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सांप्रदायिक रूप से बंटे नंदीग्राम में ममता बनर्जी-शुभेंदु अधिकारी का आमना-सामना
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 20, 2021 17:17
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आम तौर पर ग्रामीण और शहरी पश्चिम बंगाल की विशेषताओं को अपने में समेटे सामान्य कृषि क्षेत्र नजर आने वाले इस इलाके को भू-अधिग्रहण विरोधी संघर्ष ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों ने ला दिया था।
नंदीग्राम (प.बंगाल)। रक्तरंजित नंदीग्राम के संघर्ष ने ममता बनर्जी को एक जुझारू जन नेता की पहचान दी और अब इसी जमीन पर उन्हें कभी उन्हीं के सिपहसालार रहे शुभेंदु अधिकारी से मिल रही है कड़ी चुनौती। आम तौर पर ग्रामीण और शहरी पश्चिम बंगाल की विशेषताओं को अपने में समेटे सामान्य कृषि क्षेत्र नजर आने वाले इस इलाके को भू-अधिग्रहण विरोधी संघर्ष ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों ने ला दिया था। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं एक बार फिर यहां संघर्ष का खतरा मंडराने लगा है जिससे नंदीग्राम की शांति भंग होने का अंदेशा है।
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औद्योगीकरण के लिये सरकारी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कभी काफी हद तक एक जुट होकर सबसे खूनी संघर्ष का गवाह बना नंदीग्राम आज सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकृत नजर आता है। प्रदेश में तत्कालीन वामपंथी सरकार द्वारा यहां विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) बनाने के लिये भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 2007 में हर तरफ सुनाई देने वाले नारे ‘तोमर नाम, अमार नाम…नंदीग्राम, नंदीग्राम’ (तुम्हारा नाम, मेरा नाम नंदीग्राम, नंदीग्राम) से यह इलाका अब काफी आगे निकल आया है। आज नंदीग्राम की दीवारों पर धुंधले दिखाई देते “तोमार नाम अमार नाम, नंदीग्राम, नंदीग्राम” की जगह “जय श्री राम” का नारा प्रमुखता से दिखता है। इस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की सबसे बड़ी वजह क्षेत्र के कद्दावर नेता और तृणमूल कांग्रेस में अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके शुभेंदु अधिकारी का भाजपा में शामिल होना और फिर ममता बनर्जी का यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा करना है।
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बनर्जी द्वारा सोमवार को की गई घोषणा का पूरे पूर्वी मिदनापूर्व जिले में असर होगा। बनर्जी और अधिकारी दोनों ही नंदीग्राम आंदोलन के नायक रहे हैं। टीएमसी सुप्रीमों पथ प्रदर्शक के तौर पर रहीं तो अधिकारी जमीनी स्तर पर उनके सिपहसालार रहे जो एसईजेड के खिलाफ जन रैलियों का आयोजन करते थे। इस एसईजेड में इंडोनेशिया के सलीम समूह द्वारा रसायनिक केंद्र स्थापित किया जाना था। टीएमसी के लोकसभा सदस्य और अधिकारी के पिता शिशिर तब भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति (बीयूपीसी) के संयोजक थे। इस समिति में विभिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग शामिल थे। टीएमसी, कांग्रेस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और यहां तक की वाम दलों के असंतुष्ट सदस्यों ने भी सरकार के साथ एकजुट होकर यह संघर्ष किया।
पश्चिम बंगाल की सियासत में वामदलों और कांग्रेस के हाशिये पर जाने के बाद नंदीग्राम में बनर्जी की टीएमसी और भाजपा के बीच एक कड़ी व कड़वाहट भरी सियासी जंग के आसार बन रहे हैं। विरोधी दलों की रैलियों पर हमले हो रहे हैं, लोग जख्मी हो रहे हैं। बीयूपीसी के संघर्ष के बाद इस क्षेत्र में कोई उद्योग नहीं आया और नंदीग्राम की अर्थव्यवस्था का मुख्य रूप से कृषि उत्पादों, चावल व सब्जियों और आसपास के इलाकों में ताजा मछली की आपूर्ति पर टिकी है। नंदीग्राम में 2007-11 के बीच संघर्ष से यहां की शांति भंग हुई जब बूयीपीसी और माकपा समर्थकों के बीच हुई झड़प में कई लोग मारे गए लेकिन इसके बावजूद इलाके में कभी धार्मिक या सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण नहीं हुआ और मतभेद पूरी तरह राजनीतिक ही थे।
