मोहन भागवत बोले: भारत को सिर्फ महाशक्ति नहीं, 'विश्व गुरु' बनने का समय आया

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय विज्ञान सम्मेलन में कहा कि भारत को केवल महाशक्ति नहीं, बल्कि विश्व गुरु भी बनना है। उन्होंने अंधविश्वासों से उबरने, क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञान को बढ़ावा देने और संतुलित विकास की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही आधुनिक विकास के नकारात्मक प्रभावों पर चिंता व्यक्त की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भगवत ने शुक्रवार को तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में भारतीय विज्ञान सम्मेलन (बीवीएस) के उद्घाटन सत्र में भाग लिया और भारत के लिए अंधविश्वासों से उबरने, क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञान को बढ़ावा देने और विकास में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
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कार्यक्रम में बोलते हुए भगवत ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग पुराने अंधविश्वासों से बाहर निकलें, और यह बात उन लोगों पर भी लागू होती है जो नए अंधविश्वासों में फंसे हुए हैं। हमारे प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला ऐसी है कि वे अनेक आपदाओं से बचे रहे। हम पिछले दस हजार वर्षों से पारंपरिक तरीकों से खेती करते आ रहे हैं और मिट्टी आज भी वैसी ही बनी हुई है। आरएसएस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि भारत को न केवल महाशक्ति बनना है, बल्कि विश्व गुरु भी बनना है।
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन अब, उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता के कारण, पंजाब से जयपुर तक 'कैंसर ट्रेन' चल रही है। भारत का विकास होना तय है क्योंकि यह समय की मांग है। लेकिन भारत को न केवल महाशक्ति बनना है, बल्कि विश्व गुरु भी बनना है। शिक्षा और वैज्ञानिक जागरूकता के महत्व पर बोलते हुए भागवत ने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ज्ञान सभी तक पहुंचे। अपनी मातृभाषा में सीखना बहुत प्रभावशाली होता है। विज्ञान का ज्ञान भारत की विभिन्न भाषाओं में आम आदमी तक पहुंचाया जाना चाहिए।”
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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की विकास संबंधी प्रशंसा करते हुए भागवत ने यह भी कहा, "मुख्यमंत्री (एन चंद्रबाबू नायडू) ने जो कहा है वह महत्वपूर्ण है, विकास ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे समाज में दो अलग-अलग वर्ग बन जाएं।"
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