Shaurya Path: Pakistan Situation, NSA Ajit Doval UAE Visit, India-Israel Relation, China-Canada Standoff, Russia-Ukraine War Updates संबंधी मुद्दों पर Brigadier (R) DS Tripathi से बातचीत

brigadier ds tripathi
Prabhasakshi

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि पाकिस्तान में अब लड़ाई सियासी नहीं रही है बल्कि इसमें सेना भी कूद पड़ी है। इमरान खान और शहबाज शरीफ की पार्टियों के समर्थक ही सरकार पर आपस में नहीं भिड़े हुए हैं बल्कि सेना ने भी इमरान समर्थकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में आप सभी का स्वागत है। आज के कार्यक्रम में हमने बात की पाकिस्तान के हालात की, एनएसए अजित डोभाल की यूएई यात्रा की, भारत-इजराइल संबंधों की, चीन और कनाडा भिड़ंत की और रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात की। इन सब मुद्दों पर बातचीत के लिए हमारे साथ हमेशा की तरह मौजूद रहे ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-

प्रश्न-1. पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी से जो हालात उपजे हैं उस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

उत्तर- इस्लामाबाद उच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को दो सप्ताह के लिए जमानत प्रदान कर दी। इसके अलावा भी उन्हें कई मामलों में जमानत मिल गयी है लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान सरकार उनको जेल के अंदर रखने पर अड़ी हुई है वह दर्शाता है कि पाकिस्तान अराजकता की ओर बढ़ रहा है। शहबाज शरीफ सरकार के चलते ही पाकिस्तान में इमरान खान की लोकप्रियता भी बढ़ती जा रही है। अर्द्धसैनिक रेंजर्स द्वारा इमरान खान की गिरफ्तारी किए जाने के बाद पूरे पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिसके चलते इस्लामाबाद के साथ ही पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में सेना तैनात करनी पड़ी। अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज खान इमरान खान और उनकी पार्टी को ‘झूठा’ करार दे रहे हैं और उन पर नकदी संकट से गुजर रहे देश को ‘विनाश’ की ओर धकेलने का आरोप लगा रहे हैं।

पाकिस्तान में अब लड़ाई सियासी नहीं रही है बल्कि इसमें सेना भी कूद पड़ी है। इमरान खान और शहबाज शरीफ की पार्टियों के समर्थक ही सरकार पर आपस में नहीं भिड़े हुए हैं बल्कि सेना ने भी इमरान समर्थकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिस तरह से लोग एक दूसरे से भिड़ रहे हैं, सेना के अधिकारियों के घरों में लूटपाट और तोड़फोड़ हो रही है, मॉल और बाजार लूटे जा रहे हैं, विपक्षी नेता गिरफ्तार किये जा रहे हैं उस सबसे प्रदर्शित हो रहा है कि पाकिस्तान अब अराजक स्थिति में पहुँच चुका है। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के घर में तोड़फोड़ और आगजनी से यह सवाल भी खड़ा होता है कि जब प्रधानमंत्री का ही घर सुरक्षित नहीं है तो बाकी देश का क्या हाल होगा? इस सबके बीच दुनिया भर के देश पाकिस्तान के हालात पर नजर बनाये हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देश में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर अधिकारियों से उचित प्रक्रिया का सम्मान करने और सभी पक्षों से हिंसा से परहेज करने का आह्वान किया। बताया यह भी जा रहा है कि पाकिस्तान में बिगड़े हालात को देखते हुए पाकिस्तान तहरीक ए तालिबान आतंकी हमलों की संख्या बढ़ाने और सत्ता प्रतिष्ठान पर कब्जा करने की योजना बना रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जैसे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ क्या उसी तरह पाकिस्तान की सत्ता पर भी तालिबान हावी हो जायेगा?

दूसरी ओर, पाकिस्तान में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 300 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार है जब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा इतने निचले स्तर पर पहुंची है। नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उत्पन्न राजनीतिक अशांति के बीच रुपया अबतक के निचले स्तर पर पहुंचा है। देश में अराजक स्थिति के बीच मुद्रा बाजार के साथ-साथ कराची शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिली। पाकिस्तान फॉरेक्स एक्सचेंज एसोसिएशन ने कहा कि यह पहली बार है, जब पाकिस्तानी मुद्रा 300 रुपये प्रति डॉलर को पार कर गयी है। यह बताता है कि हिंसक विरोध प्रदर्शनों का अर्थव्यवस्था पर कितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

प्रश्न-2. एनएसए अजित डोभाल की सऊदी अरब यात्रा का क्या रणनीतिक महत्व है?

