Purvottar Lok: Manipur में हिंसा रोकने में Amit Shah सफल, पूर्वोत्तर को मिली पहली Vande Bharat Train, Gang Rape से Tripura में आक्रोश

Amit Shah
ANI

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम पूर्वोत्तर लोक में आप सभी का स्वागत है। हिंसा से प्रभावित राज्य मणिपुर में इस सप्ताह गृह मंत्री अमित शाह का दौरा बेहद सफल रहा क्योंकि उन्होंने जहां हिंसा के मामलों की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन का ऐलान किया, वहीं उनकी अपील पर बड़ी संख्या में लोगों ने लूटे गये हथियारों को प्रशासन को सौंप दिया। इसके अलावा पूर्वोत्तर को अपनी पहली वंदे भारत ट्रेन मिली तो मिजोरम में निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनावों की तैयारियों का जायजा लिया। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों से भी विभिन्न खबरें आईं। बहरहाल आइये सबसे पहले डालते हैं मणिपुर से आये समाचारों पर एक नजर।

मणिपुर

पूर्वोत्तर के हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर की चार दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद राजधानी दिल्ली लौटे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। समझा जाता है कि अमित शाह ने इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू को मणिपुर की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया और शांति बहाल करने के प्रयासों की जानकारी दी। अमित शाह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार भेंट की।’’ इसके साथ ही उन्होंने इस मुलाकात की तस्वीर भी साझा की।

हम आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा। लगातार तीन दिनों तक राज्य के विभिन्न हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करने और राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों से चर्चा के बाद संवाददाता सम्मेलन में शाह ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति के गठन और हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए मुआवजे के साथ ही राहत और पुनर्वास पैकेज की भी घोषणा की। शाह ने हिंसा के लिए मणिपुर उच्च न्यायालय की ओर से ‘जल्दबाजी’ में लिए गए फैसले को दोषी ठहराया और कहा, ‘‘मणिपुर में जारी संकट का एकमात्र समाधान बातचीत है।’’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हिंसा एक अस्थायी चरण था, गलतफहमियां दूर हो जाएंगी... स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।’’

केंद्रीय गृह मंत्री ने लोगों से अफ़वाहों पर ध्यान ना देने और राज्य में शांति बनाए रखने की अपील की और साथ ही उग्रवादी समूहों को चेतावनी दी कि वे अगर ‘संचालन का निलंबन (एसओओ) संधि’ का किसी भी प्रकार से उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी प्रकार का विचलन होने पर कठोरता से संज्ञान लिया जाएगा और इसे संधि भंग करना माना जाएगा। समझौते की शर्तों का पालन कीजिये।’’ उन्होंने कहा कि राज्य में हथियारों की जब्ती के लिए पुलिस जांच अभियान चलाएगी। शाह ने कहा, ‘‘हिंसा होने के कारण क्या हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है...इन सभी की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग गठित किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि इसकी जांच भारत सरकार की ओर से कराई जाएगी।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति का गठन भी करेगी, जिसमें कुकी और मेइती समुदायों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा सभी राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि होंगे। शाह ने कहा कि मणिपुर में सुरक्षा की दृष्टि से काम कर रही विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस के सेवानिवृत्त महानिदेशक कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में एक ‘इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड’ की व्यवस्था की जाएगी। गृह मंत्री ने यह भी घोषणा की कि मणिपुर में हिंसा के पीछे पांच आपराधिक साजिशों और एक सामान्य साजिश की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी मणिपुर वासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि किसी भी पक्षपात और भेदभाव के बगैर हिंसा के मूल तक जाकर जांच और दोषियों को दंडित करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आगे इस तरह की हिंसा न हो।’’ इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की कि हिंसा में जान गंवाने वालों के परिजनों को भारत सरकार की ओर से पांच-पांच लाख रुपये और राज्य सरकार की ओर से पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि ये राशि पीड़ित परिवारों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी। शाह ने कहा कि मणिपुर में सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलें, इसके लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी और अलग-अलग मंत्रालयों के पांच निदेशक स्तर के अधिकारी मणिपुर में उपस्थित रहेंगे।