भू-अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में हिस्सा ले चुके स्थानीय निवासी रसूल काजी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “बीते छह-सात सालों में नंदीग्राम काफी बदल गया है। पहले सभी समुदाय यहां मिलजुल कर शांति से रहते थे। मतभेद और हिंसा पहले भी होती थी लेकिन वे धार्मिक नहीं राजनीति आधारित होती थीं। अब यह धर्म से उपजती है जहां एक तरफ बहुसंख्य हिंदू होते हैं तो दूसरी तरफ मुसलमान। हमनें पहले कभी यहां ऐसी स्थिति नहीं देखी।” नंदीग्राम में गोकुलपुर गांव के बामदेव मंडल सांप्रदायिक विभाजन के लिये टीएमसी को आरोपी ठहराते हैं। मंडल ने कहा, “टीएमसी सरकार ने (मुस्लिम) तुष्टिकरण की अपनी नीति की अति कर दी जिससे एक समुदाय दूसरे के सामने आ खड़ा हुआ।” भू-अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के बाद से इलाके में विकास नहीं होने को लेकर भी मंडल नाराज हैं। उन्होंने कहा, “हिंदू और मुसलमान साथ मिलकर लड़े लेकिन हमें क्या मिला?...कुछ मुट्ठीभर नेताओं और एक समुदाय विशेष के लोगों को सभी फायदा मिला। अब लोग नाराज हैं और टीएमसी को सबक सिखाएंगे।” टीएमसी पंचायत समिति के एक सदस्य ने नाम न जाहिर करने की इच्छा व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि मुसलमानों को छात्रवृत्तियों में भी वरीयता दी जा रही है। उसने कहा, “माकपा कभी धर्म के आधार पर लोगों में भेदभाव नहीं करती थी। बताइए हमें कि हिंदू क्यों भाजपा के साथ नहीं जाएं? हमनें पार्टी को भेदभाव को लेकर चेताया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।”
बीयूपीसी से जुड़े रहे शेख सूफियन हालांकि इन दावों को भाजपा के “भ्रामक प्रचार अभियान” का हिस्सा करार देते हैं। नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में करीब 70 प्रतिशत हिंदू हैं जबकि शेष मुसलमान। क्षेत्र के दौरे पर गए ‘पीटीआई-भाषा’ के एक संवाददाता को तामलुक जिले के भाजपा महासचिव गौर हरि मैती ने बताया, “नंदीग्राम विस्फोटक के मुहाने पर बैठा है और इसके लिये सिर्फ टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति जिम्मेदार है। अगर आप बहुसंख्य समुदाय को उसके अधिकार देने से इनकार कर देंगे तो आपको परिणाम भुगतने होंगे।” टीएमसी के पूर्वी मिदनापुर के प्रमुख अखिल गिरि को भरोसा है कि नंदीग्राम अपना धर्मनिरपेक्ष चरित्र नहीं खोएगा। उन्होंने कहा, “शुभेंदु और उनके दरबारी नेता कहते हैं कि नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.12 लाख हिंदू और 70 हजार मुसलमान मतदाता हैं। लेकिन हम उनके सांप्रदायिक डिजाइन को परास्त कर देंगे। नंदीग्राम धर्मनिरपेक्षता का केंद्र है और हमेशा रहेगा।
जान से मारने की धमकी देकर किशोरी के साथ दुष्कर्म, पुलिस ने किया पॉस्को एक्ट में मामला दर्ज
- मनीष सोनी
- मार्च 9, 2021 15:27
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पुलिस के अनुसार ग्राम रामगढ़ निवासी किशोरी ने बताया कि बीते रोज ग्राम अरन्या के राहुल पुत्र श्याम गोस्वामी ने कुएं पर ले जाकर जान से मारने की धमकी देते हुए खोटा काम किया। चिल्लाने पर आरोपित मौके से भाग गया।
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2047 तक सिंगापुर के बराबर करेंगे दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय, भव्य तरीके से मनाएंगे आजादी के 75 साल: केजरीवाल
- अनुराग गुप्ता
- मार्च 9, 2021 15:11
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछली बार की तुलना में कठिन परिस्थितियों के बावजूद दिल्ली का बजट में बढ़ोत्तरी हुई है। मैं खुश हूं कि दिल्ली का 69,000 करोड़ रुपये का बजट पिछले साल से करीब छह प्रतिशत अधिक है।
