सरकार न सिर्फ संसद भवन बल्कि पूरे सेंट्रल विस्टा को नया रूप देने की तैयारी में है। ऐडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किए गए राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट और उसके आसपास के करीब 4 किमी के दायरे में मौजूद इमारतों को लेकर नया प्लान तैयार किया जा रहा है। राजपथ, संसद भवन और सचिवालय सब कुछ सरकार रीडिवेलप करने जा रही है। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान में नए भारत के मूल्य और आकांक्षाओं की झलक दिखेगी।
संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और राजपथ देश की ऐतिहासिक धरोहर है लेकिन इसके दरवाजे, दीवार, हर मेहराब, हर मीनार के साथ गुलामी का इतिहास जुड़ा है। राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक जाने वाली सड़क को वैसे तो पूरा देश राजपथ के नाम से जानता है। इसी सड़क पर हर साल देश अपने गणतंत्र की शक्ति और साहस का प्रदर्शन परेड के आयोजन के माध्यम से करता है। आज़ादी से पहले इस मार्ग को किंग्स वे कहा जाता था, जिसका अर्थ है- राजा के गुज़रने का रास्ता। आज़ादी के बाद इसका नाम राजपथ कर दिया गया यानी इसके नाम का सिर्फ हिंदी अनुवाद किया गया। इसके पीछे की औपनिवेशिक सोच नहीं बदली गई। भारत से ब्रिटिश राज चला गया लेकिन राजपथ नहीं गया। लेकिन अब दिल्ली की इस पहचान को बदलने की तैयारी में है मोदी सरकार। शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने औद्योगिक संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में बताया कि अगले चार साल में यानी कि वर्ष 2024 तक देश के पास संसद का नया भवन होगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि वर्ष 1911 से 1927 के दौरान बनने वाले भवनों का पुनर्निर्माण किया जाए। इनमें संसद भवन के साथ नॉर्थ ब्लाक, साउथ ब्लाक, राष्ट्रपति भवन भी शामिल हैं। नए भारत की नई तस्वीर और राजपथ, संसद और सचिवालय में बदलाव का क्या है मोदी सरकार का नया प्लान आइए जानते हैं।
सरकार न सिर्फ संसद भवन बल्कि पूरे सेंट्रल विस्टा को नया रूप देने की तैयारी में है। ऐडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किए गए राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट और उसके आसपास के करीब 4 किमी के दायरे में मौजूद इमारतों को लेकर नया प्लान तैयार किया जा रहा है। राजपथ, संसद भवन और सचिवालय सब कुछ सरकार रीडिवेलप करने जा रही है। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान में नए भारत के मूल्य और आकांक्षाओं की झलक दिखेगी।
विजय चौक से लेकर इंडिया गेट तक के हरियाली क्षेत्र को सेंट्रल विस्टा कहते हैं। पहले यह क्षेत्र एनडीएमसी के अधीन था। करीब दस साल पहले इसे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को सौंप दिया गया। राजपथ के आसपास की 44 महत्वपूर्ण इमारतें इसी सेंट्रल विस्टा जोन में आती हैं, जिसमें संसद भवन के अलावा साउथ ब्लाक और नार्थ ब्वाक भी शामिल हैं। इन्हीं में भारत सरकार के मंत्रालय और दूसरे महत्वपूर्ण दफ्तर हैं। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री यहीं बैठते हैं।
इस काम के लिए आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं। इस योजना के तहत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने एक आरएफपी यानी रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल तैयार किया है। वर्ष 2020 में इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा। जुलाई 2022 तक संसद भवन के बाहरी ढांचे को छुए बिना इमारत को नए रंग-रूप में लाया जाएगा।
वर्तमान सचिवालय 47 इमारतों में फैला है और लगभग 70,000 कर्मचारी वहां काम करते हैं। सरकार ने पहले लुटियंस बंगले के ज़ोन में लगभग 10 एकड़ में फैले एक बड़े नए सचिवालय के निर्माण की योजना तैयार की थी लेकिन बाद में यह टल गया था। योजना को पुनर्जीवित और विस्तारित किया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि योजना यह देखते हुए उचित लगता है क्योंकि सरकार निजी संपत्तियों में सरकारी कार्यालयों के किराए के रूप में सालाना लगभग 1,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाने का काम मार्च 2024 तक पूरा किया जाएगा।
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