कश्मीर में अभी भी जनजीवन पटरी पर नहीं लौटा

कश्मीर के कई हिस्सों में अभी भी सामान्य जनजीवन पटरी पर नहीं लौट पाया है। अलगाववादी प्रायोजित हड़ताल के कारण लगातार 88वें दिन भी सामान्य जीवन बाधित रहा।

श्रीनगर। कश्मीर के कई हिस्सों में अभी भी सामान्य जनजीवन पटरी पर नहीं लौट पाया है। अलगाववादी प्रायोजित हड़ताल के कारण लगातार 88वें दिन भी सामान्य जीवन बाधित रहा लेकिन लगभग तीन महीने की अशांति के बाद लोग अपने रोजमर्रा की गतिविधियों को वापस रास्ते पर लाने की कोशिश में हैं। अधिकारी ने बताया कि कई सड़क विक्रेताओं ने फल, सब्जी, ताजा जूस, चाय और स्नैक्स बेचने के लिए अपने स्टॉल टीआरसी चौक के आस पास लगाए और दिन भर अपनी व्यापारिक गतिविधियां जारी रखीं।

ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के सिविल लाइन वाले इलाके में कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोली। इसके अलावा शहर के बाहर की भी कुछ दुकानें खुलीं। अधिकारियों ने बताया कि व्यापारिक केंद्र लाल चौक सहित शहर के कई इलाकों में बस को छोड़कर निजी और सार्वजनिक वाहनों की आवाजाही में वृद्धि हुई है। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने लोगों की आवाजाही पर कहीं भी रोक नहीं लगाई हुई है। लोगों को सुरक्षित महसूस कराने के लिए बाजारों और कई स्थानों पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ताकि लोग बिना किसी डर के अपना कामकाज कर सकें। उन्होंने बताया कि हर दिन कश्मीर की स्थिति बेहतर हो रही है।

हालांकि घाटी के जिला मुख्यालयों और कस्बों सहित कई इलाकों में अलगाववादी प्रायोजित बंद के कारण 88वें दिन भी जनजीवन प्रभावित रहा। इन क्षेत्रों की ज्यादातर दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद ही रहे। अधिकारियों के मुताबिक हड़ताल के कारण अभी भी छात्र स्कूल नहीं जा रहे हैं। ज्यादातर जगहों पर सरकारी संस्थान खुले हुए हैं और शिक्षक ड्यूटी पर मौजूद भी हैं। सरकारी दफ्तरों और बैंकों में भी आनेवालों की संख्या में सुधार हो रहा है। हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के एक दिन बाद से ही लगातार सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष चल रहा था, जिसमें दो पुलिस वाले सहित 83 लोगों की मौतें हो चुकी हैं और करीब एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

Disclaimer:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


अन्य न्यूज़