नयी दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेश किए गए बजट की जानकारी दी। केजरीवाल ने कहा कि बहुत कठिन परिस्थितियों में इस बार का बजट तैयार किया गया है। इस बार समाज के सभी वर्गों के लोगों को ध्यान में रखा गया है। पिछले एक साल में दिल्ली समेत पूरे विश्व में कोरोना वायरस महामारी की वजह से कठिन परिस्थितियां उत्पन्न हुईं थीं। सरकार की इनकम आने के स्त्रोत बहुत ज्यादा कम हो गए थे और हमारा व्यय काफी ज्यादा बढ़ गया था।
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उन्होंने कहा कि पिछली बार की तुलना में कठिन परिस्थितियों के बावजूद दिल्ली का बजट में बढ़ोत्तरी हुई है। मैं खुश हूं कि दिल्ली का 69,000 करोड़ रुपये का बजट पिछले साल से करीब छह प्रतिशत अधिक है। इसके लिए मैं दिल्ली के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने अपनी सरकार पर भरोसा किया और कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने अपना टैक्स दिया।
सभी क्षेत्रों में जारी रहेगी सब्सिडी
मुख्यमंत्री ने बताया कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद सभी क्षेत्रों की सब्सिडी जारी रही है। बिजली, पानी, फ्री शिक्षा, फ्री दवाईयों, महिलाओं का मुफ्त सफर में दी जाने वाली सब्सिडी जारी रही। उन्होंने कहा कि अगले साल भी मुफ्त दी जाने वाली सुविधाएं जारी रहेंगी। मुझे खुशी है कि पिछले 6-7 साल से जो ट्रेंड चला आ रहा है वह जारी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में लगभग एक चौथाई बजट जबकि स्वास्थ्य सेवाओं पर 14 फीसदी बजट खर्च किया जा रहा है।
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इस दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली में जब से हमारी सरकार बनी है तब से बजट सरप्लस में है। आजतक दिल्ली के बजट में घाटा नहीं हुआ है। कैग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली अकेला राज्य है जहां सरकार घाटे का नहीं बल्कि सरप्लस में बजट करते हैं।
आजादी के 75 साल
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार दिल्ली की जनता के साथ मिलकर आजादी के 75 साल को भव्य तरीके से मनाएगी। उन्होंने कहा कि 2047 में जब आजादी के 100 साल पूरे होंगे उस वक्त देश कैसा होना चाहिए। उसकी नींव हमें अभी से रखनी पड़ेगी और उस नींव को रखने का काम इस बजट ने किया है।
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उन्होंने कहा कि आज दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय देश के हिसाब से बहुत बढ़िया है लेकिन दुनिया के स्तर पर उतना बेहतर नहीं है। हमारा सपना है कि दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय को सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आय के बराबर करना है। इसके लिए 2047 तक का लक्ष्य रखा गया है।
ओलंपिक के लिए आवेदन करेगा दिल्ली
उन्होंने आगे बताया कि इस बार के बजट में विजन दिया गया है कि 2048 का ओलंपिक खेल दिल्ली में होना चाहिए। 2048 के ओलंपिक खेल के लिए दिल्ली आवेदन करेगा। इसके लिए जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य जरूरत की चीजें करनी होगी, हम करेंगे।
दिल्ली की प्रगति के लिए इस साल का ये बजट उन्नति की अपार संभावनाओं का बजट है | Press Conference CM @ArvindKejriwal | LIVE https://t.co/sKVFZtSOGZ
— AAP (@AamAadmiParty) March 9, 2021
भोपाल में पदस्थ डीएसपी ने लगाई फांसी, छुट्टी पर गए हुए थे अपने गाँव
- दिनेश शुक्ल
- मार्च 9, 2021 15:11
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सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को फांसी के फंदे से उतारकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया, लेकिन देर रात हो जाने के कारण पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। मंगलवार, सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। पुलिस ने भोपाल पुलिस मुख्यालय में इसकी सूचना दे दी है।
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