कोरेगांव-भीमा मामला: तेलतुम्बड़े के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने से कोर्ट का इनकार
बम्बई उच्च न्यायालय से तेलतुम्बड़े की याचिका 21 दिसंबर को खारिज कर दी थी। तेलतुम्बड़े ने अपने खिलाफ दायर पुणे पुलिस की प्राथमिकी रद्द करने और तीन सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने की मांग की थी।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद- कोरेगांव भीमा हिंसा में कथित भूमिका और माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े के खिलाफ दर्ज पुणे पुलिस की प्राथमिकी रद्द करने से सोमवार को इनकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने मामले में जारी जांच में हस्तक्षेप करने से भी इनकार कर दिया।
Supreme Court refuses to quash FIR against Anand Teltumbde, one of the accused in the Bhima Koregaon case. However, SC grants him four weeks protection to obtain bail. CJI says, "Investigation is getting bigger & bigger. At this stage quashing of the proceedings is uncalled for"
— ANI (@ANI) January 14, 2019
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस के कौल ने बंबई उच्च न्यायालय द्वारा तेलतुम्बड़े को दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा की अवधि चार सप्ताह और बढ़ा दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि तेलतुम्बड़े सक्षम निचली अदालत से इस मामले में नियमित जमानत की अपील कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: इंटरसेप्ट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में मांगा जवाब
बम्बई उच्च न्यायालय से तेलतुम्बड़े की याचिका 21 दिसंबर को खारिज कर दी थी। तेलतुम्बड़े ने अपने खिलाफ दायर पुणे पुलिस की प्राथमिकी रद्द करने और तीन सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने की मांग की थी। पुलिस के अनुसार कोरेगांव भीमा में एक जनवरी को हुई हिंसा से एक दिन पहले पुणे में एल्गार परिषद समारोह में कई कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए थे जिसके कारण हिंसा भड़की।
अन्य न्यूज़