उत्तर- इस यात्रा का महत्व व्हाइट हाउस का बयान देखकर पता लग जाता है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने सऊदी अरब में अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि दोनों नेता इस महीने के अंत में ऑस्ट्रेलिया में क्वाड शिखर सम्मेलन से इतर फिर से मिलेंगे। जनवरी में महत्वाकांक्षी ‘इंडिया यूएस आईसीईटी (इनीशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी)’ संवाद शुरू करने के बाद डोभाल और सुलिवन के बीच यह पहली बैठक है। सुलिवन फिलहाल सऊदी अरब की यात्रा पर हैं। व्हाइट हाउस ने बैठक का ब्योरा बताते हुए कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत एवं दुनिया के साथ जुड़े हुए समृद्ध एवं अधिक सुरक्षित पश्चिम एशिया के साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के मद्देनजर सऊदी अरब में सात मई को सऊदी के प्रधानमंत्री और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शेख तहनून बिन जायद अल नहयान और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की।’’

सरकारी सऊदी प्रेस एजेंसी (एसपीए) ने बताया है कि क्राउन प्रिंस ने अबु धाबी के उप शासक शेख तहनून और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल के साथ अलग-अलग बैठक की जिसमें सुलिवन और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने भी हिस्सा लिया। एसपीए की खबर के अनुसार, बैठक में संबंधित देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई, जिससे कि क्षेत्र के विकास और स्थिरता में वृद्धि हो। इस बीच समाचार संस्था ‘एक्जियोस’, जिसका मुख्यालय वर्जीनिया में है, की खबर के अनुसार अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खाड़ी और अरब देशों को रेलवे के एक नेटवर्क के माध्यम से जोड़ने के लिए एक संभावित प्रमुख संयुक्त बुनियादी ढांचा परियोजना पर चर्चा करने वाले हैं जो क्षेत्र में बंदरगाहों से शिपिंग लेन के माध्यम से भारत से भी जुड़ा होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह परियोजना उन प्रमुख पहलों में से एक है जिसे अमेरिका पश्चिम एशिया में आगे बढ़ाना चाहता है क्योंकि इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। पश्चिम एशिया में चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) उसके इसी दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा 2013 में शुरू की गई परियोजना बीआरआई विकास और निवेश पहलों की परियोजना है, जिसमें भौतिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से पूर्वी एशिया और यूरोप को जोड़ने की योजना बनाई गई है, जिससे दुनिया भर में चीन के आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव में काफी वृद्धि हुई है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा था कि यह परियोजना इस यात्रा के दौरान चर्चा वाले कई विषयों में से एक होगी।

प्रश्न-3. इजराइल के विदेश मंत्री की हालिया भारत यात्रा से देश को क्या लाभ हुए?

उत्तर- इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन की भारत यात्रा से द्विपक्षीय सहयोग को और गति मिली है जो वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक इजराइल यात्रा के बाद से गुणात्मक रूप से आगे बढ़ रही है। हालांकि इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन अपनी भारत यात्रा को बीच में ही छोड़कर मंगलवार की रात स्वदेश लौट गए। दरअसल इजराइल में मौजूदा सुरक्षा स्थिति की सूचना मिलने के बाद कोहेन ने अपनी भारत यात्रा की अवधि में कटौती करने का फैसला किया था। लेकिन भारत की एक दिवसीय यात्रा के दौरान कोहेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की तथा विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से विविधि विषयों पर चर्चा की। गौरतलब है कि भारत और इजराइल के बीच संबंधों में पिछले कुछ वर्षो में काफी मजबूती आई है जिसमें खासतौर पर रक्षा, कृषि, जल प्रबंधन जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

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भारत का द्विपक्षीय कारोबार वित्त वर्ष 2021-22 में 7.86 अरब डालर था जो वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 10.12 अरब डालर हो गया। जयशंकर और कोहेन ने सम्पर्क, आवाजाही, अकादमिक एवं वैज्ञानिक शोध, कृषि, जल और कारोबार सहित द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने अपने सहयोग का विविधिकरण करने पर सहमति व्यक्त की। साथ ही उच्च प्रौद्योगिकी, डिजिटल एवं नवाचार क्षेत्र, सम्पर्क, पर्यटन आवागमन, वित्त और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग तथा सूडान, पश्चिम एशिया की स्थिति और रूस-यूक्रेन संघर्ष के बारे में चर्चा करने के साथ आई2यू2 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग में प्रगति की समीक्षा की। आई2यू2 चार देशों का समूह है जिसमें आई2 का आशय भारत और इजराइल तथा यू2 का आशय अमेरिका और यूएई से है। दोनों मंत्रियों ने भारत से निर्माण एवं सेवा कर्मियों को इजराइल में विशिष्ठ श्रमिक बाजार क्षेत्र में अस्थायी रोजगार की सुविधा संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों पक्षों ने आईआईटी रूड़की और आईआईटी मद्रास में जल प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित करने के लिए आशय पत्र पर हस्ताक्षर किये और साथ ही नयी दिल्ली में पूसा स्थित आईसीएआर में कृषि क्षेत्र में उन्नत नवोन्मेष केंद्र स्थापित करने के लिए भी एक अन्य आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए। कोहेन ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से दोनों देशों के बीच रक्षा, सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की।

प्रश्न-4. चीन और कनाडा आजकल आपस में क्यों भिड़े हुए हैं जबकि अमेरिका और चीन संबंध सुधारने की कवायद कर रहे हैं?