केंद्रीय गृह मंत्री ने संवाददाताओं से यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि भारत-म्यांमार सीमा मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए दोनों देशों के बीच सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा करने की जरूरत होगी। ऐसी आशंकाएं हैं कि इस खुली सीमा का इस्तेमाल मादक पदार्थों की तस्करी और उग्रवादियों की आवाजाही के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों के बायोमेट्रिक्स एकत्र किए जा रहे हैं। शाह ने कहा कि उन्होंने राहत शिविरों का दौरा किया, कुकी और मेइती दोनों नागरिक समूहों से मुलाकात की और शांति प्रक्रिया पर चर्चा की। उन्होंने दावा किया कि करीब छह साल पहले मणिपुर में सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी ने यह सुनिश्चित किया कि पूर्वोत्तर का यह राज्य बंद, कर्फ्यू आदि से मुक्त रहे। कुकी समुदाय की एक अलग प्रशासनिक इकाई की मांग के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है। मैं इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने और सुर्खियां बटोरने के लिए कोई बयान नहीं देना चाहता।’’ शाह ने कहा कि मणिपुर में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने निर्धारित कोटे के अतिरिक्त 30,000 मीट्रिक टन चावल भेजा है। साथ ही गैस सिलिंडर, पेट्रोल और सब्जियों की आपूर्ति की व्यवस्था भी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि खोंगसांग रेलवे स्टेशन पर एक अस्थायी प्लेटफॉर्म बनाकर मणिपुर को देश के बाकी हिस्सों से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जाएगी।

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शाह ने बताया कि आवागमन मे सुगमता के लिए चूड़ाचांदपुर, मोरेह और कांगपोकपी से अस्थायी हेलीकॉप्टर सुविधा शुरू की जा रही है, जिससे सिर्फ 2000 रुपए प्रति व्यक्ति की दर से लोगों को एयरपोर्ट और सुदूर स्थानों तक यातायात सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि इस सेवा का बाकी खर्चा भारत सरकार और मणिपुर सरकार उठाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा बनाई गई आठ चिकित्सा दल में से तीन दल मणिपुर पहुंच चुके हैं और पांच दल जल्द पहुंचने वाले हैं। ये दल मोरेह, चूड़ाचांदपुर और कांगपोकपी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। शाह ने कहा कि मणिपुर के विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं और शिक्षा व्यवस्था को निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी मणिपुर शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ ऑनलाइन पढ़ाई, परीक्षा और डिस्टेंस शिक्षा की व्यवस्था पर एक ठोस योजना तैयार करेंगे, जिसे दो दिनों में बना लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय में वर्चुअल माध्यम से पेशी के लिये चूड़ाचांदपुर, मोरेह और कांगपोकपी में जरुरी व्यवस्था की जा रही है।

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में बुधवार रात संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ बुधवार रात को कुंबी पुलिस थाने के अंतर्गत तांगजेंग में हुई। उन्होंने बताया कि घायलों को इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘इंफाल पूर्व जिले के चानुंग में भी भारी गोलीबारी की खबर है। हमें अभी तक वहां से किसी के हताहत होने की खबर नहीं मिली है।’’ सेना और पुलिस छिपे हुए हथियारों के जखीरे के लिए राज्यव्यापी तलाशी अभियान चला रही हैं। अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन द्वारा निगरानी और सुरक्षा बलों की तैनाती भी जारी है। शाह ने बुधवार को कहा था कि सरकार मणिपुर में शांति बहाल करने और आंतरिक रूप से विस्थापित सभी लोगों की जल्द से जल्द उनके घरों में वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य के राहत शिविरों में एक दिन पहले मेइती और कुकी दोनों समुदायों के पीड़ितों से मुलाकात करते हुए उन्होंने उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया और कहा कि सरकार का ध्यान उनकी सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करना है। तीन मई को मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद गृह मंत्री पहली बार पूर्वोत्तर राज्य का दौरा कर रहे हैं।

मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद जातीय हिंसा भड़क उठी थी। अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मेइती समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया गया था। मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है। कुछ सप्ताह की खामोशी के बाद पिछले रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई। अधिकारियों ने बताया कि संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।

