एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर चुनाव आयोग ने कही ये बड़ी बात
चुनाव आयोग ने इस बात की कोई ठोस जानकारी होने से इंकार किया है कि अगर लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव कराये जाते हैं तो कितनी संख्या में ईवीएम और वीवीपेट मशीनों की जरूरत होगी।
नयी दिल्ली। चुनाव आयोग ने इस बात की कोई ठोस जानकारी होने से इंकार किया है कि अगर लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव कराये जाते हैं तो कितनी संख्या में ईवीएम और वीवीपेट मशीनों की जरूरत होगी। आयोग ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के तहत पूना के विहार दूर्वे द्वारा इस बारे में मांगी गयी जानकारी के जवाब में यह बात कही है। दूर्वे ने पूछा था कि ‘एक देश एक चुनाव’ की स्थिति में आयोग को कितनी संख्या में ईवीएम और वीवीपेट मशीनों की जरूरत होगी।
इसके जवाब में आयोग के अवर सचिव मधुसूदन गुप्ता ने आरटीआई कानून की धारा दो (एफ) का हवाला देते हुये कहा कि आपके द्वारा मांगी गयी जानकारी किसी भी रूप में आयोग के पास उपलब्ध नहीं है। आरटीआई कानून की धारा दो (एफ) के तहत उपलब्ध करायी जाने वाली जानकारी उपलब्ध दस्तावेजों, ईमेल, सुझाव, परामर्श, प्रेस विज्ञप्ति, रिपोर्ट, करार या डाटा आदि के रूप में किसी भी आधार पर आरटीआई आवेदक को उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
उल्लेखनीय है कि देश में एक साथ चुनाव कराये जाने के मुद्दे पर विचार विमर्श के दौरान आयोग के अधिकारियों ने इसके लिये लगभग 12 लाख अतिरिक्त ईवीएम और इतनी ही वीवीपेट मशीनों की खरीद के लिये 4500 करोड़ रुपये की जरूरत बतायी थी। यह अनुमानित कीमत मशीनों की मौजूदा कीमत के आधार पर बतायी गयी थी। इससे पहले 13 अगस्त को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराने का समर्थन करते हुये विधि आयोग को पत्र लिखा था। इसके बाद विधि आयोग ने भी 2019 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव दो चरण में एक साथ कराने की सिफारिश की थी। हालांकि इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों में आमराय नहीं है।
राजग के घटक दल शिरोमणि अकाली दल के अलावा अन्नाद्रमुक, समाजवादी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने ‘एक देश एक चुनाव’ का समर्थन किया है। जबकि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, द्रमुक, तेदेपा, वाम दल, और जद एस इसका विरोध कर रहे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने भी पहले कहा था कि एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर चुनाव आयोग जरूरी तथ्य और सुझाव 2015 में ही दे चुका है। आयोग ने विधि आयोग को बताया था कि अगर 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव होते हैं तो 24 लाख ईवीएम की जरूरत होगी। यह सिर्फ लोकसभा चुनाव होने की स्थिति में जरूरत पड़ने वाली ईवीएम की संख्या से दो गुनी होगी।
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