Prabhasakshi NewsRoom: Operation Sindoor War Room की तस्वीर सामने आई, अपनी Drone Power को भी तेजी से बढ़ाने में जुटा है भारत

Operation Sindoor War Room
ANI

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सेना, नौसेना और वायुसेना के समन्वित प्रयासों से भारतीय क्षेत्र से ही अंजाम दिया गया था। रक्षा मंत्रालय ने इस ऑपरेशन को “केंद्रित, नपा तुला और गैर उकसावे वाला बताया था जिसमें जानबूझकर पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाया गया था।

भारतीय सेना ने 7 मई की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ऑपरेशन रूम की एक तस्वीर जारी की है। इस तस्वीर में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह सहित शीर्ष सैन्य अधिकारी ऑपरेशन की निगरानी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। हम आपको याद दिला दें कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoJK में स्थित प्रतिबंधित संगठनों– जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था। यह रणनीतिक सैन्य कार्रवाई पाकिस्तान की सीमा के भीतर चार स्थानों पर और PoJK में पाँच ठिकानों पर की गई थी। यह ऑपरेशन पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मृत्यु के दो सप्ताह बाद किया गया था।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सेना, नौसेना और वायुसेना के समन्वित प्रयासों से भारतीय क्षेत्र से ही अंजाम दिया गया था। रक्षा मंत्रालय ने इस ऑपरेशन को “केंद्रित, नपा तुला और गैर उकसावे वाला बताया था जिसमें जानबूझकर पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाया गया था। हम आपको यह भी बता दें कि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने पहली बार बड़े पैमाने पर एक-दूसरे के खिलाफ ड्रोनों का इस्तेमाल किया था। देखा जाये तो दक्षिण एशिया के इन दोनों परमाणु संपन्न देशों ने पिछले साल रक्षा बजट के तहत 96 अरब डॉलर से अधिक खर्च किया और अब यह ड्रोन हथियार दौड़ में उलझे नजर आ रहे हैं।

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रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब ड्रोन हमलों के प्रयोग के बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि इससे सैनिकों को खतरे में डाले बिना या व्यापक युद्ध किये बिना लक्ष्य को साधा जा सकता है। रिपोर्टों के मुताबिक भारत अगले 12-24 महीनों में ड्रोन पर 470 मिलियन डॉलर तक खर्च करने की योजना बना रहा है। भारत सरकार ने हाल ही में 4.6 अरब डॉलर की आपातकालीन रक्षा खरीद को मंजूरी दी है, जिसका एक हिस्सा ड्रोन युद्ध और निगरानी के लिए खर्च किया जाएगा। आम तौर पर भारत में रक्षा खरीद में वर्षों लगते हैं, लेकिन अब ड्रोन निर्माताओं को अभूतपूर्व गति से परीक्षणों और डेमो के लिए बुलाया जा रहा है।

उधर, पाकिस्तानी वायुसेना अपने उन्नत विमानों को जोखिम में डाले बिना और अधिक ड्रोन प्राप्त करने के प्रयास में है। पाकिस्तान अब चीन और तुर्की के साथ सहयोग बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिससे स्थानीय ड्रोन निर्माण क्षमताएं विकसित की जा सकें। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान का नेशनल एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी पार्क तुर्की की रक्षा कंपनी Baykar के साथ मिलकर YIHA-III ड्रोन स्थानीय रूप से असेंबल कर रहा है। इसके तहत एक ड्रोन 2-3 दिनों में तैयार किया जा सकता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच चले सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने तुर्की निर्मित YIHA-III, Asisguard Songar और घरेलू Shahpar-II UAVs का प्रयोग किया। हालांकि, इन ड्रोनों का बड़ा हिस्सा भारत की एंटी-एयरक्राफ्ट गनों ने गिरा दिया, जिन्हें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा बनाए गए नए रडार और कम्युनिकेशन सिस्टम से जोड़ा गया था। भारत ने इजरायली HAROP, पोलिश WARMATE और घरेलू ड्रोनों को पाकिस्तान में भेजा। ये ड्रोन सटीक हमलों के लिए प्रयोग किए गए। हम आपको बता दें कि HAROP जैसे "सुसाइड ड्रोन्स" लक्ष्य के ऊपर मंडराते रहते हैं और फिर उस पर गिरकर विस्फोट करते हैं।

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