धर्मेंद्र प्रधान के नितिन गडकरी की बैठक, बढ़ती दुर्घटनाओं के बीच शिक्षा प्रणाली में सड़क सुरक्षा पर जोर

गडकरी ने कहा कि यह चिंताजनक आंकड़ा तत्काल कार्रवाई की मांग करता है। शिक्षा मंत्रालय के सक्रिय समर्थन से, हम सड़क सुरक्षा अभियान को पूरे भारत के स्कूलों तक विस्तारित करने के लिए तैयार हैं, जिसका उद्देश्य हमारी भावी पीढ़ियों को सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूक करना है - जो राष्ट्रीय महत्व की चिंता है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को स्कूली शिक्षा प्रणाली में सड़क सुरक्षा को शामिल करने के लिए बैठक की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में गडकरी ने कहा कि अकेले 2023 में स्कूलों और संस्थागत क्षेत्रों के पास 11,000 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिनमें 18 वर्ष से कम आयु के 10,000 से अधिक बच्चे शामिल हैं। गडकरी ने कहा कि यह चिंताजनक आंकड़ा तत्काल कार्रवाई की मांग करता है। शिक्षा मंत्रालय के सक्रिय समर्थन से, हम सड़क सुरक्षा अभियान को पूरे भारत के स्कूलों तक विस्तारित करने के लिए तैयार हैं, जिसका उद्देश्य हमारी भावी पीढ़ियों को सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूक करना है - जो राष्ट्रीय महत्व की चिंता है।
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गडकरी ने आगे कहा कि हमने सुरक्षित स्कूल क्षेत्र स्थापित करने, स्कूल के समय बच्चों के प्रवेश और निकास के लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू करने और स्कूल बसों और वैन में सुरक्षा मानकों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता पर भी चर्चा की। सभी हितधारकों के समन्वित प्रयासों से, मुझे विश्वास है कि हम भारत में हर बच्चे के लिए सुरक्षित सड़कों के अपने लक्ष्य के करीब पहुंचेंगे। वहीं, नितिन गडकरी ने अधिकारियों से राजमार्ग परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए शीघ्रता से निर्णय लेने को कहा।
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गडकरी ने वार्षिक राष्ट्रीय राजमार्ग उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए इस बात पर दु:ख जताया कि मंत्रालय तब तक फाइल आगे नहीं बढ़ाता जब तक कोई इसके लिए जोर से कुछ कहता नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक कोई चिल्लाता नहीं, मंत्रालय में फाइल आगे नहीं बढ़ती... मंत्रालय के कम-से- कम दो प्रतिशत कर्मचारी जो समय पर निर्णय नहीं लेते, उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जाना चाहिए।’’ अपने बेबाक विचारों के लिए जाने जाने वाले मंत्री ने यह भी बताया कि मंत्रालय के अधिकारी ठेकेदारों की बैंक गारंटी वापस करने में करीब एक साल का समय ले रहे हैं। गडकरी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के करीब दो लाख मामले उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।
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