संजीव भट्ट की जमानत याचिका से जुड़े HC के आदेश में हस्तक्षेप नहीं: SC
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पहले ही भट्ट को यह स्वतंत्रता दे रखी है कि अगर मुकदमा छह महीने की अवधि के अंदर खत्म नहीं होता है तो वह राहत के लिए फिर उसके पास आ सकते हैं।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दो दशक पुराने मादक द्रव्य जब्त किये जाने के एक मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की जमानत याचिका खारिज किये जाने के गुजरात उच्च न्यायालय के सात मार्च के आदेश पर गुरुवार को हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पहले ही भट्ट को यह स्वतंत्रता दे रखी है कि अगर मुकदमा छह महीने की अवधि के अंदर खत्म नहीं होता है तो वह राहत के लिए फिर उसके पास आ सकते हैं।
भट्ट पिछले साल सितंबर से जेल में हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, “इसी के अनुरूप याचिका खारिज की जाती है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमने मामले के गुण-दोष को लेकर कोई राय व्यक्त नहीं की है।”भट्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।
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