किसान आंदोलन के बीच भाजपा ने करनाल सांसद को पश्चिमी यूपी का चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दी बड़ी जिम्मेदारी

संजय भाटिया
Rajeev Sharma । Sep 9 2021 10:36AM

संजय भाटिया ने मंगलवार को भिवानी में किसानों के हक में एक बड़ा बयान दिया। भिवानी में आयोजन के दौरान उन्होंने कहा कि किसान कृषि कानूनों में कहां गलती है बताएं, सरकार उन गलतियों को सही करेगी। सरकार किसानों से बात करने को तैयार है। संजय भाटिया का यह बयान वेस्ट यूपी में किसानों को साधने में दवा का काम करेगा।

देश में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में पश्चिमी यूपी के किसानों की अहम भूमिका है। राकेश टिकैत के साथ संयुक्त किसान मोर्चा के 40 घटकों में वेस्ट यूपी के किसान नेता सबसे ज्यादा हैं। मुजफ्फरनगर महापंचायत से आंदोलन को नई लीड मिली है। गाजीपुर बॉर्डर पर 9 महीने से चालू आंदोलन में बड़ी तादात में वेस्ट यूपी के किसान हैं। करनाल में 7 सितंबर की पंचायत में वेस्ट यूपी के किसान भारी संख्या में पहुंचे। पिछले दिनों दिल्ली में सरकार के खिलाफ हुए आंदोलन में आगरा, अलीगढ से लेकर मुरादाबाद के किसान बहुतायत में रहे। इनसे हटकर पश्चिमी यूपी में तमाम छोटी पंचायतें लग रही हैं। वेस्ट यूपी के 5 टोल प्लाजाओं पर पिछले 2 महीने से किसान बैठे हैं।

किसान महापंचायत के बाद किसानों के बगावती तेवरों को बल मिला है। 5 को मुजफ्फरनगर और 7 सितंबर को किसानों ने करनाल में बड़ी पंचायतें हुई हैं। करनाल में किसानों के साथ हुए दुर्व्यवहार के बाद किसानों को शांत करना भाजपा सरकार के लिए आसान नजर नहीं आ रहा। किसान आंदोलन की इस आग को शांत करने के लिए भाजपा ने बड़ा दाव खेला है।

भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए करनाल-पानीपत लोकसभा सीट से सांसद संजय भाटिया को पश्चिमी यूपी में प्रभारी नियुक्त किया है। संजय भाटिया को वेस्ट यूपी की कमान देकर पार्टी ने किसानों के साधने का प्रयास किया है।

संजय भाटिया ने मंगलवार को भिवानी में किसानों के हक में एक बड़ा बयान दिया। भिवानी में आयोजन के दौरान उन्होंने कहा कि किसान कृषि कानूनों में कहां गलती है बताएं, सरकार उन गलतियों को सही करेगी। सरकार किसानों से बात करने को तैयार है। संजय भाटिया का यह बयान वेस्ट यूपी में किसानों को साधने में दवा का काम करेगा। पंजाबी बिरादर के संजय भाटिया साफ छवि के नेता माने जाते हैं।

भाजपा पश्चिम क्षेत्र के अनुसार वेस्ट यूपी में 14 जिलों की 71 विधानसभा सीटें हैं। यहां मेरठ, शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, संभल, अमरोहा, मुरादाबाद, हापुड़, रामपुर, बुलंदशहर सभी जिलों में बड़ी तादात में किसान हैं। इन सभी जिलों में किसानों का वोट यूपी में किसी भी दल की जीत के लिए मायने रखता है। गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में संपन्न किसानों की संख्या काफी है। यहां गुर्जर वोट काफी है।

बताते चलें कि 2022 की शुरुआत में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। पंजाब के अलावा अन्य सभी राज्यों में अभी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन, कोरोना और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों की तरफ से बीजेपी को लगातार घेरने की योजना बनायी जा रही है।

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