मानहानि केस में बरी होने के बाद जानिए क्या बोलीं प्रिया रमानी

Priya Ramani

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रमानी ने कहा कि उन्हें अच्छा लग रहा कि अदालत के सामने उनका सच सही साबित हुआ। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने अकबर की शिकायत यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके (रमानी के) खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं किया जा सका।

नयी दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा दर्ज कराए गए आपराधिक मानहानि मामले में दिल्ली की एक अदालत द्वारा बरी की गयीं पत्रकार प्रिया रमानी ने कहा कि उन्हें लगता है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाली सभी महिलाओं की तरफ से इस फैसले के माध्यम सेउनका रुख सही साबित हुआ। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रमानी ने कहा कि उन्हें अच्छा लग रहा कि अदालत के सामने उनका सच सही साबित हुआ। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने अकबर की शिकायत यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके (रमानी के) खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं किया जा सका। रमानी ने कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक लगता है, लेकिन यह हकीकत है। मुझे लगता है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाली सभी महिलाओं की तरफ से इस फैसले के माध्यम से मेरा रुख सही साबित हुआ। ।’’ 

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रमानी ने कहा कि यौन उत्पीड़न के मामले ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक पीड़िता थी, जिसे अदालत में आरोपी के तौर पर पेश होना पड़ा। मैं साथ देने के लिए हर किसी का खासकर मेरी गवाह गजाला वहाब और निलोफर वेंकटरमन का शुक्रिया अदा करती हूं, जिन्होंने अदालत आकर मेरी ओर से गवाही दी।’’ रमानी ने कहा, ‘‘मैं इस फैसले के लिए अदालत का भी शुक्रिया अदा करती हूं। वकील रेबेका जॉन और उनकी टीम का भी धन्यवाद, जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया और इस व्यापक मुद्दे पर साथ दिया।’’ रमानी ने 2018 में सोशल मीडिया पर चली ‘मी टू’ मुहिम के तहत अकबर के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए थे, जब वह पत्रकार थे।हालांकि, अकबर ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। अकबर ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने के लिए रमानी के खिलाफ 15 अक्टूबर 2018 को मामला दर्ज कराया था। अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

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