टीवी मीडिया के प्रति कम हो रही विश्वसनीयता पर चिंतन जरूरी

Anchor Ms. Nagma Sahar
दिनेश शुक्ल । Jun 19 2020 9:18PM

टीवी समाचारों में भी लगातार बदलाव आ रहा है। आज के समय में समाचार प्राप्त करने के कई माध्यम मौजूद हैं। मोबाइल तकनीक ने समाचारों के स्त्रोतों को पहले से कई गुना अधिक गति दे दी है। न्यू मीडिया को टेलीविजन मीडिया का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है।

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ में वरिष्ठ टीवी न्यूज एंकर सुश्री नगमा सहर ने कहा कि टीवी मीडिया में विश्वसनीयता का संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पहले की तुलना में अब टीवी समाचारों को और अधिक संदेह से देखा जाने लगा है। इस समस्या से निपटने के लिए मीडिया समूह को चिंतन कर आवश्यक कदम उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि कोविड-19 आपदा के दौरान टीवी मीडिया में वर्चुअल सेट का महत्व बढ़ा है। बिना स्टूडियो में जाए घर से भी काम किया जाना इस माध्यम से संभव हुआ है। 

 

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‘टीवी न्यूज़ का भविष्य’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए पत्रकार सुश्री नगमा सहर ने कहा कि टीवी के भविष्य को जानने के लिए सबसे पहले इसके वर्तमान पर चर्चा आवश्यक है। उन्होंने कहा कि टीवी समाचारों में भी लगातार बदलाव आ रहा है। आज के समय में समाचार प्राप्त करने के कई माध्यम मौजूद हैं। मोबाइल तकनीक ने समाचारों के स्त्रोतों को पहले से कई गुना अधिक गति दे दी है। न्यू मीडिया को टेलीविजन मीडिया का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह भी सच है कि टीवी मीडिया पूरे समाज के लिए आज भी समाचार का सबसे बड़ा जरिया बना हुआ है। ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में टीवी देखने वाले बड़ी तादाद में हैं। इसलिए टीवी को भारत में आम लोगों का माध्यम कहा जा सकता है। एक शोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल के आंकड़े के अनुसार आठ सौ पचास मिलियन लोग तक हिन्दुस्तान में टीवी की पहुंच है और इनमें से ढाई सौ मिलियन लोग हर रोज टीवी देखते हैं। इसके अलावा क्रिकेट मैच या अन्य इंवेट के दौरान ये आंकड़ा 400 मिलियन तक पहुंच जाता हैं। इसलिए टीवी मीडियम और समाचारों को अन्य माध्यमों की तुलना में ताकतवर माध्यम माना जाता है। 

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उन्होंने कहा कि टीवी मीडिया में विश्वसनीयता की बहुत बड़ी समस्या है। टीवी न्यूज बहुत ज्यादा शक्तिशाली इस मायने में है क्यों कि आप तस्वीरों को 24 घंटे देखते-सुनते हैं और इसमें खबरों को कई बार दोहराया भी जाता है, इसलिए पब्लिक ओपिनियन बनाने में ये माध्यम कारगर साबित हो रहा है। यह माध्यम लोगों की भावना को बदल सकता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपयोग भी किया जा सकता है। उन्होंने टीवी का इतिहास बताते हुए कहा कि टीवी तकनीक में एशियाई खेलों के बाद काफी तेजी से बदलाव हुआ, इसके बाद कई चैनल्स आए फिर प्राईवेट चैनल्स के आने के बाद इसमें आमूलचूल बदलाव हुए। 

सुश्री नगमा ने कुंभ सहित कई बड़े इंवेट में अपनी रिपोर्टिंग के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि अब टीवी एंकरिंग और रिपोर्टिंग की तकनीक बहुत बदल गई है। अब मोबाइल तकनीक के माध्यम से टीवी आपके हाथों तक पहुंच गया है। पहले ब्रेकिंग न्यूज हुआ करती थी लेकिन आज के दौर में तो बस ब्रेकिंग न्यूज ही दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने खबरों के मिजाज को बदल कर रख दिया है क्योंकि अब हमारे पास समाचार के कई माध्यम उपलब्ध हैं। इसलिए ताजा खबरें कभी भी मिल जाती हैं। पहले टीवी पर ताजा खबरें केवल प्राइम टाइम में मिला करती थी। 

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उन्होंने मीडिया छात्रों को समझाते हुए कहा कि खबरों के माध्यम से बांटने की नहीं, जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए। उन्होंने रिपोर्टिंग और एंकरिंग के दौरान तटस्थता और निष्पक्षता को जरूरी बताया। उन्होंने युवा पत्रकारों को कहा कि ओपिनियन देने से बचकर खबरें ज्यादा प्रसारित करना चाहिए। जल्दबाजी या हड़बड़ी में खबर को परोसना की बजाय समाचारों का विश्लेषण करके प्रस्तुत करना चाहिए। टीवी के भविष्य पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले समय में टीवी कवरेज की टीम और छोटी होगी। काफी तकनीकी बदलाव आ रहे हैं जिसके चलते अब सारी तकनीक एक फोन और छोटे से बाक्स में आ जाने वाली है। पहले की तुलना में कवरेज आसान हुआ है। टीवी बॉक्स की तुलना में अब लोग मोबाइल पर टीवी का ज्यादा देख रहे हैं।

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