उत्तर- चीन ने कनाडा के एक सांसद को कथित रूप से धमकाने के मामले में चीनी राजनयिक के निष्कासन की घोषणा के जवाब में कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने का ऐलान किया है। देखा जाये तो चीन का इरादा ही हो गया है कि हर देश के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करो और विवाद बढ़ाओ। चीन पर आरोप है कि वह कनाडा के चुनावों को भी बाधित कर सकता है। इसके अलावा चीन अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए कनाडा में लोगों को प्रलोभन दे रहा है जोकि वहां की सरकार की पकड़ में आ गया है। जब चीनी दूरसंचार कंपनी हुवावेई को कनाडा ने प्रतिबंधित किया था तभी से दोनों देशों के संबंध खराब होने लग गये थे। जहां तक अमेरिका और चीन के संबंधों की बात है तो उसमें कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं आया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका के चीन के साथ बहुत जटिल और अहम संबंध हैं। ब्लिंकन ने दोनों देशों के बीच संवाद को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि संवाद स्थापित करना और उसे मजूबत करना भारत एवं चीन के हित में है तथा बाकी दुनिया ‘‘हमसे इसकी अपेक्षा करती है।’’

ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हम दोनों देशों (अमेरिका और चीन) के राष्ट्रपतियों ने पिछले साल के अंत में बाली में मुलाकात के दौरान इस बात पर सहमति जताई थी कि हमारे बीच संवाद के माध्यमों को स्थापित और मजबूत करना अहम होगा। हमारा मानना है कि यह हमारे हित में है और शेष दुनिया भी हमसे यही अपेक्षा करती है, क्योंकि हमसे यह उम्मीद की जाती है कि हम अपने संबंधों का जिम्मेदारी से प्रबंधन करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हमारे बीच गहरे मतभेद होने के मद्देनजर हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल इन मतभेदों का प्रबंधन करें, ताकि प्रतिद्वंद्वता संघर्ष में तब्दील न हो, बल्कि उन संभावनाओं का भी प्रबंधन करें, जिनसे दोनों देशों का हित हो, जो दुनिया की जरूरतों को पूरा करें और साथ ही सहयोग के क्षेत्रों को तलाशा जाए।’’ ब्लिंकन ने कहा, ‘‘जब ताइवान जलडमरूमध्य में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने और चीन के साथ सहयोग करने के तरीके खोजने जैसे अहम मामलों की बात की आती है, तो हम बड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। दुनिया भर के लोग बड़ी शक्तियों से यही उम्मीद करते हैं और यह हमारे सामूहिक हित में है।’’ 

प्रश्न-5. विक्ट्री डे परेड में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जो संकल्प व्यक्त किये हैं उसको देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध अब क्या मोड़ ले सकता है?

उत्तर- यह विक्ट्री डे परेड इस बार पहले जैसी रंगत वाली नहीं थी जिससे प्रदर्शित होता है कि रूस का रुतबा कम हुआ है। जहां तक इस युद्ध के भविष्य की बात है तो यह अमेरिका और नाटो के हाथ में चला गया है क्योंकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमीर जेलेंस्की अब सिर्फ दर्शक की भूमिका में हैं। जहां तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बात है तो उन्होंने विक्ट्री डे का स्वरूप छोटा रख कर यह दिखा दिया है कि डर उन्हें भी लगता है। इस बीच, ब्रिटेन ने पुष्टि की कर दी है कि वह रूसी हमले के खिलाफ यूक्रेन की मदद के लिए उसे लंबी दूरी की क्रूज़ मिसाइलें भेज रहा है। ब्रिटिश रक्षा मंत्री बेन वालेस के मुताबिक, ब्रिटेन यूक्रेन को ‘स्टॉर्म शैडो’ मिसाइलें ‘दान’ दे रहा है। ‘स्टॉर्म शैडो’ में लंबी दूरी तक लक्ष्य को भेदने की क्षमता है और इसकी मारक क्षमता 250 किलोमीटर से ज्यादा है। इसे विमान से दागा जा सकता है। ब्रिटेन ने कहा कि इन मिसाइलों की आपूर्ति से यूक्रेन को अपने क्षेत्रों से रूसी सेना को पीछे धकेलने में मदद मिलेगी।

देखा जाये तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की देश में पिछले साल संघर्ष शुरू होने के बाद से ही ऐसे हथियारों की मांग कर रहे थे लेकिन उनके अंतरराष्ट्रीय समर्थक लंबी दूरी के हथियार उन्हें प्रदान करने में संकोच कर रहे थे। उन्हें लग रहा था कि इससे कटुता बढ़ सकती है। लेकिन वालेस ने कहा कि प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने यह फैसला इसलिए लिया, क्योंकि रूस जानबूझकर असैन्य अवसंरचना को निशाना बना रहा है।

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