उधर, कांग्रेस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाने और कुछ अन्य घोषणाएं किए जाने के बाद कहा कि इन कदमों का स्वागत है, लेकिन ये कुछ सप्ताह पहले क्यों नहीं उठाए गए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के इस प्रदेश को एक महीने तक जलने क्यों दिया। रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री ने मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आज कई कदमों की घोषणा की। इनका स्वागत है।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘यह काम गृह मंत्री ने कुछ सप्ताह पहले क्यों नहीं किया? मोदी सरकार ने एक महीने तक मणिपुर को जलने क्यों दिया? क्या केवल मणिपुर का वोट कीमती है, वहां के लोगों का जीवन कीमती नहीं है?’’ रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘आरएसएस के एजेंडे, राज्य की भाजपा सरकार के द्वेषपूर्ण कदम और केंद्र सरकार की निष्क्रियता के कारण मणिपुर में आज विभाजन की स्थिति है। जो कुछ भी मणिपुर में हुआ है उसका असर पूरे पूर्वोत्तर पर है।’’ उन्होंने यह दावा भी किया कि मणिपुर हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘चुप्पी’ हैरान करने वाली नहीं है।

इसके अलावा, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि मणिपुर में चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं, और उम्मीद है कि कुछ समय में चीजें सही हो जाएंगी। जनरल चौहान ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में मौजूदा स्थिति का उग्रवाद से संबंध नहीं है। मणिपुर की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, “मणिपुर में 2020 से पहले सेना, असम राइफल्स को तैनात थी। चूंकि उत्तरी सीमाओं से संबंधित चुनौतियां कहीं अधिक थीं, इसलिए हमने सेना को हटा लिया। चूंकि उग्रवाद से उपजी स्थिति सामान्य हो गई थी, इसलिए हमने ऐसा किया।” उन्होंने कहा कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति का उग्रवाद से संबंध नहीं है। जनरल चौहान ने कहा कि यह दो जातीय समूहों के बीच हिंसा और कानून-व्यवस्था से संबंधित मामला है। सीडीएस ने कहा, “हम समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मैं यह बताना चाहूंगा कि सशस्त्र बलों और असम राइफल्स ने वहां उत्कृष्ट काम किया है और बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई है। हालांकि मणिपुर में चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं, इसमें कुछ समय लगेगा। उम्मीद है कि समाधान निकलेगा और वहां सरकार सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) आदि की मदद से काम कर पाएगी।”

असम

असम से मिली खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि फ्लाईबिग एयरलाइंस ने असम में गुवाहाटी और सिलचर के बीच दैनिक उड़ानें शुरू की हैं। असम के पर्यटन मंत्री जयंत मल्ल बरुआ ने पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाई। गुवाहाटी से सिलचर के लिए कुल 63 यात्रियों ने उड़ान भरी। यह असम में फ्लाईबिग एयरलाइंस की दूसरी सेवा है। इसकी पहली सेवा एक मई को गुवाहाटी-डिब्रूगढ़-गुवाहाटी सेक्टर में शुरू हुई थी। गुवाहाटी-सिलचर-गुवाहाटी रूट पर फ्लाईबिग की उड़ानों को असम पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (एटीडीसीएल) की मदद मिलेगी।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने ट्वीट किया, ‘‘ सबसे कम किराए के साथ गुवाहाटी से डिब्रूगढ़ और सिलचर के बीच संचालित इन दोनों सेवाओं से ऊपरी असम और बराक घाटी के लोगों को काफी मदद मिलेगी। हम अपने लोगों की हर संभव तरीके से सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ’’

इसके अलावा, असम के गोलपाड़ा जिले में लकड़ी माफिया के कथित हमले में एक वन कर्मी की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। पुलिस अधिकारी ने कहा कि जिले के कृष्णाई रेंज वन कार्यालय के तहत कृष्णा शालपारा दारापारा में वन कर्मियों पर धारदार हथियारों से हमला किया गया। प्रस्तावित आरक्षित वन क्षेत्र में पेड़ों के काटे जाने की सूचना मिलने पर वनकर्मी मौके पर पहुंचे थे और उन्होंने साल के पेड़ों से भरा ट्रैक्टर बरामद किया था। अधिकारी ने कहा कि जब वे ट्रैक्टर को वन विभाग के कार्यालय में लाने लगे तो उन पर हमला किया गया। घायलों को गोलपाड़ा के एक अस्पताल ले जाया गया, जबकि उनमें से दो को गुवाहाटी भेज दिया गया है।

