Maratha reservation row: मराठा नेता मनोज जरांगे का अनशन जारी, शिंदे सरकार को ही 4 दिन की मोहलत
इस बीच, महाराष्ट्र सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने पाटिल से मुलाकात कर उनकी मांग पूरी करने के लिए कुछ समय मांगा। गिरीश महाजन, संदीपन भुमरे, अतुल सावे और शरद पवार गुट के राजेश टोपे प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे।
जालना जिले के अंतरवाली सराठे गांव में 29 अगस्त से भूख हड़ताल पर बैठे मराठा नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने कहा कि उन्होंने चार दिन की समय सीमा दी है और अगर सरकार ने उनकी मांग पूरी नहीं की तो वह अपनी भूख हड़ताल को और सख्त कर देंगे तथा दवा एवं तरल पदार्थ का सेवन नहीं करेंगे। पाटिल सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोके गए मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए अध्यादेश लाने की अपील की। इस बीच, महाराष्ट्र सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने पाटिल से मुलाकात कर उनकी मांग पूरी करने के लिए कुछ समय मांगा। गिरीश महाजन, संदीपन भुमरे, अतुल सावे और शरद पवार गुट के राजेश टोपे प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे।
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प्रतिनिधिमंडल ने कहा, "सरकार ने इस मुद्दे पर विस्तृत बैठक की है. हमें एक महीने के अंदर मराठा आरक्षण रिपोर्ट देनी है. देरी करने वाले अधिकारियों पर सीएम काफी नाराज हुए. अगर अधूरा काम करके आरक्षण दिया गया तो आरक्षण फिर से कोर्ट में गिर जाएगा। हमने कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ली है। इस प्रक्रिया में समय लगता है। इसमें एक महीना लगेगा लेकिन यह जल्दी भी हो सकता है। पहली बार सरकार इस मुद्दे पर इतनी सकारात्मक है।" इससे पहले सोमवार को, आरक्षण विरोध प्रदर्शन के प्रमुख पाटिल ने अपनी मांग पर एकनाथ शिंदे सरकार को अल्टीमेटम दिया था। पाटिल ने कहा, सरकार को मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के लिए अध्यादेश जारी करना चाहिए, अन्यथा हम कल से पेयजल आपूर्ति बंद कर देंगे।
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समिति एक महीने में रिपोर्ट देगी: शिंदे
मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा था कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कैसे कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाए, इसे लेकर समिति एक महीने के भीतर रिपोर्ट देगी। कुनबी जाति कृषि से जुड़ी है और महाराष्ट्र में इसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अंतर्गत रखा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के तरीके पर विचार करने के लिए समिति गठित की गई है और एक महीने के भीतर रिर्पोट देने को कहा गया है। राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और सौहार्दपूर्ण समधान तलाशने के लिए काम कर रही है।’’ मराठा समुदाय शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है।
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