शराब एमआरपी वृद्धि कर कमलनाथ सरकार अतिवर्षा और बाढ़ पीड़ितों सहित शराब कारोबारीयों को देगी राहत

भोपाल। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार बने भले ही एक साल होने वाला हो लेकिन भाजपा शासित शिवराज सिंह चौहान की सरकार द्वारा प्रदेश का खाली खजाना छोड़कर जाने के बाद कमलनाथ सरकार आर्थिक मुश्किलों से जूझ रही है। यही कारण है कि प्रदेश में पेट्रोलियम पादर्थों के मूल्य में कमी करने का वादा पूरा करने के बाद उस पर 5 प्रतिशत वैट लगा दिया गया यही नहीं राजस्व बढाने के लिए शराब पर भी इतना ही वैट रोपित किया गया। लेकिन इसके बावजूद भी राज्य की कमलनाथ सरकार प्रदेश में हुई आतिवर्षा और बाढ़ प्रभावितों को राहत राशी देने के लिए केन्द्र सरकार की तरफ निगाहें गढाए हुए है।
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प्रदेश सरकार द्वारा 20 सितंबर 2019 को पेट्रोल, डीजल और शराब पर 5 प्रतिशत वैट (वेल्यू एडेड टैक्स) बढाया था। वही आबकारी नीति में परिवर्तन कर राज्य सरकार ने लायसेंस फीस में 20 प्रतिशत की वृद्धि कर दी थी। बार सहित अन्य लायसेंस फीस भी बढाई जा चुकी है। जिसके चलते शराब कारोबारी परेशान है। इसे देखते हुए राज्य सरकार के वाणिज्यिक कर विभाग ने भारत और विदेशों में बनी शराब की एमआरपी (अधिकतम ब्रिकी कीमत) में पांच प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला किया है। यह बढ़ोतरी 22 सितंबर 2019 से प्रभावी होगी।
वाणिज्यिक कर विभाग को सरकार ने वर्ष 2019-20 में आबकारी से 13 हजार करोड़ रुपए राजस्व जुटाकर देने का लक्ष्य दिया है। वर्ष 2018-19 में यह नौ हजार 558 करोड़ रुपए था। सितंबर 2019 तक विभाग पांच हजार 390 करोड़ रुपए जुटा चुका है। लक्ष्य के हिसाब से पिछले साल सितंबर तक हुई आय की तुलना में देखा जाए तो यह लगभग एक हजार 885 करोड़ रुपए कम आंका गया है। इसके मद्देनजर विभाग ने राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य हासिल करने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
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वही शराब कारोबारीयों ने राज्य शासन द्वारा बढाए गए 5 प्रतिशत वैट वृद्धि से राहत देने के लिए नीतिगत बदलाव का मुद्दा उठाया था। इसके मद्देनजर विभाग ने कुछ व्यावहारिक बदलाव भी किए हैं। इसके तहत शराब दुकानों को अहाता खोलने की अनुमति सशर्त दी गई है। पर्यटन क्षेत्रों के आसपास के रिसॉर्ट बार से जुड़ी शर्तों में भी बदलाव किया जा चुका है। जिसके बाद अब एमआरपी पांच प्रतिशत बढ़ाई गई है। विभाग के प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव ने बताया कि वैट में जो वृद्धि की गई थी, उसी अनुपात में एमआरपी में बढ़ोतरी की गई है।
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सूत्रों का कहना है कि शराब की एमआरपी बढ़ाने से कारोबारियों को सीधा-सीधा फायदा होगा। दुकानों पर बेचने लाने वाले भारत और विदेशों में बनी शराब पर पांच प्रतिशत वैट बढ़ाया गया था। इससे शराब कारोबारियों ने जिस दर पर टेंडर लिया था, उसकी लागत बढ़ गई। एमआरपी बढ़ने से शराब की कीमत पांच प्रतिशत तक बढ़ जाएगी और जो आय होगा, उससे कारोबारियों के ऊपर आए अतिरिक्त वित्तीय भार की पूर्ति हो सकेगी।
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