China-Pak के साथ रिश्तों में बढ़े तनाव को देखते हुए SCO शिखर सम्मेलन को लेकर भारत ने अपनाया कड़ा रुख

modi shahbaz jinping
Prabhasakshi

भारत की ओर से जी-20 बैठकों का आयोजन अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में किये जाने पर चीन और पाकिस्तान की ओर से जतायी गयी आपत्तियों को जिस तरह भारत ने खारिज करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी उससे भी संबंधों में तनाव बढ़ा है।

भारत इस समय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता कर रहा है जिसमें सदस्य देशों के बीच साझा हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जा रही है। इसी कड़ी में हाल ही में एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक गोवा में और उससे पहले रक्षा मंत्रियों की बैठक दिल्ली में आयोजित की गयी थी। इन दोनों बैठकों में चीनी मंत्रियों की भागीदारी को देखते हुए माना जा रहा था कि एससीओ वार्षिक शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी आएंगे। भारत सरकार ने उनको न्यौता भी भेज दिया था। इसके अलावा यह भी माना जा रहा था कि एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में जिस तरह पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने हिस्सा लिया था उसी तरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले सकते हैं। लेकिन चीन और पाकिस्तान, दोनों ही देशों के साथ भारत के रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं और चीन के साथ हालिया द्विपक्षीय बैठकों के बावजूद दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध बना हुआ है। इसके अलावा भारत की ओर से जी-20 बैठकों का आयोजन अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में किये जाने पर चीन और पाकिस्तान की ओर से जतायी गयी आपत्तियों को जिस तरह भारत ने खारिज करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी उससे भी संबंधों में तनाव बढ़ा है। यही नहीं, एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री को जिस तरह भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खरी-खरी सुनाई थी उसको लेकर भी पाकिस्तान बुरी तरह चिढ़ा हुआ है। इसके अलावा यूक्रेन के राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया मुलाकात से उपजी परिस्थितियों के बीच माना जा रहा था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शायद तत्काल भारत यात्रा से बचना चाहते थे। इसी बात को देखते हुए एससीओ शिखर सम्मेलन में कई बड़े नेताओं की भागीदारी को लेकर संशय के बादल दिखने लगे थे और आखिरकार आशंकाएं सच साबित हो गयी हैं क्योंकि भारत अब चार जुलाई को डिजिटल तरीके से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने हालांकि शिखर सम्मेलन को डिजिटल तरीके से आयोजित कराने की वजह नहीं बतायी है। अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए, डिजिटल तरीके से शिखर सम्मेलन आयोजित कराने के विकल्प पर चर्चा की गयी और सदस्य देशों से विचार-विमर्श करने के बाद इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया गया। हम आपको बता दें कि पिछले साल एससीओ शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के समरकंद शहर में हुआ थे जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत सभी शीर्ष नेता शामिल हुए थे। भारत ने पिछले साल 16 सितंबर को समरकंद शिखर सम्मेलन में एससीओ की अध्यक्षता संभाली थी।

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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘पहली बार भारत की अध्यक्षता में एससीओ का 22वां शिखर सम्मेलन डिजिटल तरीके से चार जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में होगा।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि एससीओ के सभी सदस्य देशों- चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान को शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘ईरान, बेलारूस और मंगोलिया को पर्यवेक्षक देशों के रूप में आमंत्रित किया गया है। एससीओ की परंपरा के अनुसार, तुर्कमेनिस्तान को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।’’

विदेश मंत्रालय ने बताया कि छह अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के प्रमुखों को भी शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है। इन संगठनों में संयुक्त राष्ट्र, आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संघ), सीआईएस (स्वतंत्र देशों के राष्ट्रमंडल), सीएसटीओ (सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन), ईएईयू (यूरेशियाई आर्थिक संघ) और सीआईसीए (एशिया में सहभागिता और विश्वास निर्माण उपायों पर शिखर सम्मेलन) शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत ने अपनी अध्यक्षता के तहत सहयोग के नए स्तंभ स्थापित किए हैं- स्टार्टअप और नवोन्मेष, पारंपरिक औषधि, डिजिटल समावेशन, युवा सशक्तिकरण और साझा बौद्ध विरासत।’’ 

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