कितनी बदलेगी असम की सियासत ? छात्र संगठनों ने एक बार फिर बनाई नई पार्टी

Assam Jatiya Parishad

आसू और एजेडवाईसीपी ने अपनी राजनीतिक विचारधारा और असम की अस्मिता को जिंदा रखने के लिए नए संगठन 'असम जातीय परिषद' को अस्तित्व में लाया।

गुवाहाटी। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर असम में राजनीतिक पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी बीच असम के प्रभावशाली छात्र संगठनों ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) और असम जातीयताबादी युवा छात्र परिषद (एजेडवाईसीपी) ने मिलकर एक नई क्षेत्रीय पार्टी को अस्तित्व में लाया है। जिसे 'असम जातीय परिषद' (एजेपी) के नाम से जाना जाएगा। 

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क्यों हुआ नई पार्टी का जन्म ?

आसू और एजेडवाईसीपी ने अपनी राजनीतिक विचारधारा और असम की अस्मिता को जिंदा रखने के लिए नए संगठन 'असम जातीय परिषद' को अस्तित्व में लाया। आपको बता दें कि इन्हीं दोनों छात्र संगठनों ने कुछ अन्य संगठनों के साथ मिलकर साल 1985 में एक क्षेत्रीय पार्टी का गठन किया था और कुछ वक्त बाद हुए विधानसभा चुनावों में यह सत्ता में आई। जिसे हम असम गण परिषद (एजीपी) के नाम से जानते हैं। उस वक्त पार्टी के अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महन्त को प्रदेश की सत्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

मौजूदा समय में प्रदेश सरकार के साथ असम गण परिषद (एजीपी) भाजपा के साथ गठबंधन में हैं। ऐसे में असम जातीय परिषद (एजेपी) के गठन को चुनाव के मद्देनजर काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि असम समझौत के बाद निकली पार्टी असम गण परिषद (एजीपी) ने सत्ता संभाली थी और अब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहे छात्र संगठनों ने मिलकर असम जातीय परिषद (एजेपी) का गठन किया और माना जा रहा है कि उन्होंने आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। 

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असम जातीय परिषद (एजेपी) के गठन को असम की अस्मिता के साथ जोड़ा जा रहा है। क्योंकि सीएए विरोधी प्रदर्शनों में असम की अस्मिता को बनाए रखने की छटपटाहट साफ तौर पर देखी जा सकती है और वहां के लोगों को यह लगता है कि सीएए उनके लोगों के हितों के खिलाफ है। ऐसे में वह प्रदेश सरकार से जो की भाजपा के साथ गठबंधन में है, उससे काफी नाराज चल रहे हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार मौजूदा हालातों में प्रदेश में क्षेत्रीय दलों की गुंजाइश सामने आती रही हैं जिसके बाद असम जातीय परिषद (एजेपी) का गठन हुआ। कहा जा रहा है कि इस पार्टी का आधार जाति, धर्म से हटकर क्षेत्रीयता पर आधारित होगा। इस पार्टी का असल मकसद आने वाले दिनों में खुद को स्थापित करना और एक नए राजनीतिक विकल्प के तौर पर खुद को लोगों के समक्ष पेश करना है। 

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घरे घरे आमी का नारा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) और असम जातीयताबादी युवा छात्र परिषद (एजेडवाईसीपी) द्वारा गठित असम परामर्श समिति (एएसी) के संयोजकों ने असम जातीय परिषद के बारे में घोषणा की। एएसी के दो संयोजकों में से एक गौहाटी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. कृष्ण गोपाल भट्टाचार्य ने बताया था कि रविवार को समिति की बैठक के दौरान तीन सुझावों में से नाम का चयन किया गया। उन्होंने कहा था कि राज्य में हरेक परिवार से जुड़ाव स्थापित करने और महज चुनावी वोट तक सीमित नहीं रहने के मद्देनजर ‘घरे घरे आमी’ (हम हर घर में हैं) नए राजनीतिक संगठन का नारा होगा।

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