मराठा आरक्षण पर SC की रोक के बाद महाराष्ट्र भाजपा ने कहा- मराठाओं के लिए ‘काला दिन’

Maharashtra BJP

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस वाली महा विकास आघाड़ी सरकार यह सुनिश्चित करने को लेकर ‘‘गंभीर नहीं थी’’ उच्चतम न्यायालय के समक्ष आरक्षण का आधार बना रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार पर मामले पर ध्यान नहीं देने का आरोप भी लगाया।

मुंबई। शिक्षा और रोजगार में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी 2018 के कानून के अमल पर बुधवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगाये जाने के बाद भाजपा ने राज्य की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार पर हमला बोला और कहा कि यह मराठाओं के लिए एक ‘‘काला दिन’’ है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस वाली महा विकास आघाड़ी सरकार यह सुनिश्चित करने को लेकर ‘‘गंभीर नहीं थी’’ उच्चतम न्यायालय के समक्ष आरक्षण का आधार बना रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार पर मामले पर ध्यान नहीं देने का आरोप भी लगाया। उचचतम न्यायालय ने शिक्षा और रोजगार में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी महाराष्ट्र सरकार के 2018 के कानून के अमल पर बुधवार को रोक लगा दी लेकिन स्पष्ट किया कि जिन लोगों को इसका लाभ मिल गया है उन्हें परेशान नहीं किया जायेगा। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव के नेतृत्व वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाओं को वृहद पीठ का सौंप दिया जिसका गठन प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे करेंगे। इन याचिकाओं में शिक्षा और रोजगार में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी कानून की वैधता को चुनौती दी गयी है। पाटिल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘एमवीए यह सुनिश्चित नहीं कर सका कि आरक्षण का उच्चतम न्यायालय के समक्ष आधार बना रहे।’’ उन्होंने यह उल्लेखित किया कि उच्चतम न्यायालय ने उन याचिकाओं को वृहद पीठ को सौंप दिया है जिसमें आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी कानून की वैधता को चुनौती दी गयी है। उन्होंने कहा कि किसी को पता नहीं कि मामले में फैसला कब आएगा। 

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पाटिल ने कहा कि वृहद पीठ को सौंपे गए मामले पूर्व में वर्षों तक लंबित रहे हैं। भाजपा नेता ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि रोक तब तक जारी रहेगी जब तक पीठ फैसला नहीं सुनाती। अब समुदाय द्वारा विरोध प्रदर्शन करने का भी कोई मतलब नहीं क्योंकि किसी को नहीं पता कि फैसला कब आएगा। इसलिए यह समुदाय के लिए एक काला दिन है।’’ उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने एमवीए सरकार को बार-बार कहा था कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और इसके लिए अच्छी तरह से कानूनी तैयारी करे। पाटिल ने सवाल करते हुए कहा, ‘‘एमवीए आरक्षण नहीं चाहता था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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