जजपा विधायक की धमकी, कहा- कृषि कानून वापस ले अन्यथा हरियाणा सरकार को कीमत चुकानी होगी

JJP MLA

केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए अन्यथा हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन को इसकी ‘‘भारी कीमत’’ चुकानी पड़ सकती है। यह बात मंगलवार को जजपा विधायकों के एक धड़े ने कही।

नयी दिल्ली। केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए अन्यथा हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन को इसकी ‘‘भारी कीमत’’ चुकानी पड़ सकती है। यह बात मंगलवार को जजपा विधायकों के एक धड़े ने कही। जजपा प्रमुख और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से यहां मुलाकात करने के कुछ घंटे पहले विधायकों ने यह दावा किया। चौटाला और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर राष्ट्रीय राजधानी में शाह से मुलाकात करने वाले हैं और उनके साथ भाजपा के राज्य अध्यक्ष ओ. पी. धनखड़ भी रहेंगे।

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भाजपा ने 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में 90 सीटों में से 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी और उसने जननायक जनता पार्टी (जजपा) के दस विधायकों और सात निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई। जजपा विधायक जोगी राम सिहाग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि केंद्र को इन कानूनों को वापस लेना चाहिए क्योंकि हरियाणा, पंजाब और देश के किसान इन कानूनों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम दुष्यंत जी से आग्रह करेंगे कि हमारी भावनाओं से अमित शाह जी को अवगत करा दें।’’ शाह से मुलाकात करने से पहले चौटाला यहां एक फार्म हाउस में अपनी पार्टी के सभी विधायकों के साथ बैठक करेंगे।

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जजपा विधायक राम कुमार गौतम ने कहा, ‘‘हमारा जजपा (की बैठक) से कोई लेना-देना नहीं है... दिल्ली नहीं जा रहे हैं... हरियाणा में तीनों कृषि कानून के खिलाफ भावनाएं हैं और आगामी दिनों में इसकी कीमत सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन को चुकानी होगी।’’ हरियाणा में किसान आंदोलन के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए चौटाला ने यह बैठक बुलाई है ताकि अपने विधायकों को गठबंधन में एकजुट बनाए रख सकें।

पिछले हफ्ते खट्टर करनाल के अपने विधानसभा क्षेत्र में किसानों की रैली को संबोधित नहीं कर सके क्योंकि किसानों ने रैली स्थल पर तोड़फोड़ कर दी। कुछ हफ्ते पहले किसानों ने चौटाला के विधानसभा क्षेत्र हिसार में एक हेलीपैड को खोद डाला। साथ ही निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। हरियाणा और पंजाब सहित देश के विभिन्न हिस्सों के किसान पिछले वर्ष 28 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं और तीनों कानूनों को वापस लेने तथा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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