उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के विरोध में वकीलों ने राज्य सरकार का पुतला फूंका

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उच्च न्यायालय के प्रवेश द्वार पर विरोध प्रदर्शन करते हुए वकीलों ने सरकार को पहाड़ विरोधी बताते हुए उसके खिलाफ जमकर नारे लगाए। उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के प्रस्ताव के विरोध में प्रदर्शनकारी वकीलों ने राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक ज्ञापन भी सौंपा।

 उत्तराखंड उच्च न्यायालय को नैनीताल से बाहर स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को राज्य मंत्रिमंडल द्वारा सैद्धांतिक रूप से सहमति दिए जाने के विरोध में बृहस्पतिवार को वकीलों ने राज्य सरकार का पुतला फूंका। उच्च न्यायालय के प्रवेश द्वार पर विरोध प्रदर्शन करते हुए वकीलों ने सरकार को पहाड़ विरोधी बताते हुए उसके खिलाफ जमकर नारे लगाए। उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के प्रस्ताव के विरोध में प्रदर्शनकारी वकीलों ने राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक ज्ञापन भी सौंपा।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रभाकर जोशी ने कहा कि बार काउंसिल ने 16 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश से मामले पर एकतरफा निर्णय न लिये जाने की अपील की थी। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि इस मसले पर बार काउंसिल की बात नहीं सुनी गयी और मंत्रिमंडल में प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया। विरोध प्रदर्शन के दौरान अधिवक्ताओं ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र में स्थित एकमात्र संस्थान को भी सरकार द्वारा बलपूर्वक छीना जा रहा है। उन्होंने कहा कि वकील राज्य सरकार के इस निर्णय के विरूद्ध विधिक लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

पूर्व विधायक और उच्च न्यायालय के वकील महेंद्र पाल ने कहा कि यह निर्णय पहाड़ से पलायन का मुख्य कारण बनेगा। उन्होंने कहा, ‘‘पलायन के कारण अब तक 1,700 गांव बंजर हो चुके हैं। 30 लाख लोग पहाड़ छोड चुके हैं। उच्च न्यायालय को पहाड़ से हटाने से पहाड़ों की स्थिति और खराब ही होगी।’’ पाल ने कहा कि उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करने के लिए सरकार द्वारा दिए जा रहे कारण भी उचित नहीं हैं।

मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी देने के पीछे नैनीताल में पर्यटकों की भीड, उसमें स्थान की कमी, कठिन भौगोलिक स्थिति जैसे कुछ कारणों को माना जा रहा है। इसके अलावा, इसका एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि लोकप्रिय पर्यटक स्थल होने के कारण नैनीताल मंहगा है और वहां ठहरने में याचिकाकर्ताओं और फरियादियों को ज्यादा खर्च करना पड़ता है।

बडी संख्या में वकीलों के अलावा नैनीताल की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक सरिता आर्य को भी यह निर्णय रास नहीं आ रहा है। उन्होंने इस फैसले को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि यह निर्णय शहर के वकीलों और व्यापारियों की राय जाने बगैर किया गया है और वह हर स्तर पर इसका विरोध करेंगी। आर्य ने इसे एक गलत फैसला बताया और कहा कि यह नैनीताल के लोगों के रोजगार पर भी हमला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई एक राज्य मंत्रिमंडल की एक बैठक में उत्तराखंड उच्च न्यायालय को नैनीताल से हल्द्वानी स्थानांतरित किए जाने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से सहमति दे दी गयी थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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