Nadda का Mamata Banerjee सरकार पर जोरदार हमला, बोले- Bengal में लोकतंत्र कोमा में पहुँचा

JP Nadda
ANI

नड्डा ने लोगों को जागरूक करने और बंगाल के गौरव को स्थापित करने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, "हम बंगाल में बदले की बात नहीं करते, बदलाव की बात करते हैं। वहां बदलाव चाहिए और आप सबकी ताकत से हम बदलाव कर सकते हैं।"

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र नाम की कोई चीज बची नहीं है। उन्होंने कहा कि बंगाल के बारे में यह कहना सही होगा कि वहां लोकतंत्र 'कोमा' (अचेतन अवस्था) में चला गया है। हम आपको बता दें कि नड्डा ने यह बात 'Democracy in Coma': साइलेंस्ड वायसेस आफ वूमन विक्टिम्स इन बंगाल' नामक पुस्तक के विमोचन के बाद अपने संबोधन में कही। 

इस अवसर पर उन्होंने लोगों को जागरूक करने और बंगाल के गौरव को स्थापित करने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, "हम बंगाल में बदले की बात नहीं करते, बदलाव की बात करते हैं। वहां बदलाव चाहिए और आप सबकी ताकत से हम बदलाव कर सकते हैं।" पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रमुख विपक्षी दल बनने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यह पसंद नहीं आया कि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बंगाल में इतनी तेजी से कैसे आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा, "यह ममता बनर्जी पचा नहीं पाई और उन्होंने हमले करना शुरू कर दिया। जब उन्होंने मुझे नहीं बख्शा तो आम आदमी के साथ क्या व्यवहार करते होंगे, आप समझ सकते हैं।"

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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पर खुद पर हुए एक कथित हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "जब चुनाव प्रचार शुरू हुआ तो पहले दिन पहला हमला मुझ पर हुआ, जब मैं डायमंड हार्बर जा रहा था। यह एक ठंडे खून वाली गतिविधि थी।" नड्डा ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 74 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने दावा किया कि महिलाओं पर एसिड हमलों की संख्या में पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बंगाल में मई 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद वहां अपराध की कुल 12,000 घटनाएं हुई और 80000 से अधिक लोग विस्थापित हुए। साथ ही उन्होंने दावा किया कि विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में 57 लोगों की हत्या हुई और इस दौरान यौन उत्पीड़न की कुल 123 घटनाएं हुई। उन्होंने कहा कि एक तरफ भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी की कार्यशैली 'विपक्ष को चुप कराने' की है। 

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