मुस्लिम महिला ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, जानिए क्या होता है तलाक-ए-हसन
जानकारी के लिए बता दें कि तलाक ए हसन में पति पत्नी को एक बार तलाक बोलता है।एक महीना पूरा होने के बाद दूसरी बार तलाक बोलता है।एक महीने बाद तीसरी बार तलाक बोलता है।इन तीन महीनों के दौरान पति-पत्नी में सुलह नहीं होती है ओरपति तीन महीने केअंदर तीन बार तलाक बोल देता है तो तलाक मान लिया जाएगा।
मुस्लिम महिलाओं की परेशानी एक बार फिर से बढ़ने लगी है। तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं को फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है। मामला तलाक-ए-हसन से जुड़ा हुआ है, जिसको खत्म करने के लिए एक याचिका कोर्ट में दायर की गई है। हालांकि, कोर्ट ने याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया है और अगर हफ्ते इसपर सुनवाई करने का आदेश दिया है। इसकी याचिका मुस्लिम महिला बेनजरी की ओर से सीनियर वकील पिंकी आनंद ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है।
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पिंकी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इसी साल 19 अप्रैल को पीड़िता के पति ने तलाक-ए-हसन के तहत पहला नोटिस भेजा था। इसके बाद दोबारा दूसरा नोटिस 20 मई को भेजा गया। पिंकी ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल नहीं देती है तो इस्लामी उसूलों के मुताबिक 20 जून तक इस महिला का तलाक मान लिया जाएगा। पिंकी ने अदलात से इस मामले पर जल्द सुनवाई करने करने का फैसला किया है। पीठ की अगुआई कर रहे जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले को लेकर जल्द सुनवाई की जरूरत नहीं है।
तलाक-ए हसन
जानकारी के लिए बता दें कि तलाक-ए हसन में पति अपनी पत्नी को एक बार तलाक बोलता है। फिर एक महीना पूरा होने के बाद दूसरी बार तलाक बोलता है। फिर एक महीने बाद तीसरी बार तलाक बोलता है।अगर इन तीन महीनों के दौरान पति-पत्नी में सुलह नहीं होती है ओर पति तीन महीने के अंदर तीन बार तलाक बोल देता है तो तलाक मान लिया जाएगा। इस दौरान पत्नी अपने पति के साथ ही रहेगी। बता दें कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया जा रहा है, इसमें महिला को दो बार तलाक बोला जा चुका है। इसी को देखते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की गई है।
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