भारतीय मूल की अमिका जॉर्ज की बड़ी उपलब्धि, ब्रिटिश सरकार ने फ्री पीरियड प्रोजेक्ट कैंपेन के लिए MBE से किया सम्मानित
अमिका जॉर्ज को ब्रिटिश सरकार ने फ्री पीरियड प्रोडक्ट के लिए MBE यानि मेंबर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित किया है। वहीं अमिका को इस साल क्वीन्स बर्थडे ऑनर्स के लिए भी चुना गया है। इसके साथ वह इस पुरस्कार को पाने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बन गई हैं।
भारतीय मूल के लोग लगातार अपने हुनर का जलवा विदेशों में दिखा रहे हैं। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है। अब भारतीय मूल की अमिका जॉर्ज को ब्रिटिश सरकार ने एक बड़े पुरस्कार से नवाजा है। अमिका को शिक्षा की लिस्ट में तीसरे सबसे बड़े पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
दरअसल, अमिका जॉर्ज को ब्रिटिश सरकार ने फ्री पीरियड प्रोडक्ट के लिए MBE यानि मेंबर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित किया है। वहीं अमिका को इस साल क्वीन्स बर्थडे ऑनर्स के लिए भी चुना गया है। इसके साथ वह इस पुरस्कार को पाने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बन गई हैं।
युवाओं की आवाज में शक्ति है- अमिका
आपको बता दें कि अमिका ने पीरियड्स से जुड़ी चीजें मुफ्त में लड़कियों को मुहैया करवाने की सरकार से मांग की थी। इस पुरस्कार को पाने के बाद अमिका का कहना है कि मेरे लिए यह दिखाना महत्वपूर्ण है कि युवाओं की आवाज में शक्ति है और जितना हम सोचते हैं उससे कहीं ज्यादा। आपको बता दें कि अमिका कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री की स्टूडेंट हैं। उनके माता-पिता भारत में केरल के रहने वाले हैं।
अमिका कहती हैं कि राजनीतिक क्षेत्रों में अक्सर हमारी अनदेखी की जाती है और MBE बताता है कि धीरे-धीरे हमें हमारे बदलावों के लिए पहचाना जा रहा है जो सरकार को प्रभावित कर सकते हैं। उनका कहना है कि बदलवा वेस्टमिंस्टर, व्हाइट हाउस या भारतीय संसद के अंदर से नहीं किया जाना है, कोई भी बदलाव की योजना बना सकता है।
2017 में शुरु किया फ्री पीरियड प्रोजक्ट कैंपेन
अमिका ने कहा कि मैं चाहती हूं युवा देखें कि हमें पहचाना जा रहा है और अगर हम ऐसी चीजों का सामना करने के लिए तैयार हैं तो हम कुछ बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने 17 साल की उम्र में फ्री पीरियड प्रोजक्ट कैंपेन की शुरुआत की। वह बताती हैं कि वह इस बात से इतना परेशान हुईं कि पीरियड के समय हर महीने कुछ लड़कियां स्कूल से गायब थीं क्योंकि वे इतनी गरीब थीं कि वे पीरियड प्रोडक्ट का खर्च नहीं उठा सकती थीं। इसके लिए अमिका ने एक याचिका दायर की और मंत्रियों के साथ बैठक की थी।
अमिका के इन्हीं सब प्रयासों के बाद यूके सरकार ने 2020 शैक्षणिक संस्थानों को फ्री में पीरियड से जुड़ी तमाम तरह की चीजों के लिए फंड दिया। अमिका कहती हैं कि मेरे परिवार और समुदाय की ओर से मैं ये पुरस्कार स्वीकार करती हूं, जिन्हें दशकों से चुपचाप नस्लवाद को सहन करना पड़ रहा है। वहीं अमिका के माता-पिता भी उनके इस प्रयास से काफी खुश हैं।
अमिका की मां ने जाहिर की खुशी
अमिका की मां निशा कहती हैं कि हम वाकई खुश हैं कि हमने अमिका को पिछले चार सालों में शिक्षाविदों और उसके अभियान के बीच कड़ी मेहनत करते हुए देखा है। वह एक लक्ष्य करना चाहती थीं और हमें खुशी है कि उसे इस तरह से पहचाना गया है। वहीं अमिका कहती हैं कि आज मैं एक युवा ब्रिटिश भारतीय होने पर गर्व महसूस कर रही हूं।
आपको बता दें कि अमिका और उनके भाई का जन्म और पालन-पोषण यूनाइटेड किंगडम में ही हुआ था। वहीं अगर उनके माता-पिता की बात करें तो उनके पिता किशोर पठानमथिट्टा से और मां निशा कोझेनचेरी से हैं।
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