‘लोकल’ के लिए जितना ‘वोकल’ होंगे, बिहार उतना ही आत्मनिर्भर बनेगा: PM मोदी

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मोदी ने कहा कि कोविड-19 के दौरान, बिहार में 60 लाख घरों में पाइप से पानी का कनेक्शन दिया गया जो एक बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री ने बिहार को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थानीय उत्पादों जैसे आम, लीची और मधुबनी कला के लिए अधिक मुखर होने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्थानीय उत्पादों को बिहार में जितना बढ़ावा मिलेगा, ‘आत्मनिर्भर भारत‘ अभियान को उतनी ही ज्यादा ताकत मिलेगी और बिहार उतना ही आत्मनिर्भर बनेगा। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से 20,050 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) का शुभारंभ करते हुए यह भी कहा कि बिहार के गांवों को आत्मनिर्भर भारत का केंद्र बनाने के लिए केंद्र सरकार अपने प्रयासों में और तेजी लाएगी। उन्होंने इस दौरान किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिए एक समग्र नस्ल सुधार, बाजार और सूचना संबंधी ‘ई-गोपाला ऐप’ की भी शुरुआत की और मछली उत्पादन, डेयरी, पशुपालन तथा कृषि में अध्ययन एवं अनुसंधान से संबंधित कई अन्य पहलों का भी शुभारंभ किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज इन सभी योजनाओं के शुभारम्भ का उद्देश्य हमारे गांवों को सशक्त बनाना और 21वीं सदी में आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मत्स्य सम्पदा योजना भी इसी उद्देश्य से शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि 20,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ इस योजना का देश के 21 राज्यों में शुभारम्भ किया जा रहा है। यह धनराशि अगले 4-5 साल में खर्च की जाएगी। इसके अलावा, आज 1,700 करोड़ रुपये की लागत से अन्य परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। भोजपुरी में सभी के अभिवादन से अपने भाषण की शुरुआत करते हुए मोदी ने कहा कि अब भारत उस स्थिति की तरफ बढ़ रहा है जब गांव के पास ही ऐसे क्लस्टर बनेंगे, जहां फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग भी लगेंगे और पास ही उससे जुड़े रिसर्च सेंटर भी होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘यानि एक तरह से हम कह सकते हैं- जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान। इन तीनों की ताकत एकजुट होकर जब काम करेगी, तब देश के ग्रामीण जीवन में बहुत बड़े बदलाव होंगे। बिहार में तो इसके लिए बहुत संभावनाएं हैं।’’ उन्होंने कहा कि बिहार के फल, चाहे वह लीची हो, जर्दालू आम हो, आंवला हो, मखाना हो या फिर मधुबनी पेंटिंग्स हो, ऐसे अनेक उत्पाद बिहार के जिले-जिले में हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें इन लोकल प्रोडक्ट्स के लिए और ज्यादा वोकल होना है। हम लोकल के लिए जितना वोकल होंगे, उतना ही बिहार आत्मनिर्भर बनेगा। बिहार के गांवों को आत्मनिर्भर भारत का केंद्र बनाने के लिए हमारे प्रयास और बढ़ने वाले हैं।’’ उन्होने कहा कि इन प्रयासों में बिहार के ‘‘परिश्रमी’’ लोगों की बहुत बड़ी भूमिका है और इससे देश को और अधिक ताकत मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘बिहार के लोग देश में हों या विदेश में अपने परिश्रम से, अपनी प्रतिभा से, अपना लोहा मनवाते हैं। मुझे विश्वास है कि बिहार के लोग आत्मनिर्भर बिहार के सपनों को पूरा करने में भी निरंतर इसी तरह काम करते रहेंगे।’’ प्रधानमंत्री ने इस दौरान पीएमएमएसवाई योजना के लाभार्थियों से संवाद भी किया और उनके अनुभव भी सुने। राज्य में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है। प्रधानमंत्री ने कोविड -19 संकट के दौरान बिहार के किसानों और प्रवासियों की मदद करने के लिए केंद्र द्वारा की गई कई पहलों के बारे में बताया, जिसमें शहरों से घर लौट रहे प्रवासियों और प्रधानमंत्री ग्रामीण कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) और प्रवासियों को मुफ्त राशन प्रदान करने जैसी पहल शामिल है। मोदी ने कहा, ‘‘बिहार बाढ़ के साथ-साथ कोरोना वायरस संकट का भी बहादुरी से सामना कर रहा है। हम बिहार और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति से अवगत हैं। केंद्र और राज्य सरकार दोनों का प्रयास तेजी से राहत कार्य पूरा करना है।’’ 

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उन्होंने कहा कि कई पहलों के चलते, सरकार यह सुनिश्चित करने में सफल रही है कि गांवों पर कोरोना वायरस का प्रभाव कम से कम हो। उन्होंने कहा कि सभी पहलों के पीछे देश को आत्मनिर्भर बनाना ही एकमात्र मकसद है। मोदी ने कहा कि पीएम-किसान योजना के तहत देश भर में 10 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ हुआ है। वर्ष 2019 में शुरू की गई इस योजना के तहत, किसानों को साल भर के दौरान 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये प्रदान किए जाते हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्ना योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत मुफ्त राशन बिहार के जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि नवंबर में दिवाली और छठ त्योहारों तक पीएमजीकेएवाई को बढ़ा दिया गया है। पीएमजीकेएवाई के तहत, प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम अनाज और प्रति परिवार एक किलोग्राम दाल हर राशन कार्ड धारकों को मुफ्त प्रदान की जा रही है। मोदी ने कहा कि कई प्रवासी जो बिहार लौट रहे हैं, पशुपालन से संबंधित कार्यों में रुचि दिखा रहे हैं और सरकार उन्हें कई योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है। 

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उन्होंने कहा कि 20,050 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और बिहार के पटना, पूर्णिया, सीतामढ़ी, मधेपुर, किशनगंज और समस्तीपुर में शुरू की गई कई पहलों से न केवल नया बुनियादी ढांचा तैयार होगा बल्कि किसानों को बाजार भी उपलब्ध कराएंगी। इन पहलों को एक आभासी बैठक के माध्यम से शुरू किया गया। आभासी बैठक के दौरान मौजूद बिहार के मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए, मोदी ने कहा, ‘‘नीतीश कुमार के नेतृत्व में, राज्य में बहुत अच्छा काम किया जा रहा है ताकि पीने का पानी गांवों तक पहुंच सके।’’ उन्होंने कहा कि पांच साल पहले, सुरक्षित पीने का पानी केवल दो प्रतिशत घरों तक पहुंचा था और अब यह संख्या 70 प्रतिशत को पार कर गई है। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान, लगभग 1.5 करोड़ घरों को पाइप जलापूर्ति से जोड़ा गया। केंद्र की जल जीवन मिशन के साथ इस पहल को और मजबूत किया गया है। मोदी ने कहा कि कोविड-19 के दौरान, बिहार में 60 लाख घरों में पाइप से पानी का कनेक्शन दिया गया जो एक बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री ने बिहार को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थानीय उत्पादों जैसे आम, लीची और मधुबनी कला के लिए अधिक मुखर होने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। आभासी बैठक में, केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह और उनके कनिष्ठ मंत्री संजीव बाल्यान और प्रताप चंद्र सारंगी भी उपस्थित थे। इस मौके पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी मौजूद थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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