राष्ट्रीय राजनीति में पकड़ बनाने की कोशिशों में जुटीं ममता बनर्जी, दिल्ली में तय करेंगी एजेंडा

Mamata Banerjee

आज टीएमसी प्रमुख और प्रधानमंत्री की भी मुलाकात होनी है जंहा ममता त्रिपुरा में हुई हिंसा पर मोदी से बातचीत कर सकती हैं। ममता के दिल्ली आने का असर भी खूब दिख रहा है एक एक करके विपक्षी नेता उनकी पार्टी का दामन थामते जा रहे हैं।

नयी दिल्ली। ममता बनर्जी इन दिनों दिल्ली दौरे पर हैं, जिसकी वजह से सियासी गलियारों में सरगर्मी का तेज हो गई हैं। ममता बनर्जी और टीएमसी सांसदो का एक एजेंडा तो त्रिपुरा  में हो रही हिंसा का मसला उठाना है। सोमवार को टीएमसी के 16 सांसदो ने इस मसले पर बातचीत के लिए गृहमंत्री से मिलने का समय मांगा था लेकिन फौरन वक्त नहीं मिलने पर वो संसद के बाहर धरने पर भी बैठ गए। आमतौर पर त्रिपुरा सियासी रूप से शांत राज्य माना जाता है पर सियासी जानकार वहां हुई हिंसा को नगर निकाय चुनाव से जोड़कर भी देख रहे हैं। टीएमसी की युवा नेता शायनी घोष को भी गिरफ्तार किया गया था। हालांकि उन्हें जमानत मिल गई है। इसके बाद टीएमसी ने त्रिपुरा के चुनाव को रद्द कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी  जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

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आज टीएमसी प्रमुख और प्रधानमंत्री की भी मुलाकात होनी है जंहा ममता त्रिपुरा में हुई हिंसा पर मोदी से बातचीत कर सकती हैं। ममता के दिल्ली आने का असर भी खूब दिख रहा है एक एक करके विपक्षी नेता उनकी पार्टी का दामन थामते जा रहे हैं। इसी कड़ी में कल कांग्रेस नेता किर्ती आजाद, हरियाणा में कांग्रेस नेता अशोक तंवर टीएमसी में शामिल हो गए। ममता बनर्जी बिहार में अपनी पार्टी का सियासी विस्तार चाहती हैं जेडीयू  नेता पवन वर्मा का टीएमसी में शामिल होना ममता की राजनैतिक हसरत को दिखाता है। ममता बंगाल में बीजेपी को हराने के बाद लगातार अपना सियासी कद बढ़ाने की कोशिश में लगी हुई है। चाहे गोवा में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री को अपनी पार्टी में शामिल कराना हो या त्रिपुरा में अपनी सक्रियता बढ़ाना हो।

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ममता बनर्जी की राजनैतिक महत्वकांक्षा किसी से छिपी हुई नहीं है वो राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की नेता बनना चाहताी हैं। इससे पहले ममता जुलाई में दिल्ली आई थीं और विपक्षी नेताओं से मिली थीं और इशारा किया था कि विपक्ष को 2024 के लिए एक साथ आना होगा। ममता इस बार भी दिल्ली में हैं और जानकार मानतें हैं कि ममता की ये सारी कवायद विपक्ष को एक छतरी के नीचे लाने भर की नही हैं बल्कि वो विपक्ष का चेहरा बनना चाहती हैं। अब वो इसमें कितना कामयाब हो पाती है ये आने वाला वक्त ही बताएगा।

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