जेटली का 108 कथित अर्थशास्त्रियों पर पलटवार, कहा- उल्टी बात करना इनकी फितरत
इन अर्थशास्त्रियों की दलील को खारिज करते हुए 131 चार्टर्ड एकाउटेंट ने इस बात पर जोर दिया कि भारत उच्च वृद्धि दर के रास्ते पर अग्रसर है और इस चिंता को पूरी तरह खारिज किया कि आर्थिक आंकड़ों में गड़बडी है।
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आर्थिक वृद्धि के आंकड़ों में सरकार के हस्तक्षेप का आरोप लगाने वाले ‘108 कथित अर्थशास्त्रियों’ की मंगलवार को आलोचना की और उनकेको ‘फर्जी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि उल्टी बातें करना इनकी फितरत रही है और ये मौजूदा सरकार के खिलाफ विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक के तहत गढ़े गए ज्ञापनों पर कई बार हस्ताक्षर कर चुके हैं। उल्लेखनीय है कि 108 अर्थशास्त्रियों और समाजिक विज्ञानियों ने पिछले सप्ताह एक साझा पत्र जारी कर देश में सांख्यिकी आंकड़े को प्रभावित करने में राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर चिंता जतायी। इसमें जीन ड्रेज (इलाहबाद विश्वविद्यालय), एमिली ब्रेजा (हार्वर्ड यूनिवर्सिटी), सतीश देशपांडे (दिल्ली विश्वविद्यालय), एस्थर डुफलो (एमआईटी, यूएस) और जयती घोष (जेएनयू) शामिल हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों में संशोधन तथा एनएसएसओ द्वारा रोजगार के आंकड़े रोके जाने के संदर्भ में इन लोगों ने संस्थाओं और सांख्यिकी संगठनों की स्वतंत्रता बहाल करने का आह्वान किया।
Agenda 2019 – Part - 9 : The NDA Government’s Economy Report Card vs. It’s Predecessors https://t.co/7XQAgf5zz8
— Chowkidar Arun Jaitley (@arunjaitley) March 19, 2019
इन अर्थशास्त्रियों की दलील को खारिज करते हुए 131 चार्टर्ड एकाउटेंट ने इस बात पर जोर दिया कि भारत उच्च वृद्धि दर के रास्ते पर अग्रसर है और इस चिंता को पूरी तरह खारिज किया कि आर्थिक आंकड़ों में गड़बडी है। मोदी सरकार की आर्थिक उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए जेटली ने ब्लाग श्रृंखला एजेंडा 2019 के नौवें हिस्से में लिखा है कि आंकड़ों का प्रबंधन करने वाला केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय हमेशा सरकार से दूरी बनाकर रखता है तथा वह पेशेवर तरीके से एवं स्वतंत्र रूप से काम करता है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे आंकड़ों का रखरखाव विश्व में प्रचलित व्यवस्था के अनुरूप है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में विपक्षी नेताओं के साथ यह विडंबना है कि उन्हें विकास और अर्थव्यवस्था की दुनिया की समझ के बजाए राजनीतिक दांव-पेंच और नारेबाजी में महारथ हासिल है।’’ जेटली ने कहा कि मौजूदा सरकार के खिलाफ फर्जी अभियान में से एक आर्थिक आंकड़े पर सवाल है। उन्होंने कहा, ‘‘108 कथित अर्थशास्त्रियों के हाल के बयान के विश्लेषण की जरूरत है। इनमें से अधिकतर ने पिछले कुछ साल से मौजूदा सरकार के खिलाफ राजनीतिक रूप से गढ़े हुए मुद्दों से जुड़े ज्ञापनों पर बार-बार हस्ताक्षर किये हैं। वे हमेशा उल्टी बातें करते हैं।’’
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जेटली ने कहा कि इस बात का विश्लेषण करने की जरूरत है कि अर्थव्यवस्था के संदर्भ में देश आज कहां खड़ा है। आर्थिक मोर्चे पर मौजूदा सरकार और पूर्व सरकारों के काम की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 से 2019 के दौरान पांच साल में जीडीपी वृद्धि दर किसी भी अन्य सरकार की तुलना में सबसे तेज रही। यह समय राजकोषीय मजबूती का रहा है। उन्होंने कहा कि पांच साल में औसत जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रही जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है। वित्त मंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति व्यापक तौर पर नियंत्रण में है और राजकोषीय घाटा धीरे-धीरे कम हो रहा है। इतना ही नहीं जीडीपी अनुपात के रूप में विदेशों से लिये गये कर्ज का प्रतिशत घटा है तथा चालू खाते के घाटे की स्थिति उल्लेखनीय रूप से सुधरी है। उन्होंने रोजगार सृजन को लेकर जारी चिंता को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद है कि दुनिया की तीव्र आर्थिक वृद्धि दर वाली अर्थव्यवस्था तथा 17.1 करोड़ मुद्रा कर्ज से कोई रोजगार सृजित नहीं हुआ।
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