मणिपुर में कई ट्रकों को असम राइफल्स के वाहनों की तरह रंगा गया: पुलिस

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हिंसा की घटनाओं में अब तक 175 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों अन्य लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

असम राइफल्स ने मणिपुर पुलिस को पत्र लिखकर कहा है कि काकचिंग जिले में कई ट्रकों पर अर्धसैनिक बल के वाहनों के रंग की तरह पेंट किया गया है और उन पर उसका प्रतीक चिह्न भी लगाया गया है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। अर्धसैनिक बल ने चुराचांदपुर के पुलिस अधीक्षक को लिखे पत्र में दावा किया कि कुछ लोगों ने घाटी स्थित उग्रवादी समूहों (वीबीआईजी) की मदद से बाजार से कई ट्रक खरीदे और उन्हें असम राइफल्स के वाहनों के रंग से पेंट किया और बल का प्रतीक चिह्न लगाया, ताकि ये ट्रक अर्धसैनिक बल के वाहनों की तरह प्रतीत हों।

पत्र में कहा गया है, ‘‘असैन्य वाहनों में बदलाव कर उन्हें असम राइफल्स के वाहनों की तरह बनाना स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वीबीआईजी की असम राइफल्स की छवि को खराब करने या राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए इनका उपयोग करने की नापाक मंशा है।’’ बल ने चुराचांदपुर पुलिस से काकचिंग जिले के पुलिस अधीक्षक और उच्च अधिकारियों को भी इसकी सूचना देने को कहा ताकि ‘‘किसी भी प्रकार की प्रतिकूल घटना को रोकने के लिए एहतियातन कार्रवाई की जा सके।’’ मणिपुर में चार महीने से अधिक समय से जातीय हिंसा जारी है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी। 

हिंसा की घटनाओं में अब तक 175 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों अन्य लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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