महिला न्यायिक अधिकारी की याचिका पर पुनर्विचार करे झारखंड उच्च न्यायालय: शीर्ष अदालत

Supreme Court
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न्यायालय ने अनुसूचित जाति वर्ग से संबंध रखने वाली अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) स्तर की न्यायिक अधिकारी की याचिका पर संज्ञान लिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें छह महीने की छुट्टी देने से इनकार कर दिया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय से एकल अभिभावक महिला न्यायिक अधिकारी की याचिका पर पुनर्विचार करने को कहा, जिसमें उसने बच्चे की देखभाल के लिए अवकाश देने से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय न्यायिक अधिकारी की याचिका पर, उसकी पिछली याचिका अस्वीकार होने से प्रभावित हुए बिना विचार करे।

झारखंड उच्च न्यायालय के वकील को तीन दिन में निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया गया तथा पीठ ने मामले की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने उच्च न्यायालय के वकील से कहा कि यह उचित होगा कि उच्च न्यायालय इस मुद्दे पर पुनः विचार करे, क्योंकि शीर्ष अदालत के निर्देश एक मिसाल कायम कर सकते हैं। शीर्ष अदालत ने 29 मई को झारखंड सरकार और उच्च न्यायालय रजिस्ट्री से एक एकल अभिभावक महिला न्यायिक अधिकारी की याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें उसके बच्चे की देखभाल के लिए अवकाश देने के अनुरोध को अस्वीकार करने को चुनौती दी गई थी।

न्यायालय ने अनुसूचित जाति वर्ग से संबंध रखने वाली अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) स्तर की न्यायिक अधिकारी की याचिका पर संज्ञान लिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें छह महीने की छुट्टी देने से इनकार कर दिया गया है। न्यायिक अधिकारी ने अपने बच्चे की परीक्षा के मद्देनजर जून से दिसंबर के बीच छुट्टी मांगी थी।

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