आगामी विधानसभा सत्र में ‘पानी का अधिकार’ कानून पेश कर सकती है मध्य प्रदेश सरकार

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[email protected] । Nov 28 2019 6:44PM

पने विभाग का पिछले 11 महीने की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पर्याप्त पानी, पीने योग्य पानी और पहुंच में पानी। इसी मूल मंत्र के साथ हमने ‘राईट-टू-वॉटर’ एक्ट (पानी का अधिकार कानून) का ड्राफ्ट, विषय विशेषज्ञों एवं सभी संबंधित विभागों से सामंजस्य स्थापित कर तैयार किया है।’’

भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार 17 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ‘पानी का अधिकार’ कानून पेश कर सकती है। यह जानकारी मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने बृहस्पतिवार को दी। अपने विभाग का पिछले 11 महीने की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पर्याप्त पानी, पीने योग्य पानी और पहुंच में पानी। इसी मूल मंत्र के साथ हमने ‘राईट-टू-वॉटर’ एक्ट (पानी का अधिकार कानून) का ड्राफ्ट, विषय विशेषज्ञों एवं सभी संबंधित विभागों से सामंजस्य स्थापित कर तैयार किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम आगामी विधानसभा सत्र (17 दिसंबर से 23 दिसंबर तक चलने वाले) में इस एक्ट को प्रस्तुत करने की हर संभव कोशिश करेंगे।’’ पांसे ने बताया कि यदि आगामी सत्र में इसे पेश नहीं किया जा सका, तो इसे बजट सत्र में अवश्य पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस एक्ट के दृष्टिगत इस वित्तीय वर्ष के बजट में भी 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।’’

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पांसे ने बताया कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को इस बात का गौरव हासिल होने वाला है कि वे देश के पहले मुख्यमंत्री होंगे जो अपने प्रदेशवासियों को पानी का कानूनी अधिकार देंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में 5.88 करोड़ आबादी ग्रामीण क्षेत्रों की 1,28,231 बसाहटों में निवास करती है। हमारी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर जब जानकारी एकत्र की तो ज्ञात हुआ कि राज्य के मात्र 12 फीसदी ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंच रहा है। तब हमने संकल्प लिया कि हम प्रदेश के प्रत्येक परिवार को उसकी पानी की आवश्यकता के अनुरूप जल उपलब्ध करायेंगे और इसी के दृष्टिगत हम पानी का कानूनी अधिकार लेकर आने वाले हैं।

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पांसे ने बताया कि मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर हमने 68,000 करोड़ रूपये की एक विस्तृत कार्ययोजना बनायी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमने 19 समूह जल योजनाओं के कार्य पूर्ण कर 802 गांवों की लगभग 11.45 लाख जनसंख्या को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से जलापूर्ति शुरु कर दी है। पांसे ने बताया कि इसके अतिरिक्त 6,672 करोड़ रूपये लागत वाली 39 योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं का काम अगले दो साल में पूरा होने की संभावना है। इससे 6,091 गांवों की लगभग 64 लाख आबादी लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा विभिन्न जिलों के 14,510 ग्रामों की 45 समूह जल प्रदाय योजनाओं की डीपीआर तैयार कर ली गई है, जिसकी लागत 22,484 करोड़ रूपये है। इन योजनाओं के क्रियान्वयन से लगभग एक करोड़ आबादी लाभान्वित हो सकेगी। पांसे ने बताया कि दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जहां एक ओर मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार पूरी दृढ़इच्छा शक्ति के साथ प्रदेश की पानी की आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति के लिए समुचित प्रयास कर रही है, वहीं भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आगामी पांच वर्षों में सम्पूर्ण देश के प्रत्येक घर को नल कनेक्शन देने के बड़े-बड़े वादे तो किये, मगर अब तक उन्होंने इसकी न तो गाईड लाईन जारी की न ही कोई राशि की व्यवस्था की है।

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