पुलवामा हमले में शामिल आतंकवादी का साथ देने के आरोप में NIA ने पिता-पुत्री को गिरफ्तार किया
आदिल का अंतिम वीडियो आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद ने जारी किया था। जांच के दौरान एनआईए को पता चला कि वीडियो दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के हदकीपोरा स्थित एक मकान में शूट हुआ है। यह मकान गिरफ्तार किए गए पिता-पुत्री तारिक अहमद शाह और इंशा जान का है।
श्रीनगर। पुलवामा आतंकवादी हमले की जांच में मंगलवार को उस वक्त बड़ी सफलता मिली जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक व्यक्ति और उसकी बेटी को गिरफ्तार किया, जो कथित रूप से इस हमले की साजिश के चश्मदीद हैं। पिछले वर्ष 14 फरवरी को हुए इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी आदिल अहमद डार ने विस्फोटक से लदी अपनी कार से सीआरपीएफ के काफिले को टक्कर मार दी थी। हमले में 40 जवान मारे गए थे। आदिल का अंतिम वीडियो आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद ने जारी किया था। जांच के दौरान एनआईए को पता चला कि वीडियो दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के हदकीपोरा स्थित एक मकान में शूट हुआ है। यह मकान गिरफ्तार किए गए पिता-पुत्री तारिक अहमद शाह और इंशा जान का है।
NIA arrests father-daughter duo in connection with February 14 Pulwama attack that killed 40 CRPF personnel: Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) March 3, 2020
पेशे से ट्रक चालक शाह ने बताया कि आदिल अहमद डार, पाकिस्तानी आतंकवादी और आईईडी बनाने वाले मोहम्मद उमर फारुक, अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी कामरान, पुलवामा के रहने वाले जैश के आतंकवादी समीर अहमद डार और पाकिस्तानी आतंकवादी इस्माइल उर्फ इब्राहिम उर्फ अदनान ने उनके मकान का इस्तेमाल किया था। फारुक और कामरान दोनों ही सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। एनआईए के प्रवक्ता का कहना है कि शाह ने आतंकवादियों को अपने घर में पनाह देकर उनकी मदद की। आतंकवादियों ने उसके घर में ही सीआरपीएफ के काफिले पर हमले की योजना बनायी और फिदायीन (आत्मघाती हमलावर) आदिल अहमद डार की वीडियो बनायी। इस वीडियो को जैश ने पुलवामा हमले के तुरंत बाद जारी किया था।
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उन्होंने कहा कि इंशा जान (23) ने भी आतंकवादियों का साथ दिया। साल 2018-19 में 15 से ज्यादा अवसरों पर घर में दो से चार दिन ठहरने के दौरान उन्हें भोजन और अन्य चीजें मुहैया करायीं। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘शुरुआती जांच से पता चला है कि इंशा जान आईईडी बनाने वाले मोहम्मद उमर फारुक के जिंदा रहते हुए टेलीफोन और अन्य सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से लगातार उसके संपर्क में थी।’’ दोनों गिरफ्तारियों ने इस मामले की जांच में नयी जान फूंक दी है क्योंकि हमले में शामिल या उसकी साजिश करने वाले पांच लोगों के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के कारण इसकी जांच के सभी सिरे बंद हो गए थे।
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