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने दो मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया और स्वदेशी एवं जनजातीय विश्वास तथा संस्कृति विभाग का प्रभार खुद संभाल लिया। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, जोगेन मोहन को पहले के राजस्व और आपदा प्रबंधन तथा पर्वतीय क्षेत्र विकास विभाग के साथ खान एवं खनिज मंत्रालय का प्रभार भी दिया गया है। पहले खान एवं खनिज, स्वदेशी एवं जनजातीय विश्वास और संस्कृति विभाग का प्रभार संभालने वाली नंदिता गोरलोसा को अब बिजली, सहकारिता, खेल एवं युवा कल्याण विभाग सौंपा गया है।

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि नौ साल के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पूर्वोत्तर पर ध्यान केंद्रित करने और क्षेत्र को प्राथमिकता देने का चुनावी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। शर्मा ने वरिष्ठ पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि इस क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास पर ध्यान दिया गया है और मोदी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ है। शर्मा ने केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूर्वोत्तर के साथ प्रधानमंत्री का संबंध भावनात्मक है और उन्होंने इस क्षेत्र को 'अष्ट लक्ष्मी' कहा है। इस क्षेत्र में सिक्किम सहित आठ राज्य हैं।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सप्ताह गुवाहाटी से पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी जाने वाली पूर्वोत्तर की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को डिजिटल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री ने स्क्रीन पर प्रतीकात्मक रूप से हरी झंडी दिखा कर गुवाहाटी स्टेशन से ट्रेन रवाना की, जहां रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस पूर्वोत्तर में पर्यटन, शिक्षा, व्यापार एवं रोजगार को बढ़ावा देगी। हम आपको बता दें कि वंदे भारत एक्सप्रेस यात्रा को पांच घंटे 30 मिनट में तय करेगी, जबकि इस मार्ग पर वर्तमान सबसे तेज ट्रेन उसी यात्रा को तय करने में छह घंटे 30 मिनट का समय लेती है। प्रधानमंत्री ने 182 किलोमीटर लंबे मार्ग के नए विद्युतीकृत खंडों को भी राष्ट्र को समर्पित किया और असम के लुमडिंग में नवनिर्मित डेमू/मेमू शेड का भी उद्घाटन किया।

मेघालय

मेघालय से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मेघालय उच्च न्यायालय ने यह पता लगाए बिना राज्य में भूमि सीमा शुल्क स्टेशन के माध्यम से कोयले के निर्यात की अनुमति देने पर राज्य सरकार की खिंचाई की है कि यह कोयला कहां से लाया गया था। मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति डब्ल्यू डेंगदोह की खंडपीठ ने सीएम संगमा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘यह चिंताजनक है कि केंद्रीय एजेंसियों के अनुरोध के अभिप्राय को समझने के बावजूद, राज्य ने ढुलमुल रवैया अपनाया और राज्य के भीतर भूमि सीमा शुल्क स्टेशन के माध्यम से निर्यात के लिए हजारों टन कोयले की निकासी की जाहिर तौर पर यह पता लगाए बिना ही अनुमति दे दी कि इसे लाया कहां से गया है।’’

इसके अलावा, मेघालय सरकार ने आरक्षण के मौजूदा फॉर्मूले में बदलाव की मांग को लेकर विपक्षी दल वॉयस ऑफ द पीपुल्स पार्टी (वीपीपी) द्वारा आयोजित अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की पृष्ठभूमि में राज्य में आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए एक समिति का पुनर्गठन किया है। उपमुख्यमंत्री स्नियाभलंग धर ने कहा कि आरक्षण नीति पर मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा द्वारा बैठक के आयोजन के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुद्दा संवेदनशील है और इस पर विस्तार से चर्चा करने की जरूरत है। सड़कों पर इसके बारे में चर्चा नहीं की जा सकती है, लेकिन मिल बैठकर इस पर चर्चा की जा सकती है...। सरकार लोगों और राज्य के सर्वश्रेष्ठ हित को ध्यान में रखकर फैसला करेगी।’’ हम आपको बता दें कि मेघालय में 60 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी के चार विधायक हैं और वह खासी-जयंतिया समुदाय और गारो समुदायों के लिए 40:40 के अनुपात में आरक्षण की समीक्षा की मांग कर रहे हैं। पार्टी का दावा है कि खासी समुदाय के लोगों की आबादी बढ़ी है और इसलिए नीति की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है।

