Kailash Manasarovar Yatra पर जा रहे है तो सबसे पहले ध्यान से पढ़ें विदेश मंत्रालय की ये एडवाइजरी, बेहद जरूरी! 36 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था सिक्किम पहुंचा

Kailash Manasarovar Yatra
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रेनू तिवारी । Jun 16 2025 1:35PM

पांच साल के निलंबन के बाद सिक्किम में नाथुला दर्रे के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा आधिकारिक तौर पर फिर से शुरू हो गई है, जो हिंदू श्रद्धालुओं और भारत-चीन सांस्कृतिक कूटनीति के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।

पांच साल के निलंबन के बाद सिक्किम में नाथुला दर्रे के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा आधिकारिक तौर पर फिर से शुरू हो गई है, जो हिंदू श्रद्धालुओं और भारत-चीन सांस्कृतिक कूटनीति के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 36 तीर्थयात्रियों का पहला समूह सिक्किम की राजधानी गंगटोक पहुंचा है और सोमवार को मौसमी अनुकूलन के लिए ‘17 माइल’ क्षेत्र चला गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि तीर्थयात्री सिक्किम में नाथू ला दर्रे और तिब्बत के शिगात्से शहर से होते हुए कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक पहुंचेंगे।

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 36 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था सिक्किम पहुंचा

एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि 20 जून को तीर्थयात्री भारत-चीन सीमा पार करेंगे। उन्होंने बताया कि यह समूह जिसमें विदेश मंत्रालय के दो अधिकारी भी शामिल हैं रविवार शाम को गंगटोक पहुंचा। पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सी.एस. राव ने बताया कि तीर्थयात्री पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में बागडोगरा हवाई अड्डे पर उतरे और सड़क मार्ग से गंगटोक पहुंचे। उन्होंने बताया कि पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों ने रेनॉक स्थित एक बंगले में उनका स्वागत किया। इस वर्ष यात्रा के लिए 750 भारतीय तीर्थयात्रियों का चयन किया गया है जिनमें से 500 नाथू ला मार्ग से 10 समूहों में और 250 उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे से यात्रा करेंगे। अधिकारी ने बताया, ‘‘ तीर्थयात्रियों का पहला समूह रविवार रात गंगटोक में रुका और सोमवार को यात्रा पर आगे बढ़ा। वे 16 जून को अनुकूलन के लिए ‘17 माइल’ पर रुकेंगे और फिर 20 जून को भारत-चीन सीमा पार करने से पहले सेराथांग जाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी) पूरी यात्रा की जिम्मेदारी संभाल रहा है। उन्होंने कहा कि एसटीडीसी गंगटोक से कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक तथा वापस तीर्थयात्रियों की यात्रा की निगरानी की जिम्मेदारी संभालेगा।

कैलाश मानसरोवर यात्रा

विदेश मंत्रालय हर साल जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गों - लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) के माध्यम से इस कैलाश यात्रा का आयोजन करता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा (केएमवाई) अपने धार्मिक मूल्य और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है। हर साल सैकड़ों लोग इस यात्रा पर जाते हैं। भगवान शिव के निवास के रूप में हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण होने के कारण, यह जैन और बौद्धों के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है। केएमवाई उन पात्र भारतीय नागरिकों के लिए खुला है, जिनके पास वैध भारतीय पासपोर्ट हैं और जो धार्मिक उद्देश्यों के लिए कैलाश-मानसरोवर जाना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय यात्रियों को कोई सब्सिडी या वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करता है।


मानसरोवर जानें से पहले पढ़ ले सरकार की तरफ से जारी ये निर्देश-

यात्रा शुरू करने से पहले यात्रियों को तैयारियों और मेडिकल जांच के लिए दिल्ली में 3 या 4 दिन बिताने होंगे। दिल्ली सरकार यात्रियों के लिए मुफ्त में आम भोजन और आवास की सुविधा की व्यवस्था करती है। यात्री दिल्ली में भोजन और आवास की अपनी व्यवस्था खुद करने के लिए स्वतंत्र हैं।

ऑनलाइन पंजीकरण करने से पहले अपने स्वास्थ्य और फिटनेस की स्थिति का पता लगाने के लिए कुछ बुनियादी जांच कर सकते हैं। हालांकि, यह यात्रा से पहले दिल्ली में डीएचएलआई और आईटीबीपी द्वारा किए जाने वाले मेडिकल परीक्षणों के लिए मान्य नहीं होगा।

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सलाह: यात्रा में 19,500 फीट तक की ऊँचाई पर, खराब मौसम और ऊबड़-खाबड़ इलाकों सहित दुर्गम परिस्थितियों में ट्रेकिंग शामिल है, और यह उन लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है जो शारीरिक और चिकित्सकीय रूप से फिट नहीं हैं। प्रदान किया गया यात्रा कार्यक्रम अस्थायी है और स्थानों की यात्रा किसी भी समय स्थानीय परिस्थितियों के अधीन है। भारत सरकार किसी भी तरह से किसी यात्री की जान या चोट की हानि या किसी प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य कारण से यात्री की संपत्ति को हुए नुकसान या क्षति के लिए जिम्मेदार नहीं होगी।

तीर्थयात्री पूरी तरह से अपनी इच्छा, लागत, जोखिम और परिणामों के आधार पर यात्रा करते हैं। सीमा पार मृत्यु की स्थिति में, सरकार का किसी भी तीर्थयात्री के पार्थिव शरीर को दाह संस्कार के लिए भारतीय सीमा में लाने का कोई दायित्व नहीं होगा। इसलिए, सभी यात्रियों को मृत्यु की स्थिति में चीनी सीमा पर पार्थिव शरीर के दाह संस्कार के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है।

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यह यात्रा उत्तराखंड, दिल्ली और सिक्किम की राज्य सरकारों के सहयोग से आयोजित की जाती है; तथा भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) का सहयोग भी इसमें शामिल है। कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी) तथा उनके संबद्ध संगठन भारत में यात्रियों के प्रत्येक जत्थे के लिए रसद सहायता और सुविधाएं प्रदान करते हैं। दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट इस यात्रा के लिए आवेदकों के फिटनेस स्तर का निर्धारण करने के लिए चिकित्सा परीक्षण करता है।

अस्वीकरण: मंत्रालय ने इस यात्रा के संचालन के लिए किसी भी उद्देश्य या किसी भी तरीके से किसी अन्य गैर सरकारी संगठन, स्वैच्छिक संगठन या व्यक्ति को शामिल नहीं किया है। ऐसे संगठन या व्यक्ति द्वारा संबद्धता का कोई भी दावा उनका अपना है, तथा इस संबंध में विदेश मंत्रालय की कोई जिम्मेदारी नहीं है।

कानूनी: केएमवाई वेबसाइट की सामग्री के प्रति पूर्वाग्रह के बिना, सभी दावे, विवाद और मतभेद केवल दिल्ली की अदालतों के अधिकार क्षेत्र के अधीन होंगे।

मानसरोवर यात्रा के लिए पूरी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें आप वहां पर पूरी एडवाइडरी को देख सकते हैं- https://kmy.gov.in/

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