ऐसा रहा है बुद्धदेव भट्टाचार्य का राजनीतिक जीवन, ठुकराया था पद्म भूषण सम्मान

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प्रतिरूप फोटो

साल 2000 से लेकर 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य माकपा के नेता हैं। उनका जन्म 1 मार्च, 1944 को उत्तर कोलकाता में हुआ था। उनका पुश्तैनी घर बांग्लादेश में स्थित है। कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से उन्होंने शिक्षा-दीक्षा ली और फिर 1966 में माकपा से जुड़ गए थे।

नयी दिल्ली। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पद्म पुरस्कार लेने से इनकार करने वाले बुद्धदेव भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे और पिछले कुछ वक्त से सुर्खियों में बने हुए है। आपको बता दें कि बुद्धदेव भट्टाचार्य की तबीयत बेहद खराब चल रही है और वो बिस्तर पर हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर मुखर रहे हैं। 

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कौन हैं बुद्धदेव भट्टाचार्य ?

साल 2000 से लेकर 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य माकपा के नेता हैं। उनका जन्म 1 मार्च, 1944 को उत्तर कोलकाता में हुआ था। उनका पुश्तैनी घर बांग्लादेश में स्थित है। कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से उन्होंने शिक्षा-दीक्षा ली और फिर 1966 में माकपा से जुड़ गए थे। बुद्धदेव भट्टाचार्य को माकपा की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन का राज्य सचिव बनाया गया था, जिसका बाद में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया में विलय हो गया।

साल 2011 के विधानसभा चुनाव में माकपा को भारी नुकसान हुआ था और सत्ता भी हाथ से फिसल गई थी। इस चुनाव में खुद मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य जादवपुर से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार मनीष गुप्ता से 16,684 मतों से हार गए थे। 

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आपको बता दें कि बुद्धदेव भट्टाचार्य ने प्रदेश में औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत की थी। उन्‍होंने टाटा की नैनो का उत्पादन प्लांट कोलकाता के पास स्थित सिंगुर में स्थापित कराया था। जिसका तृणमूल कांग्रेस ने जमकर विरोध किया था और इसका असर साल 2009 के लोकसभा चुनाव और 2011 के विधानसभा चुनाव में दिखाई दिया। माकपा को दोनों ही चुनावों में काफी नुकसान हुआ है।

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