निर्भया के चारों दोषियों को फांसी, मां ने कहा- अब इंसाफ मिला
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि फांसी से कुछ मिनट पहले मुकेश ने कहा कि वह अपने अंग दान करना चाहता है जबकि विनय ने कहा कि वह जेल में बनाई गई अपनी पेंटिंग्स को जेल अधीक्षक और अपनी ‘हनुमान चालीसा’ अपने परिवार को देना चाहता है।
दक्षिण दिल्ली मेंचलती बस में निर्भया के साथ छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे बुरी तरह पीटा, घायल कर दिया और सर्दी की रात में चलती बस से नीचे सड़क पर फेंक दिया था। 16 दिसंबर 2012 को हुई इस घटना ने पूरे देश की आत्मा को झकझोर दिया था और निर्भया के लिए न्याय की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए थे। करीब एक पखवाड़े तक जिंदगी के लिए जूझने के बाद अंतत: सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया ने दम तोड़ दिया था। इस मामले में मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह सहित छह व्यक्ति आरोपी बनाए गए। इनमें से एक नाबालिग था। मामले के एक आरोपी राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। नाबालिग को सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और उसे सुधार गृह भेज दिया गया। तीन साल तक सुधाार गृह में रहने के बाद उसे 2015 में रिहा कर दिया गया। अंतिम क्षणों में दोषियों की जानकारियों के बारे में संक्षेप से बताते हुए एक जेल अधिकारी ने कहा कि विनय और मुकेश ने रात को खाना खाया लेकिन फांसी के फंदे तक ले जाने से पहले चारों में से किसी ने भी सुबह नाश्ता नहीं किया और नहाए भी नहीं। अधिकारी ने कहा, ‘‘विनय और मुकेश ने रात को समय पर भरपेट खाना खाया था। खाने में रोटी, दाल, चावल और सब्जी थी। अक्षय ने शाम को चाय भी पी थी लेकिन उसने रात को खाना नहीं खाया। चारों दोषियों ने शुक्रवार सुबह नाश्ता नहीं किया था।’’ उन्होंने बताया कि चारों दोषियों में शाम को घबराहट के कोई संकेत नहीं देखे गए।#WATCH Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang rape victim shows victory sign & hugs her sister Sunita Devi and lawyer Seema Kushwaha. pic.twitter.com/rskapVJR13
— ANI (@ANI) March 20, 2020
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि फांसी से कुछ मिनट पहले मुकेश ने कहा कि वह अपने अंग दान करना चाहता है जबकि विनय ने कहा कि वह जेल में बनाई गई अपनी पेंटिंग्स को जेल अधीक्षक और अपनी ‘हनुमान चालीसा’ अपने परिवार को देना चाहता है। जेल अधिकारियों ने बताया कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे जो जेल नियमावली के अनुसार फांसी के बाद की अनिवार्य प्रक्रिया है। दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर तिहाड़ जेल में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी गई। इस जेल में 16,000 से अधिक कैदी हैं। चारों दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया और बृहस्पतिवार की रात तक इस मामले की सुनवाई चली। सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के इस मामले के इन दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तीन बार सजा की तामील के लिए तारीखें तय हुईं लेकिन फांसी टलती गई। अंतत: आज सुबह चारों दोषियों को फांसी दे दी गई। आखिरी पैंतरा चलते हुए एक दोषी ने दिल्ली उच्च न्यायालय और फांसी से कुछ घंटे पहले उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। फांसी से कुछ घंटों पहले पवन कुमार गुप्ता ने राष्ट्रपति द्वारा दूसरी दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया। अभूतपूर्व रूप से देर रात ढाई बजे सुनवाई शुरू हुई और एक घंटे तक चली। उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने उसकी याचिका खारिज करते हुए फांसी का रास्ता साफ कर दिया। न्यायालय ने पवन गुप्ता और अक्षय सिंह को फांसी से पहले अपने परिवार के सदस्यों से मुलाकात करने की अनुमति देने पर भी कोई आदेश देने से इनकार कर दिया। तिहाड़ जेल के बाहर शुक्रवार तड़के ही सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए।
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