भगवान जगन्नाथ के स्नान अनुष्ठान की हुई शुरुआत, देखने के लिए Puri में जुटे लाखों लोग

Lord Jagannath
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रितिका कमठान । Jun 11 2025 2:30PM

देवताओं को 12वीं शताब्दी के मंदिर में ले जाया जाएगा और स्नान के बाद बीमार पड़ने के कारण उन्हें 14 दिनों तक 'अनासरा घर' में रखा जाएगा। मंदिर के 'बैद्य' हर्बल औषधियों से उनका इलाज करेंगे और देवताओं के सार्वजनिक 'दर्शन' 27 जून को होने वाली वार्षिक रथ यात्रा से एक दिन पहले 26 जून तक 'नबाजौबन दर्शन' तक बंद रहेंगे।

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ के औपचारिक स्नान अनुष्ठान को देखने के लिए भक्त पहुंचे थे। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने तीन देवताओं - भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को औपचारिक 'पहंडी' के साथ 'स्नान मंडप' में लाया गया।

इस खास मौके पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित लाखों श्रद्धालु बुधवार को 12वीं सदी के मंदिर परिसर में खुले पंडाल में आयोजित भगवान जगन्नाथ के औपचारिक स्नान अनुष्ठान को देखने आए। मंदिर प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि देवताओं को स्नान मंडप में स्नान कराया जाता है, जो ग्रांड रोड के सामने स्थित एक ऊंचा स्थान है, जहां भक्तों को स्नान अनुष्ठान देखने का अवसर मिलता है। एक अधिकारी के मुताबिक सबसे पहले श्री सुदर्शन को मंदिर से बाहर लाया गया और सुबह 5.45 बजे स्नान वेदी पर ले जाया गया। इसके बाद भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों को स्नान वेदी पर ले जाया गया। ये अनुष्ठान' सुबह 8.55 बजे पूरा हो गया। इस दौरान पुरी के सांसद संबित पात्रा के साथ मुख्यमंत्री ने 'उत्तर द्वार' के रास्ते मंदिर आए और सुबह की प्रार्थना तथा देवताओं की औपचारिक शोभायात्रा देखी।

देव स्नान पूर्णिमा के नाम से जाना जाने वाला यह त्यौहार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और यह वर्ष में पहला अवसर होता है जब लकड़ी की मूर्तियों को जुलूस के रूप में गर्भगृह से बाहर लाया जाता है और स्नान अनुष्ठान के लिए 'स्नान मंडप' में रखा जाता है। इसे भगवान जगन्नाथ का जन्मदिन भी माना जाता है।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मंदिर परिसर में स्थित ‘सुनकुआ’ से कुल 108 घड़े ‘पवित्र जल’ बुधवार को दोपहर करीब 12.20 बजे मूर्तियों पर डाला जाएगा। उन्होंने कहा कि पुरी के राजा गजपति महाराज दिव्यसिंह देब दोपहर करीब साढ़े तीन बजे 'स्नान मंडप' की औपचारिक सफाई करेंगे, जिसके बाद देवताओं को 'गज वेष' से सुसज्जित किया जाएगा।

मंदिर कैलेंडर के अनुसार, शाम 7.30 बजे से ‘सहान मेला’ या सार्वजनिक दर्शन की अनुमति होगी। देवताओं को 12वीं शताब्दी के मंदिर में ले जाया जाएगा और स्नान के बाद बीमार पड़ने के कारण उन्हें 14 दिनों तक 'अनासरा घर' में रखा जाएगा। मंदिर के 'बैद्य' हर्बल औषधियों से उनका इलाज करेंगे और देवताओं के सार्वजनिक 'दर्शन' 27 जून को होने वाली वार्षिक रथ यात्रा से एक दिन पहले 26 जून तक 'नबाजौबन दर्शन' तक बंद रहेंगे।

एसपी विनीत अग्रवाल ने बताया कि इस अवसर पर पुरी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और 70 प्लाटून पुलिस बल और 450 अधिकारियों की तैनाती की गई है। एसपी ने कहा, "हमें उस दिन लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है और हमने भीड़ प्रबंधन, यातायात नियमन और ग्राउंड कंट्रोल के लिए व्यापक व्यवस्था की है। मंदिर के अंदर और बाहर तथा समुद्र तट पर सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।" एसपी ने कहा कि देवताओं के स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की सुचारू आवाजाही के लिए बैरिकेड्स लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, "पहली बार पुलिस वास्तविक समय की निगरानी के लिए नए एकीकृत नियंत्रण कक्ष से जुड़े एआई-आधारित निगरानी कैमरों का उपयोग कर रही है।"

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