भारत ने पाक को दिखाया आईना, कहा- मानवाधिकार पर हमें ज्ञान देना बंद करे

जिनेवा। पाकिस्तान को ‘आतंकवाद की घातक पोषण स्थली’ बताते हुए भारत ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर पाकिस्तान द्वारा उठाई गई चिंताओं की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि उसे खुद यह याद रखना चाहिए कि आतंकवाद मानवाधिकार के उल्लंघन का सबसे खतरनाक चेहरा है। मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान द्वारा उठाई गई चिंता पर भारत ने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमल किया और भारत के स्थानी मिशन में प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने कहा कि पिछले सात महीनों से भारत ने जम्मू-कश्मीर में कई लोकतांत्रिक और प्रगतिशील विधायी सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि इस सुधार का लक्ष्य भारत के नागरिकों के संपूर्ण मानवाधिकार को संरक्षण देना है और भारतीय समाज के ताने-बाने को क्षति पहुंचाने की पाकिस्तान की कोशिश को रोकना है।
India asks UN rights body to develop better understanding before jumping to conclusions
— ANI Digital (@ani_digital) February 27, 2020
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आर्यन ने कहा, ‘‘ जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है, अभिन्न अंग है और आगे भी रहेगा और पाकिस्तान को इस पर ललचाना बंद कर देना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को दूसरों को मानवाधिकार पर ज्ञान देना बंद कर देना चाहिए और याद रखना चाहिए कि आतंकवाद मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे भयावह रूप है।
आतंकवाद पर कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर अमेरिका का दबाव बनाये रखना जरूरी: भारत
भारत ने अमेरिका से कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान के साथ शांति समझौते के लिए पाकिस्तान का सहयोग अहम है लेकिन उसे पाकिस्तान पर उसकी सरजमीं से अपनी गतिविधियां चल रहे आतंकवादी नेटवर्क पर कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाये रखना चाहिए। सरकारी सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच भेंटवार्ता के दौरान सीमापार आतंकवाद का खतरा तथा अमेरिका एवं तालिबान के बीच प्रस्तावित शांति समझौते के मुद्दे प्रमुखता से उठे थे।
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भारतीय पक्ष ने अमेरिका से कहा कि अमेरिकी सैनिकों के हटने से आतंकवादी कार्रवाई नहीं बढ़ना चाहिए और अमेरिका को यह ध्यान में रखना चाहिए कि संविधान, महिलाओ और अल्पसंख्यकों के संदर्भ में पिछले 19 सालों में मिली उपलब्धियां धूल न फांकने लगे। लंबी वार्ता के बाद अमेरिका और तालिबान शनिवार को एक शांति समझौते पर दस्तखत करने वाले हैं जिससे अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्यबलों की वापसी होने लगेगी। अमेरिका का मानना है कि अफगानिस्तान में दशकों से जारी लड़ाई की समाप्ति तथा वहां शांति एवं स्थायित्व लाने के लिए पाकिस्तान का सहयोग अहम है।
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