स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वे में बड़ा खुलासा, कुपोषण के बाद अब एनीमिया से जूझ रहा मध्यप्रदेश

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दिनेश शुक्ल । Oct 10 2019 6:43PM

सर्वे के अनुसार मध्यप्रदेश में 01 से 04 साल के बच्चों में एनीमिया (खून की कमी) का प्रतिशत देश में सबसे ज्यादा है।

भोपाल। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की हाल ही में जारी हुई रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि मध्यप्रदेश कुपोषण के बाद अब एनीमिया से जूझ रहा है। पहली बार हुए नेशनल न्यूट्रीशन सर्वे में यह बात सामने आई है। सर्वे के अनुसार मध्यप्रदेश में 01 से 04 साल के बच्चों में एनीमिया (खून की कमी) का प्रतिशत देश में सबसे ज्यादा है। प्रदेश में इस उम्र के 54 फीसदी बच्चे खून की कमी से जूझ रहे है। खून की कमी या एनीमिया से जूझ रहे बच्चों का राष्ट्रीय औसत देखें तो 01 से 04 साल की उम्र के सिर्फ 41 फीसदी बच्चों में ही खून की कमी है। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक 10 से 19 साल की उम्र के बच्चे 32 फीसदी दुबले हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 24 फीसदी का है। मध्यप्रदेश के लिए यह सुकून देने वाली बात यह है कि 2015-16 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-4) के मुकाबले सभी तरह के कुपोषण में मामूली कमी आई है।

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देश के 30 राज्यों में 01 से 19 साल तक के बच्चों में कुपोषण, एनीमिया, मोटापा और गैर संचारी रोग जैसे डायबिटीज, हार्ट अटैक आदि का भविष्य में जोखिम का पता लगाने के लिए यह सर्वे करवाया गया था। जिसकी रिपोर्ट केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को ही जारी की थी। सर्वेक्षण में सामने आया कि 13 फीसदी बच्चों को भविष्य में डायबिटीज का खतरा है। सर्वे के अनुसार 13 प्रतिशत बच्चे प्री-डायबिटिक हैं। इन बच्चों में ग्लाइको साइलेंट हीमोग्लोबिन कंसंट्रेशन ज्यादा मिला है जो प्री-डायबिटिक अवस्था को बताता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण में यह तथ्य भी सामने आया है, जिसके मुताबिक 01 से 04 साल के बच्चों में 8 फीसदी, 05 से 09 साल में 20 फीसदी और 10 से 19 साल के बच्चों में 23 फीसदी विटामिन डी की कमी मिली है। तो 01 से 04 साल के बच्चों में 12 फीसदी, 05 से 09 साल में 22 फीसदी और 10 से 19 साल के बच्चों में 42 फीसदी विटामिन बी-12 की कमी मिली है। वहीं 01 से 19 साल के बीच अलग-अलग उम्र में 20 से 22 फीसदी बच्चों में जिंक की कमी पाई गई है। 

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जबकि कुपोषण के मामले में देखा जाए न्यूट्रीशन सर्वे के अनुसार एनएफएचएस-4 के मुकाबले हालिया सर्वेक्षण में आंकडे कुछ इस तरह रहे। स्टंटिंग- 42 फीसदी से घटकर 40 फीसदी मिला, स्टंटिंग में लंबे समय से गंभीर कुपोषित बच्चों का इससे पता चलता है। इसमें उम्र के अनुसार ऊंचाई कम होती है। वही वेस्टिंग- 26 फीसदी से घटकर 20 फीसदी मिला, वेस्टिंग में ऊंचाई के अनुसार बच्चों का वजन कम होता है। जबकि अंडर वेट यानि की कम वजन 43 फीसदी से 39 फीसदी मिला, यह बीमारी पर्याप्त पोषण आहार नहीं मिलने की वजह से होती हैं, जिसमें बच्चों का वजन उम्र के अनुसार कम होता जाता है।

मध्यप्रदेश के कुपोषण के साथ ही एनीमिया के चलते जहां बचपन स्वस्थ नहीं है। वहीं, सरकार की पोषण योजनाओं के नाम पर लाखों का बजट एलाट होने के बाद भी कोई सुधार नज़र नहीं आ रहा। एक समाचार पत्र के अनुसार देखा जाए तो प्रदेश के शहडोल जिले में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में मिड डे मील यानिमाध्यान्ह भोजन की कीमत चाय से भी कम है। प्राथमिक विद्यालयों में यह 4.48 रूपए और माध्यमिक में 6.71 रूपए प्रति बच्चा है। अब आप इस कीमत से अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार नौनिहालों के स्वास्थ्य के लिए कैसा पोषण आहार दे रही है। यही वजह है कि प्रदेश में लगातार बच्चों में कुपोषण सहित अनीमिया जैसी बीमारी पनप रही है।

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