लालू ने बिहार में भाजपा की सरकार बनाने में मदद की पेशकश की थी: सुशील मोदी

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सुशील ने कहा, मैं उन सटीक तारीखों को याद नहीं कर सकता, जिन पर लालू के दूत प्रेमचंद गुप्ता जेटली से मिले थे। लेकिन यह नवंबर 2014 के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद हुआ, जिसमें उन्हें कुछ राहत प्रदान की गयी, और इससे पहले कि सीबीआई पांच महीने बाद अपील में जाती।

पटना। बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को दावा किया कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने पेशकश की थी कि अगर चारा घोटाला मामले में सीबीआई नरमी बरते तो वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धूल चटाकर भाजपा की सरकार बनाने में मदद करेंगे। पटना में आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए सुशील ने कहा कि लालू ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास अपने दूत के तौर पर पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रेमचंद गुप्ता को दो बार भेजा था और बाद में गुप्ता के साथ जेटली से स्वयं भी मिले थे, पर उनकी पेशकश ठुकरा दी गयी थी।

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सुशील ने कहा,  मैं उन सटीक तारीखों को याद नहीं कर सकता, जिन पर लालू के दूत प्रेमचंद गुप्ता जेटली से मिले थे। लेकिन यह नवंबर 2014 के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद हुआ, जिसमें उन्हें कुछ राहत प्रदान की गयी, और इससे पहले कि सीबीआई पांच महीने बाद अपील में जाती।’’ भाजपा नेता सुशील मोदी द्वारा लगाए गए आरोपों का लालू के छोटे पुत्र तेजस्वी यादव और विपक्षी महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम)-सेक्युलर प्रमुख जीतन राम मांझी, जो सुशील द्वारा इंगित अवधि के दौरान मुख्यमंत्री रहे थे, ने खंडन किया है।

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उल्लेखनीय है कि जून 2013 में भाजपा से नाता तोड़ने के बाद 2014 में संपन्न लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हुई पराजय की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उत्तराधिकारी के तौर पर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में उस समय जदयू के 100 से अधिक विधायक थे जबकि भाजपा के पास लगभग 90 विधायक थे।

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फरवरी 2015 में जदयू द्वारा मांझी के स्थान पर नीतीश को मुख्यमंत्री के रूप चुने जाने पर मांझी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और जदयू में अपने समर्थक नेताओं के साथ मिलकर हम-सेक्युलर नामक अपनी अलग पार्टी बना ली थी।

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दिलचस्प बात यह है कि लालू ने उस समय नीतीश का समर्थन किया था और मांझी पर केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार के हाथों में खेलने का आरोप लगाया था। साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय मांझी भाजपा नीत राजग गठबंधन में शामिल हो गए थे, पर मात्र एक सीट पर विजयी रहे थे। नीतीश ने महागठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस से नाता तोड़कर पिछले साल भाजपा के साथ मिलकर बिहार में राजग की नई सरकार बना ली थी। इसके कुछ ही महीने बाद मांझी राजग छोड़ महागठबंधन में शामिल हो गए।

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