मनोज सिन्हा बने जम्मू-कश्मीर के नये उप-राज्यपाल, पढ़िए BHU में छात्र नेता से LG बनने तक का सफ़र

मनोज सिन्हा
अंकित सिंह । Aug 6 2020 5:09PM

मनोज सिन्हा की नियुक्ति को लेकर भाजपा भी कई वर्गों को साधने की कोशिश कर रही है। यूपी के मुख्यमंत्री पद की रेस में रहे मनोज सिन्हा 2019 लोकसभा चुनाव के हार के बाद किसी भी पद पर नहीं रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा था कि वह अब हाशिए पर चले गए है।

प्रशासनिक तौर पर जम्मू कश्मीर में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के खात्मे की 1 वर्ष पूरा होने के समय पर ही उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने अपना इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जीसी मुर्मू का इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है और अब उनकी जगह मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का उप राज्यपाल बनाया गया है। जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है। मनोज सिन्हा की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की गई है। आपको बता दें कि पिछले साल 5 और 6 अगस्त को जम्मू कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया किया गया था जिसे 31 अक्टूबर को लागू कर दिया गया था। उसी दौरान जीसी मुर्मू को सत्यपाल मलिक की जगह उप राज्यपाल बनाया गया था।

जम्मू कश्मीर के इतिहास में मनोज सिन्हा ऐसे दूसरे व्यक्ति होंगे जो राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने के बावजूद भी वहां के राज्यपाल या उप राज्यपाल बने हैं। इससे पहले मोदी सरकार ने साहसिक फैसला लेते हुए राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने वाले सत्यपाल मलिक को वहां का राज्यपाल बनाया था। तब जम्मू कश्मीर एक राज्य हुआ करता था जिसे आर्टिकल 370 के तहत कुछ विशेष संवैधानिक दर्जा प्राप्त था। मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से सांसद रहे हैं और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान मंत्री भी रहे हैं। मनोज सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से गिना जाता है। यही कारण है कि उन्हें जम्मू कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य का प्रशासनिक कमान सौंपा गया है। 

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माना जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में एक राजनीतिक गैप उभरा है। इस गैब को भरने में राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने वाले मनोज सिन्हा काफी अहम साबित हो सकते हैं। मनोज सिन्हा काफी सौम्य व्यक्ति हैं, मृदुभाषी हैं और चीजों की समझ रखते है। 2019 में गाजीपुर से लोकसभा चुनाव हारने के बाद वह फिलहाल पार्टी को में सक्रिय थे परंतु किसी पद पर नहीं थे। एक बार ऐसी भी खबर आई थी कि उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन योगी आदित्यनाथ को बना दिया गया। मनोज सिन्हा की नियुक्ति को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल रहे जीसी मुर्मू और वहां के चीफ सेक्रेटरी के बीच कई मुद्दों पर तनाव की खबरें आ रही थी। इसके अलावा मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वसनीय होने के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी खास है।

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जम्मू कश्मीर एक संवेदनशील राज्य है। ऐसे में मनोज सिन्हा की नियुक्ति वहां के लोगों में भावनात्मक रूप से राजनीति के प्रति झुकाव पैदा कर सकती है। मनोज सिन्हा को पूर्वांचल का कद्दावर नेता माना जाता है। उनके पास मोदी सरकार पार्ट वन में 2 मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। मनोज सिन्हा का जन्म 1 जुलाई 1959 को गाजीपुर के मोहनपुरा में हुआ था। मनोज सिन्हा पढ़ने में काफी होशियार थे। उनकी शिक्षा-दीक्षा काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानी कि बीएचयू से हुई थी। मनोज सिन्हा ने बीएचयू से ही सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल की थी। 1998 में वह पहली बार लोकसभा पहुंचे। 1999 में एक बार फिर से लोकसभा के लिए चुने गए। 1989 से 1996 तक मनोज सिन्हा बीजेपी की राष्ट्रीय समिति के सदस्य भी रहे।

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मनोज सिन्हा की नियुक्ति को लेकर भाजपा भी कई वर्गों को साधने की कोशिश कर रही है। यूपी के मुख्यमंत्री पद की रेस में रहे मनोज सिन्हा 2019 लोकसभा चुनाव के हार के बाद किसी भी पद पर नहीं रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा था कि वह अब हाशिए पर चले गए है। लेकिन मोदी सरकार द्वारा उप राज्यपाल पद पर मनोज सिन्हा के नियुक्ति के बाद पूर्वांचल और बिहार की राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव पड़ सकता है। मनोज सिन्हा भूमिहार जाति से आते हैं। भाजपा में भूमिहारों में गिरिराज सिंह के बाद मनोज सिन्हा का कद काफी ऊपर माना जाता है। बिहार में इस साल विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में मनोज सिन्हा की नियुक्ति बिहार में भाजपा को भूमिहारों का वोट हासिल करने में मदद कर सकती हैं। बिहार में भूमिहारों को भाजपा का एक वोट बैंक माना जाता है। बिहार में भूमिहार जाति की आबादी लगभग 5% है।

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