Chaitra Navratri 2023 में जानें अनोखे मुस्लिम परिवार के बारे में, मां के चमक्तार के कारण बदली जिंदगी

durga ji
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रितिका कमठान । Mar 27 2023 4:42PM

भारत भर में चैत्र नवरात्रि का उत्सव हो रहा है। नवरात्र के दौरान देश भर के दुर्गा मंदिरों में श्रद्धालु माता के दर्शन करने उमड़ रहे है। आस्था का मंदिरों में ऐसा सैलाब उमड़ा हुआ है कि हर व्यक्ति माता की भक्ति में डूबा हुआ नजर आता है। इसी बीच एक ऐसा परिवार की जानकारी मिली है जिसने अनोखी मिलास पेश की है।

भारत में चैत्र नवरात्रि का पर्व बड़ी धार्मिक आस्था के मनाया जा रहा है। मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मगर राजस्थान के जोधपुर जिले में ऐसा मंदिर भी है जहां पुजारी हिंदू नहीं है। इस मंदिर में गंगा जमुनी तहजीब का उदाहरण देखने को मिलता है। इस मंदिर में हिंदू पुजारी की जगह माता की पूजा पाठ में मुस्लिम पुजारी लगे रहते है। 

गौरतलब है कि जोधपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र भोपालगढ़ के एक छोटे से बागोरिया गांव में बने इस मंदिर में होने वाली पूजा अर्चना पूरे विधि विधान से की जाती है। मगर इस मंदिर के पूजारी भारत की एकता की अनूठी मिसाल पेश करते दिखते है। एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के आधार पर देवी मां का ऐसा मंदिर सामने आया है जहां मुस्लिम पुजारी दिन रात मां की सेवा में जुटा रहता है। सिर्फ यही नहीं ये मुस्लिम पुजारी मां का अनन्य भक्त भी है। 

 कई पीढ़ियों से सेवा कर रहा परिवार
गांव की ऊंची पहाड़ियों पर विराजमान मां दुर्गा का प्राचीन मंदिर स्थित है जिसमें पीढ़ियों से मुस्लिम पुजारी की तरह सेवा करता है। इस मंदिर के पुजारी का नाम जलालुद्दीन खां है, जो इस मंदिर में विधि विधान से हर पूजा का आयोजन करते है। 

इस मंदिर की खासियत है कि ये मंदिर ऊंची पहाड़ियों पर बना हुआ है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 500 सीढ़ियां चढ़नी होती है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 11 विजय पोल पार करना जरूरी है, इसके बाद ही श्रद्धालुओं को मंदिर के दर्शन होते है। मंदिर में मां की बेहद सुंदर मूर्ति है, जिसे देखकर कोई भी श्रद्धालु भक्तिमय हो जाता है। इस मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु मां के दर्शन करने पहुंचते है। वहीं नवरात्रों के दौरान ये संख्या अधिक बढ़ जाती है।

मुस्लिम परिवार करता है पूजन
इस मंदिर में रोज मुस्लिम परिवार माता का पूजन करता है इसके साथ ही रोजे भी रखता है। परिवार के सदस्य जो पुजारी बनते हैं उन्हें इसकी इजाजत होती है कि वो देवी मां की आराधना भी कर सके और नमाज भी अदा कर सके। गांव के लोगों के अनुसार नवरात्रों के दौरान मंदिर में अलग ही रौनक और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस दौरान मुस्लिम पुजारी से ही लोग हवन और अनुष्ठान भी करवाते है। नवरात्र के नौ दिनों तक पुजारी भी मंदिर परिसर में रहते हुए मां की भक्ति में लीन रहते है। 

मां का चमत्कार देख बस गया परिवार
मुस्लिम परिवार ने इस मंदिर में बसने और इसकी सेवा करने का फैसला एक चमत्कार के कारण लिया है। देवी मां की आराधना करने वाले इस परिवार के मुताबिक सैंकड़ों वर्षों पहले सिंध प्रांत में जब अकाल पड़ा था तब हमारे पूर्वजों ने इस क्षेत्र में बसने का फैसला किया था। उस समय अकाल के कारण पूर्वज ऊंट के काफिले को लेकर मालवा जा रहे थे मगर ऊंट रास्ते में ही बीमार पड़ गए, जिस कारण सभी को इस इलाके में रुकना पड़ा। इस दौरान पूर्वजों को रात में माता ने सपने में दर्शन देकर कहा की पास की बावड़ी में रखी मूर्ति से भभूत निकाल कर ऊंटों को लगाओं। ऐसा करने से ऊंट ठीक हो गए, जो की एक चमत्कार था।

मां दुर्गा के इस चमत्कारिक रूप को देखकर मुस्लिम परिवार ने फैसला किया ही इस चमत्कारिक मां से दूर कहीं और जाकर नहीं बसेंगे। परिवार ने यहीं रहकर मां का दिल से पूजन करने का फैसला किया। इसके बाद से पीढ़ियों से ये परिवार मां की पूजा करने में व्यस्त है। मंदिर के पुजारी आज भी मुस्लिम समाज के है और मां की आराधना में लीन रहते है। 

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