NRC और CAB के कारण किसी को भी शरणार्थी नहीं बनने देंगे: ममता बनर्जी
बनर्जी की यह टिप्पणी अमित शाह के उस कथन के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने लोकसभा में विधेयक पेश करने के बाद कहा था कि यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं बल्कि घुसपैठियों के खिलाफ है।
खड़गपुर। लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तुत किए गए नागरिकता संशोधन विधेयक को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को ‘विभाजनकारी’ बताया और ‘किसी भी कीमत’ पर विधेयक का विरोध करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी नागरिक को शरणार्थी नहीं बनने दिया जाएगा। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सत्ता में रहते हुए बंगाल में कभी एनआरसी और नागरिकता विधेयक की इजाजत नहीं दिए जाने का आश्वासन देते हुए बनर्जी ने इन्हें एक ही सिक्के के दो पहलू बताया।
First give Roti- Kapra- Makan: @MamataOfficial on CAB and NRC
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) December 9, 2019
বাংলায় কোনও এনআরসি হবে না, কাউকে তাড়ানো যাবে না: মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়
Read More >> https://t.co/NOir4lSmj5 pic.twitter.com/lWj4Hh90Mz
बनर्जी की यह टिप्पणी अमित शाह के उस कथन के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने लोकसभा में विधेयक पेश करने के बाद कहा था कि यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं बल्कि घुसपैठियों के खिलाफ है। बनर्जी ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर कहा, “यह विभाजनकारी विधेयक है और इसका किसी भी कीमत पर विरोध होना चाहिए।” उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में एनआरसी लागू होने के डर से अब तक 30 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। बनर्जी ने कहा भारत जैसे पंथनिरपेक्ष देश में नागरिकता कभी भी धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती। तृणमूल अध्यक्ष ने खड़गपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, “एनआरसी और नागरिकता विधेयक से डरने की जरूरत नहीं है। हम इसे कभी भी बंगाल में लागू नहीं करेंगे। वे इस देश के किसी वैध नागरिक को बाहर नहीं फेंक सकते, न ही उसे शरणार्थी बना सकते हैं।” उन्होंने कहा, “इस देश का एक भी नागरिक शरणार्थी नहीं बनेगा। कुछ लोग अपने राजनीतिक बड़बोलेपन के जरिये अशांति उत्पन्न करना चाहते हैं लेकिन मैं साफ कर देना चाहती हूं कि कोई एनआरसी और नागरिकता विधेयक लागू नहीं होगा। आप जाति या धर्म के आधार पर एनआरसी या कैब लागू नहीं कर सकते।”
इसे भी पढ़ें: Citizenship Bill: PM मोदी बोले- भारत की सदियों पुरानी प्रकृति के अनुरूप है
ममता ने कहा, “जो अभी देश में आ रहे हैं उनके लिए सरकार ग्रीन नागरिकता कार्ड धारक का प्रावधान कर सकती है। लेकिन जो पिछले पांच-छह दशकों से देश में रह रहे हैं उन्हें सरकार देश छोड़ने के लिए कैसे कह सकती है? जो भी इस देश में रहता है वह वैध नागरिक है।” बनर्जी ने नागरकिता विधेयक और एनआरसी के विरुद्ध अपनी लड़ाई को पिछले सप्ताह ‘दूसरा स्वतंत्रता संग्राम’ बताया था। बनर्जी ने कहा, असम में उन्होंने एनआरसी के नाम पर 19 लाख लोगों को सूची से बाहर कर दिया जिसमें से 14 लाख हिंदू और बंगाली हैं। केंद्र सरकार को पहले रोटी कपड़ा मकान की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए। लोगों को मत बांटो। देश को मत बांटो। केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता के प्रमाण के रूप में कई सारे दस्तावेज मांगे जाने पर आश्चर्य जताते हुए बनर्जी ने कहा कि भाजपा सरकार केवल जनता को सताना चाहती है। मुख्यमंत्री ने कहा, हमने एक नई व्यवस्था लागू की जिसमें एक व्यक्ति के पास अपनी पहचान साबित करने के लिए कम से कम एक डिजिटल राशन कार्ड हो सकता है। इससे व्यक्ति राशन भले न ले सके लेकिन उसके पास एक पहचान पत्र होगा।
अन्य न्यूज़