे भी क्वॉड देशों को चीन से ही सबसे बड़ा खतरा है इसलिए उससे निबटने की रणनीति बना कर रखना सबके हित में है। जहां तक थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे की मिस्र की यात्रा की बात है तो इसका उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए इस अरब देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ व्यापक वार्ता करना है। सेना ने इस बारे में कहा है कि जनरल पांडे मिस्र के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ, रक्षा मंत्री और मिस्र के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ के साथ बातचीत करेंगे। भारत मिस्र के साथ रणनीतिक संबंधों का विस्तार करने का इच्छुक है, जिसकी अरब जगत के साथ ही अफ्रीका की राजनीति में प्रमुख भूमिका है। इसे अफ्रीका और यूरोप के बाजारों के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार के रूप में भी देखा जाता है। सेना ने कहा है कि थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) मिस्र की यात्रा पर रवाना हुए हैं। यात्रा के दौरान, सेना प्रमुख देश के वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व से मुलाकात करेंगे, जिसमें वह भारत-मिस्र रक्षा संबंधों को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। सेना ने कहा कि सेना प्रमुख मिस्र के सशस्त्र बलों के विभिन्न प्रतिष्ठानों का भी दौरा करेंगे और पारस्परिक हित के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। भारत और मिस्र के सैन्य संबंध और प्रगाढ़ हो रहे हैं और यह 74वें गणतंत्र दिवस परेड के दौरान स्पष्ट हुआ, जिसमें मिस्र के सशस्त्र बलों की टुकड़ी पहली बार शामिल हुई। इस साल गणतंत्र दिवस परेड में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देह फतह अल-सिसी मुख्य अतिथि थे। गौरतलब है कि भारत और मिस्र की सेनाओं ने इस साल जनवरी में अब तक का पहला संयुक्त अभ्यास किया था। सेना ने कहा है कि सीओएएस की यात्रा दोनों सेनाओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करेगी और रणनीतिक मुद्दों पर दोनों देशों के बीच घनिष्ठ समन्वय और सहयोग के लिए एक उत्प्रेरक का कार्य करेगी। हमें यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि मिस्र पहले ही भारत से तेजस हल्के लड़ाकू विमान, रडार, सैन्य हेलीकॉप्टर और अन्य प्लेटफॉर्म खरीदने में दिलचस्पी दिखा चुका है। इसके अलावा, पिछले साल जुलाई में, भारतीय वायुसेना ने मिस्र में तीन सुखोई-30 एमकेआई जेट और दो जी-17 परिवहन विमान के साथ एक महीने के सामरिक नेतृत्व कार्यक्रम में भाग लिया। सितंबर में, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मिस्र की तीन दिवसीय यात्रा की।

जहां तक क्वॉड बैठक रद्द होने की बात है तो आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश को गंभीर आर्थिक संकट से बचाने पर ध्यान केंद्रित करने के मकसद से अपनी ऑस्ट्रेलिया यात्रा को स्थगित कर दिया है और इसलिए सिडनी में प्रस्तावित क्वाड देशों के नेताओं की बैठक रद्द कर दी गई है। बाइडन पापुआ न्यू गिनी के साथ ही ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर जाने वाले थे। बाइडन को देश के इतिहास में पहली बार अमेरिका को ऋण अदायगी से चूकने से बचाने के लिए विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के साथ गहन चर्चा करने की जरूरत है और इसीलिए उन्होंने अपनी आस्ट्रेलिया यात्रा को स्थगित करने का फैसला किया। ऑस्ट्रेलिया में बाइडन क्वाड नेताओं की तीसरी प्रत्यक्ष बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ हिस्सा लेने वाले थे। हालांकि बाइडन जी-7 नेताओं की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जापान के हिरोशिमा पहुँचे हैं जहां उनकी क्वॉड देशों के प्रमुखों के साथ बातचीत होगी।

प्रश्न-5. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पुणे में उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान (डीआईएटी) के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता भारत की सामरिक स्वायत्तता में बाधा बन सकती है। इसके साथ ही उन्होंने उन रक्षा उत्पादों की एक और सूची भी जारी की जिन्हें हम आयात नहीं किया जायेगा बल्कि घरेलू स्तर पर ही उनका निर्माण किया जायेगा। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जरूरी है। राजनाथ सिंह ने पुणे में उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान (डीआईएटी) के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता भारत की सामरिक स्वायत्तता में बाधा बन सकती है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा है कि आत्मनिर्भरता के बिना, हम अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप वैश्विक मुद्दों पर स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते। हम जितना अधिक उपकरण आयात करेंगे, उसका हमारे व्यापार संतुलन पर उतना अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हम शुद्ध आयातक के बजाय शुद्ध निर्यातक बनने का लक्ष्य रखते हैं। इससे न केवल हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता का मतलब दुनिया से अलगाव नहीं है। उन्होंने कहा कि आज, दुनिया एक वैश्विक गांव बन गई है और अलग रहना संभव नहीं है। आत्मनिर्भरता का उद्देश्य अपने मित्र देशों की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करते हुए अपनी क्षमता से आवश्यक उपकरण/प्लेटफॉर्म बनाकर सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करना है। उन्होंने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की बात की, जिसमें सशस्त्र बलों के लिए चार सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की घोषणा शामिल है। इसमें 411 प्रणालियां/उपकरण शामिल हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा नवाचार के क्षेत्र में विशेष जोर दिया जा रहा है, भारत स्टार्ट-अप के लिए दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय को लगातार नवोन्मेषी विचार मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज के पिछले सात संस्करणों में 6,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए, जो इंगित करता है कि भारतीय स्टार्ट-अप रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तलाश में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। अधिक पेटेंट दायर किए जा रहे हैं, जो अभिनव कौशल का संकेत है। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत राइफल, ब्रह्मोस मिसाइल, हल्के लड़ाकू विमान और स्वदेशी विमानवाहक पोत का निर्माण खुद कर रहा है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में रक्षा निर्यात कई गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान लगभग 16,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो 2014 में 900 करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि भारत कई देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है, जिनमें से कई देश की विनिर्माण क्षमताओं में रुचि और विश्वास दिखा रहे हैं। राजनाथ सिंह ने 2047 तक मजबूत, समृद्ध, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए देश की पूरी क्षमता का उपयोग करने का आह्वान किया। रक्षा मंत्री ने अनुसंधान संस्थानों को उन्नत प्रौद्योगिकी में गतिविधियों को गति देने और भारत को साइबर और अंतरिक्ष से संबंधित उभरते खतरों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम बनाने के लिए प्रगति हासिल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और युद्ध के तरीके तेजी से विकसित हो रहे हैं और संपर्क रहित युद्ध से निपटने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति करने की आवश्यकता है, जिसे आज दुनिया पारंपरिक तरीकों के अलावा देख रही है।

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