2019 में चार मंत्रिपदों की मांग की थी, आर सी पी सिंह को मंत्री बनाने के फैसले से सहमत नहीं था: नीतीश

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प्रतिरूप फोटो
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने 2019 में केंद्र में चार मंत्रिपदों की मांग की थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उसे ठुकरा दिया था। कुमार ने कहा कि इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार में जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) के शामिल नहीं होने का फैसला किया था।

पटना, 13 अगस्त। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने 2019 में केंद्र में चार मंत्रिपदों की मांग की थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उसे ठुकरा दिया था। कुमार ने कहा कि इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार में जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) के शामिल नहीं होने का फैसला किया था। जदयू नेता ने कहा कि पिछले साल उनके पूर्व करीबी आर सी पी सिंह को मंत्री बनाए जाने के फैसले में उनकी सहमति नहीं थी। कुमार ने तीन साल बाद इस प्रकरण पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद चार सीट की मांग की थी।

मेरा तर्क था कि बिहार से उनके (भाजपा) पास 17 सांसद थे, जबकि हमारे (जदयू) 16 सांसद थे। वे राज्य से पांच मंत्रियों को शामिल कर रहे थे। कोई और फॉर्मूला पूरे राज्य में खराब संकेत भेजता। आप सभी को इसके बाद की घटनाएं याद होंगी।’’ कुमार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के दावों को भी खारिज कर दिया कि पिछले साल जदयू के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आर सी पी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने से पहले उनकी सहमति प्राप्त की गई थी और उनकी सहमति लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद उनसे टेलीफोन पर बात की थी। कुमार लोकसभा चुनाव के बाद नयी दिल्ली गए थे।

जदयू के शीर्ष नेता ने कहा कि कुछ साल पहले ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौटी उनकी पार्टी केंद्र में नयी सरकार में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार थी। बहरहाल, कुमार ने बाद में घोषणा की थी कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी और वह शपथ ग्रहण के बाद वापस लौट आए थे। 71 वर्षीय कुमार ने उस समय इस मामले पर कोई बात नहीं की थी, लेकिन अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह भाजपा द्वारा सभी सहयोगियों को मंत्रिमंडल में केवल एक सीट के साथ सांकेतिक प्रतिनिधित्व की पेशकश किए जाने पर नाराज थे। कुमार ने आर सी पी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने से पहले उनकी सहमति लेने संबंधी दावों को खारिज कर दिया।

कुमार की नाराजगी के कारण बाद में सिंह को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कुमार ने कहा, ‘‘मैंने इस आदमी के लिए उसी समय से बहुत कुछ किया, जब वह एक आईएएस अधिकारी थे। मैंने उन्हें आगे बढ़ाने के लिए पार्टी का शीर्ष पद भी छोड़ दिया। और उन्होंने क्या किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘और आज वह मेरे खिलाफ इतना बोल रहे हैं। वे अब शिकायत कर रहे हैं कि जिस सरकारी बंगले में वे रह रहे थे, उससे उन्हें वंचित कर दिया गया था। क्या उन्हें याद नहीं है कि यह एक पार्टी एमएलसी को आवंटित किया गया था, जिन्होंने मेरे निर्देश पर उन्हें समायोजित किया था। एक सांसद के रूप में वह कभी ऐसा घर पाने के हकदार नहीं थे।’’

कुमार ने अपने पूर्व सहयोगी के बारे में कहा, ‘‘उन्होंने मुझे बताया कि वह एक मंत्री बन रहे हैं। मैंने उनसे अपने स्तर पर सभी से विचार-विमर्श कर लेने को कहा और उन्हें छह महीने के भीतर राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पद छोड़ देना पड़ा।’’ उल्लेखनीय है कि जदयू द्वारा एक और राज्यसभा कार्यकाल से वंचित कर दिए जाने पर सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और बाद में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर उन्हें एक नोटिस दिया गया था, जिसके कारण उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। सुशील कुमार मोदी के बारे में जदयू नेता ने कहा, ‘‘मुझे खुशी होगी अगर उन्हें मेरे खिलाफ बोलने के लिए अपनी पार्टी से कुछ इनाम मिलता है। मैं परेशान था जब उनकी पार्टी ने उन्हें मंत्री नहीं बनाया था।

मुझे बाद में उम्मीद थी कि वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पा सकेंगे लेकिन वह भी नहीं हुआ।’’ ज्ञात हो कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होकर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाईटेड) ने राष्ट्रीय जनता दल से हाथ मिला लिया है। नयी सरकार में 10 अगस्त को नीतीश ने मुख्यमंत्री पद की और राजद नेता तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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