कड़ी सुरक्षा के बीच कश्मीरी पंडितों ने वार्षिक खीर भवानी मेले में पूजा अर्चना की

Kheer Bhavani fair
Prabhasakshi

ऐसा माना जाता है कि मंदिर के नीचे बहने वाले पवित्र झरने का रंग घाटी की स्थिति का संकेत देता है। अधिकांश रंगों का कोई विशेष महत्व नहीं है, लेकिन पानी का काला या गहरा रंग कश्मीर के लिए अशुभ समय का संकेत माना जाता है।

श्रीनगर। कश्मीर घाटी में इस बार वार्षिक खीर भवानी मेले में कड़ी सुरक्षा के बीच सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने गांदेरबल में प्रसिद्ध राज्ञा देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की। हम आपको बता दें कि कोविड-19 महामारी के चलते दो सालों के अंतराल के बाद इस बार मेले का आयोजन किया गया। कश्मीर घाटी में हालिया टार्गेट किलिंग की घटनाओं को चलते इस बार पहले की तुलना में श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। हम आपको बता दें कि खीर भवानी मंदिर मध्य कश्मीर में गांदेरबल जिले के तुलमुल गांव में चिनार के पेड़ों के बीच स्थित है। यहां कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र से कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। नंगे पांव श्रद्धालु गुलाब की पंखुड़ियां लेकर मंदिर पहुंचते हैं तथा उन्हें राज्ञा देवी को चढ़ाते हैं। मंदिर परिसर में मंत्रोच्चारण चलता रहता है। श्रद्धालु दूध और खीर भी चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के नीचे बहने वाले पवित्र झरने का रंग घाटी की स्थिति का संकेत देता है। अधिकांश रंगों का कोई विशेष महत्व नहीं है, लेकिन पानी का काला या गहरा रंग कश्मीर के लिए अशुभ समय का संकेत माना जाता है। इस वर्ष मंदिर परिसर में पानी का रंग ‘साफ और दूधिया सफेद है’, जिसको देखते हुए उम्मीद है कि आने वाला समय कश्मीर घाटी के लिए अच्छा होगा।

प्रभासाक्षी संवाददाता ने वार्षिक खीर भवानी मेले के दौरान यहां आये श्रद्धालुओं से बातचीत की तो कई लोगों ने यह कहा कि इस बार ज्यादा श्रद्धालु नहीं आये जिससे हम मायूस हैं। दरअसल हालिया कुछ घटनाओं के बाद प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरी कर रहे कर्मचारी भी सुरक्षित स्थानों पर चले गये हैं और इस बार मेले में बाहर से ज्यादा लोग डर के चलते आये नहीं। मीनाक्षी नामक एक श्रद्धालु ने कहा, ‘‘पिछले सालों की तुलना में इस साल त्योहार भिन्न रहा। उल्लास गायब रहा। यह पीड़ाजनक है। हमें यह देख बड़ा दुख हुआ कि इस साल श्रद्धालु बहुत कम रहे।’’ उन्होंने कहा कि वैसे तो पहले से ही आतंकवाद प्रभावित कश्मीर में डर का माहौल था लेकिन पिछले दो-तीन महीने से ‘हत्याओं की वजह से भय और बढ़ गया है।’’ उन्होंने कहा, ''हम (कश्मीरी पंडित) भयभीत हैं।’’

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उल्लेखनीय है कि कश्मीर में हाल के महीनों में प्रवासी कश्मीरी सरकारी कर्मचारियों समेत गैर-मुसलमानों की आतंकवादियों द्वारा हत्या किए जाने के कारण एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों के घाटी छोड़कर जाने की आशंका बढ़ गई है। मध्य कश्मीर के चडूरा इलाके में आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी प्रवासी कर्मचारी राहुल भट की हत्या कर दिये जाने बाद 12 मई से पंडित समुदाय विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन कर रहा है।

इस बीच, जम्मू में हजारों कश्मीरी पंडित माता राज्ञा भगवती के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए माता खीर भवानी के प्रतिकृति मंदिरों में गये। अतीत के विपरीत जम्मू के भवानी नगर और जागती शिविर में प्रतिकृति भवानी मंदिरों में भारी भीड़ रही, क्योंकि जम्मू में रह रहे कश्मीरी पंडित आतंकवादियों द्वारा चुनिंदा रूप से हत्याएं करने के चलते कश्मीर के तुलमुल गांव नहीं गये। मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य सुशील वाटाल ने कहा, ''भवानी नगर में हजारों कश्मीरी पंडित माता खीर भवानी मंदिर में आये। भीड़ को संभालना मुश्किल था।’’ उनके अनुसार करीब 30000 श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचे। टाउनशिप जागती कैंप में सैंकड़ों कश्मीरी पंडित मात खीर भवानी मंदिर गये और माता की पूजा-अर्चना की। जागती के निवासी साहिल पंडित ने कहा कि तुलमुल में राज्ञा मंदिर में दर्शन के लिए 10000 से अधिक हिंदू कश्मीर जाते थे लेकिन इस बार कश्मीरी पंडितों की चुनिंदा ढंग से हत्याओं के मद्देनजर जागती से बस 250 श्रद्धालु ही घाटी गये।

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