Recruitment Scam: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने अग्निशमन विभाग के 103 कर्मचारियों की सेवा समाप्त की, जानें ये सख्ती क्यों की गयी?

जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज डिपार्टमेंट (F&ES) में 2020 की भर्ती प्रक्रिया में अवैध रूप से चुने गए 103 फायरमैन की सेवाएं खत्म कर दीं। यह कार्रवाई एक जांच कमेटी की फाइंडिंग्स और एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) की जांच के बाद की गई है।
जम्मू और कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने सोमवार को फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज डिपार्टमेंट के 103 कर्मचारियों की सेवाओं को खत्म करने का आदेश दिया। एक जांच और एंटी-करप्शन ब्यूरो की जांच में पाया गया कि 2020 में एक हेरफेर वाली भर्ती प्रक्रिया के ज़रिए उनकी नियुक्तियां की गई थीं। यह कार्रवाई सरकार द्वारा नियुक्त जांच समिति की फाइंडिंग्स और उसके बाद ACB द्वारा पांच साल पहले फायरमैन और ड्राइवरों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच के बाद की गई।
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अनियमित भर्ती प्रक्रिया
जांच में पता चला कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति पांच साल पहले एक अनियमित भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से अवैध तरीके से की गई थी। यह कार्रवाई विभाग में फायरमैन और वाहन चालकों की 2020 की भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट और उसके बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच के निष्कर्षों के बाद की गई।
ओएमआर शीट में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़
उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले जम्मू-कश्मीर गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में प्रधान सचिव चंद्राकर भारती ने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ओएमआर शीट में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़, उत्तर पुस्तिकाओं की जाली स्कैन की गई छवियों और मेरिट सूची में हेरफेर किया गया था। इसने 106 उम्मीदवारों के पक्ष में परिणाम में हेरफेर की पुष्टि की, जिन्हें वास्तविक प्राप्त अंकों से बहुत अधिक अंक दिए गए थे। यह सब आपराधिक साजिश का हिस्सा था।
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भर्ती प्रक्रियाओं पर उठ रहे थे सवाल
भारती ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से स्थापित हो चुका है कि इन 106 उम्मीदवारों की नियुक्तियां धोखाधड़ी और आपराधिक तरीकों से यानी परिणाम में हेरफेर करके प्राप्त की गईं, जिसके कारण उनकी नियुक्तियां शुरू से ही अमान्य मानी जाती हैं। आदेश में कहा गया कि इन कर्मचारियों को सेवा में बनाए रखना अवैधता को कायम रखना है, जो सार्वजनिक विश्वास और भर्ती प्रक्रियाओं की पवित्रता को कमजोर करता है। पहचाने गए 106 अवैध नियुक्त व्यक्तियों में से तीन की नियुक्ति पहले ही रद्द की जा चुकी थी। इसलिए शेष 103 उम्मीदवारों की नियुक्तियां अवैध घोषित करते हुए तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाती हैं।
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