Kartavyapath : भारत का नया संसद भवन बेहद भव्य और है खास
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इस इमारत का डिजाइन काफी खास है। सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत इस इमारत का निर्माण हुआ है। इस इमारत को वास्तुविद बिमल पटेल द्वारा डिजाइन किया गया है। बता दें कि ये ससंद भवन राष्ट्रपति भवन से 750 मीटर की दूरी पर बना है।
नया संसद भवन देश को समर्पित हो चुका है। इस नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह भव्य रहा था, जिसमें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूजन के बाद इसका उद्घाटन किया था। देश को समर्पित किए गए नए संसद भवन में पूर्व-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके शीर्ष पर नंदी के साथ दीया प्रज्वलित कर सेंगोल को पुष्प अर्पित करने के बाद उसे स्थापित किया। 'सेंगोल' को लोकसभा स्पीकर के आसन के पास लगाया गया। नई दिल्ली में बना नया संसद भवन पुरानी इमारत के ठीक बगल में बना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान संबोधन भी दिया था और कहा कि भारत के इतिहास में ये दिन अमर हो गया है। भारत के लोगों ने अमृत महोत्सव के लिए खुद को उपहार के तौर पर ये संसद दी है। प्रधानमंत्री ने इस गौरवशाली अवसर पर सभी को बधाई दी। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री ने देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि यह केवल एक भवन नहीं है बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। ये विश्व को भारत के दृढ संकल्प का संदेश देता हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। यह स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का जरिया होगा। आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा। इसके जरिए एक विकसित भारत का निर्माण होता देखेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नया भवन प्राचीन और आधुनिक के सह-अस्तित्व का उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने कहा था कि नए मॉडल केवल नए मार्गों पर चलकर ही स्थापित हो सकते है। आज नया भारत नए लक्ष्यों को हासिल कर रहा है और नए मार्गों को प्रशस्त कर रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि नई ऊर्जा, नया जोश, नया उत्साह, नई सोच और एक नई यात्रा है। नई दृष्टि, नई दिशाएं, नए संकल्प और एक नया विश्वास है। प्रधानमंत्री ने पवित्र सेंगोल की स्थापना का उल्लेख किया कि महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को सेवा कर्तव्य और राष्ट्र के पथ के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। राजाजी और अधीनम के मार्गदर्शन में यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का पवित्र प्रतीक बन गया। प्रधानमंत्री ने खास मौके पर आशीर्वाद देने आए अधीनम संतों को नमन किया। उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम इस पवित्र सेंगोल की गरिमा को बहाल कर सके। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन में जब भी कार्यवाही की शुरुआत की जाएगी, सेंगोल हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा। इस भव्य संसद भवन की इमारत बेहद खास है। आइए जानते हें इसकी खासियत
इन इमारतों से घिरी है संसद भवन
बता दें इस इमारत का डिजाइन काफी खास है। सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत इस इमारत का निर्माण हुआ है। इस इमारत को वास्तुविद बिमल पटेल द्वारा डिजाइन किया गया है। बता दें कि ये ससंद भवन राष्ट्रपति भवन से 750 मीटर की दूरी पर बना है। नई संसद भवन के पास ही विजय चौक, इंडिया गेट, नेशनल वार मेमोरियल जैसी ऐतिहासिक इमारते हैं।
विशाल है लोकसभा
इस संसद भवन का पूरा क्षेत्रफल कुल 64500 वर्ग मीटर का है। इस बार बनाए गए नए संसद भवन में कुल 888 सीटें है वहीं राज्यसभा 384 सीटों से युक्त है। वर्तमान में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 250 सीटें है, जिन्हें नई संसद भवन में बढ़ाया गया है। लोकसभा के कक्ष में अधिकतम 1272 सीटें बढ़ाने का भी विकल्प है। संसद का संयुक्त अधिवेश चलाने के लिए भी लोकसभा के कक्ष को तैयार किया गया है।
इस भवन में लोकसभा कक्ष में मोर की थीम और राज्यसभा में कमल की थीम बनाई गई है। दोनों सदनों के एक बैंच पर दो सासंद बैठ सकेंगे। उनके पास डेस्क पर टच स्क्रीन होगी। इस संसद भवन के निर्माण के लिए धौलपुर का बलुआपत्थर, जैसलमैर राजस्थान का ग्रेनाइट, नागपुर की खास लकड़ी का उपयोग कर मुंबई के काष्ठकारों ने लड़की का आकृतियों का आकर दिया है।
वास्तु का भी रखा गया ध्यान
नए संसद भवन का आकार त्रिकोणीय है। इस आकार को कई धर्मों के लिहाज से पवित्र माना गया है। इसके निर्माण में भारतीय संस्कृति के वास्तुशास्त्र का ध्यान रखा गया है। यहां प्रवेश द्वारा, कमरों के आकार और जानवरों की मूर्तियां लगाते समय भी वास्तु का ध्यान रखा गया है।
प्रवेश द्वार भी हैं खास
संसद भवन के तीन प्रवेश द्वार हैं। तीनों द्वारा का उपयोग अलग अलग लोगों द्वारा किया जाएगा। राष्ट्रपति, स्पीकर, प्रधानमंत्री जैसे गणमान्य व्यक्ति विशेष तौर पर आवागमन के लिए अलग द्वार है। जनसामान्य और संसद भवन की सैर करने वाले दर्शकों के लिए अलग द्वार है। सभी प्रवेश द्वारों पर हाथी, घोड़े, चील, हंस, मगर आदि की मूर्ति लगाई गई है।
पर्यावरण के अनुकूल भवन
नए भवन की डिजाइन को पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया है। ग्रीन तकनीक का उपयोग कर इसका निर्माण हुआ है। नई संसद का आकार पुरानी संसद से बड़ा है मगर इसमें बिजली की खपत लगभग 30 प्रतिशत कम होगी। इसमें रेनवाटर हार्वेस्टिंग और वाटर रीसाइक्लिंग सिस्टम लगाए गए है।
भूकंप रोधी है इमारत
इस नई संसद के निर्माण के दौरान इसको भूकंप रोधी भी बनाया गया है। बिल्डिंग कोड को ध्यान में रखते हुए इसे भूकंप रोधी बनाया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली का इलाका सीज्मिक जोन 5 के दायरे में आता है।
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