अमर्त्य सेन ने समर्थन के लिए ममता बनर्जी का शुक्रिया अदा किया, कही यह अहम बात
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि आपके समर्थन वाला पत्र पाकर मुझे बहुत खुशी हुई। मुझे अच्छा लगा कि व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद आप उन लोगों को भरोसा दिला रही हैं जिनपर हमले हो रहे हैं। आपकी बुलंद आवाज, क्या चल रहा है इसको लेकर आपकी समझ, मेरे लिए शक्ति का बड़ा स्रोत है।
कोलकाता। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने विश्वभारती में जमीन संबंधी विवाद के बाद समर्थन देने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सोमवार को शुक्रिया अदा किया और कहा कि उनकी बुलंद आवाज से उन्हें ताकत मिलती है। पिछले दिनों विश्वभारती विश्वविद्यालय ने अमर्त्य सेन और उनके परिवार परपरिसर में जमीन पर ‘‘अवैध’’ तरीके से कब्जा करने के आरोप लगाए थे। प्रख्यात अर्थशास्त्री ने अपने पत्र में व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालने और उन लोगों को भरोसा देने के लिए मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा किया, जो हमले का सामना कर रहे हैं।
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सेन ने कहा, ‘‘आपके समर्थन वाला पत्र पाकर मुझे बहुत खुशी हुई। मुझे अच्छा लगा कि व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद आप उन लोगों को भरोसा दिला रही हैं जिनपर हमले हो रहे हैं। आपकी बुलंद आवाज, क्या चल रहा है इसको लेकर आपकी समझ, मेरे लिए शक्ति का बड़ा स्रोत है।’’ सेन ने लिखा है, ‘‘आपके पत्र के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं। इस पत्र के लिए आपको शुक्रिया और स्नेह के साथ-साथ आपकी सराहना भी करता हूं।’’ पिछले बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वभारती के शताब्दी समारोह को संबोधित किया था। उस समय मीडिया में खबरें आयी थी कि विश्वविद्यालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि सेन समेत कई लोगों के नाम पर गलत तरीके से भूमि के मालिकाना अधिकार हैं।
नोबेल विजेता ने कहा था कि विश्वविद्यालय की जिस जमीन पर उनका मकान है उसका पट्टा लंबे समय के लिए लिया गया है। मुख्यमंत्री ने मीडिया में आयी खबरों पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा था कि भाजपा विरोधी विचारधारा के कारण मौजूदा विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उनको (सेन को) निशाना बनाया जा रहा है।
बनर्जी ने राज्य की ओर से सेन से माफी मांगी थी और उन्हें एक पत्र लिखकर असहिष्णुता के खिलाफ उनकी जंग में उन्हें अपनी ‘‘बहन और दोस्त’’ समझने को कहा था। अर्थशास्त्री ने आरोप लगाया कि विश्वभारती के कुलपति केंद्र के इशारे पर काम कर रहे हैं। अमर्त्य सेन के नाना क्षितिमोहन सेन शांतिनिकेतन के छात्र थे और बाद में यही शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय बना। क्षितिमोहन को 1952 में प्रतिष्ठित ‘देशीकोट्टम’ पुरस्कार मिला था। वह इस पुरस्कार को पाने वाले प्रथम व्यक्तिथे।
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