रोमिला थापर समेत 12 प्रोफेसर एमेरिटस से JNU प्रशासन ने मांगा बायोडाटा, बढ़ा विवाद

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[email protected] । Sep 2 2019 7:32PM

जेएनयू के पूर्व कुलपति दत्ता प्रख्यात आणविक जीवविज्ञानी और शिक्षाविद् हैं। उन्हें 1999 में पद्मश्री और 2008 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और प्रियदर्शनी अवॉर्ड से भी नवाजा गया है।

नयी दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आशीष दत्ता, जाने-माने वैज्ञानिक आर राजारमन और इतिहासकार रोमिला थापर समेत 12 प्रोफेसर एमेरिटस से काम की समीक्षा करने के लिए उनका बायोडाटा मांगा है। प्रोफेसर एमेरिटस एक मानद पद है जो प्रतिष्ठित संकाय सदस्य को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद दिया जाता है। प्रोफेसर एमेरिटस उन विभागों में शैक्षणिक काम करने के लिए स्वतंत्र होते हैं जिससे वे संबंद्ध रहे हैं। साथ में वे नियमित संकाय सदस्यों के साथ एक मूल पर्यवेक्षक के रूप में शोध विद्वानों का पर्यवेक्षण भी कर सकते हैं। प्रोफेसर एमेरिटस के पद पर बने रहने के लिए इतिहासकार थापर का मूल्यांकन करने के लिए उनका बायोडाटा मांगने के जेएनयू प्रशासन के फैसले की विभिन्न तबकों ने आलोचना की है।

बहरहाल, जेएनयू के कुलसचिव (रजिस्टार) ने सोमवार को कहा कि 11 अन्य प्रोफेसर एमेरिटस से भी बायोडाटा देने को कहा गया है। उधर, विवाद बढ़ने पर, सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी स्पष्टीकरण दिया कि जेएनयू ने किसी भी प्रोफेसर एमेरिटस का दर्जा खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। जेएनयू के कुलसचिव प्रमोद कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रोफेसर एचएस गिल, सी के वार्ष्णेय, संजय गुहा, आशीष दत्ता,राजारमन, रोमिला थापर, योगेंद्र सिंह, डी बनर्जी, टीके ओम्मेन, अमित भादुड़ी और शीला भल्ला को भी पत्र भेजे हैं। ये सभी 31 मार्च 2019 से पहले 75 साल के हो गए हैं। उन्होंने कहा कि थापर समेत कुछ ने अपने जवाब दे दिए हैं और जिन्होंने जवाब नहीं दिए हैं, उन्हें स्मरणपत्र भेजे जाएंगे और जब उनके जवाब मिल जाएंगे तो एक समिति उनके बायोडाटा की समीक्षा करेगी। कुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोफेसर एमिरेटस का पद स्थायी नहीं होता है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर एमिरेटस का बायोडाटा मांगने का फैसला विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद का है।

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गौरतलब है कि जेएनयू के पूर्व कुलपति दत्ता प्रख्यात आणविक जीवविज्ञानी और शिक्षाविद् हैं। उन्हें 1999 में पद्मश्री और 2008 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और प्रियदर्शनी अवॉर्ड से भी नवाजा गया है। प्रो राजारमन ने अपनी पीएचडी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हंस बेथ की देखरेख में की थी। बेथ को 1967 में ‘स्टेलर न्यूक्लियोसिंथेसिस’ के सिद्धांत पर काम के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। बायोडाटा के लिए पत्र प्राप्त करने वाले 12 में से एक प्रोफेसर ने इसे ‘हैरान करने वाला’ बताया। प्रोफेसर ने नाम न छापने की गुजारिश पर  कहा, ‘‘मुझे करीब एक महीने पहले पत्र मिला था और यह हैरान करने वाला था लेकिन मैंने इसका जवाब दे दिया है। यह पत्र मिलना काफी हैरान करने वाला था, क्योंकि जब मुझे दर्जा दिया गया था तब इसका पत्र मुझे तत्कालीन कुलपति ने दिया था और कहा था कि यह जीवन भर के लिए दिया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने अन्य स्थानों पर पदों को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि मेरे पास यहां पद है। यह मानद पद है और इसके साथ आर्थिक लाभ नहीं जुड़े हैं।’’ 

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