मिजोरम

मिजोरम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य सरकार ने हिंसा प्रभावित मणिपुर से भागकर राज्य में शरण लेने वाले लोगों को तत्काल राहत मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार से पांच करोड़ रुपये की सहायता मांगी है। राज्य के गृह विभाग के आयुक्त और सचिव एच. लालेंगमाविया ने कहा कि जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर के लोगों का मिजोरम आना जारी है। मिजोरम गृह विभाग के अनुसार, मणिपुर से 2,925 लोग भागकर कोलासिब जिले में आए हैं। इसके अलावा 2,738 लोग आइजोल और 2,257 लोग सैतुअल आए हैं। शेष 363 लोगों ने चम्फाई, ख्वाजोल, हनथियाल, सेरछिप, ममित और लुंगलेई जिलों में शरण ली है। अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार, गैर सरकारी संगठन, गिरजाघर और गांव के अधिकारी विस्थापित लोगों को भोजन व अन्य बुनियादी चीजें मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब तक सरकार को भोजन और अन्य राहत सामग्री के मामले में कोई समस्या नहीं हुई है क्योंकि पड़ोसी राज्य से भारी संख्या में लोगों की आमद को देखते हुए उचित व्यवस्था की गई थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि आने वाले समय में राज्य सरकार के सामने ऐसी समस्याएं आ सकती हैं क्योंकि मिजोरम म्यांमा और बांग्लादेश से आए 35,000 से अधिक लोगों को राहत प्रदान कर रहा है।

इसके अलावा, निर्वाचन आयोग ने मिजोरम में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए आइजोल में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। एक बयान में बताया गया है कि उपचुनाव आयुक्त धर्मेंद्र शर्मा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुख और नोडल अधिकारी मौजूद थे। बयान के मुताबिक, बैठक में शर्मा ने राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की निर्वाचन आयोग की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव में धन-बल के इस्तेमाल पर नजर रखने की जिम्मेदारी राज्य में कार्य कर रही केंद्रीय एजेंसियों पर होगी।

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आई खबर की बात करें तो दक्षिण त्रिपुरा में एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म किए जाने और इसके बाद चलती कार से उसे फेंके जाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने यह जानकारी देते हुए बताया कि घटना तेपानिया इको पार्क में हुई। इस मामले में 21 वर्षीय युवक को पूर्व गोकुलपुर स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक, वह मुख्य आरोपी है और उसके तथा पीड़ित के बीच फेसबुक के जरिए दोस्ती हुई थी। दो आरोपी फरार हैं। इस बीच, त्रिपुरा महिला आयोग की अध्यक्ष बरनाली गोस्वामी ने घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि सोशल मीडिया मंच के जरिए नाबालिग लड़कियों को फंसाया जा रहा है। हमें स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को सोशल मीडिया के जरिए होने वाली दोस्ती के बुरे प्रभावों के बारे में जागरुक करना होगा।''

इसके अलावा, टिपरा मोथा अपनी केंद्रीय समिति के गठन और अन्य राजनीतिक गतिविधियों के लिए जून के अंतिम सप्ताह में अपना पहला पूर्ण अधिवेशन आयोजित करेगा। प्रद्युत किशोर देबबर्मा द्वारा बनाई गई टिपरा मोथा ने 2021 में त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के चुनाव जीते थे। टिपरा मोथा ने इस साल फरवरी में 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 13 सीटें जीतकर पूर्वोत्तर राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा भी हासिल किया है। त्रिपुरा में विपक्ष के नेता अनिमेष देबबर्मा ने कहा, ''पार्टी ने सर्वोच्च नीति-निर्माण निकाय, केंद्रीय समिति के गठन के लिए अपना पहला दो दिवसीय पूर्ण अधिवेशन आयोजित करने का निर्णय लिया है। संभावना है कि यह अधिवेशन 23 जून से शुरू होगा।’’ 

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनाइक ने लोगों से ऊर्जा और जल संरक्षण के लिए पर्यावरण के अनुकूल आदतें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का अनुरोध किया है। उन्होंने राजभवन में लोगों को लामबंद करने के उद्देश्य से एक कार्यक्रम ‘मिशन लाइफ: लाइफस्टाइल फॉर एनवायरमेंट’ में भाग लिया। उन्होंने अभियान के रूप में एक साथ आने तथा ‘पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली’ को आगे ले जाने पर भी जोर दिया। परनाइक ने लोगों से एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक का प्रयोग कम करने तथा सतत खाद्य प्रणाली अपनाने की अपील की।

नगालैंड

नगालैंड से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि 'नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन' (एनएसएफ) ने 'नगा क्लब' भवन में स्थित उसके कार्यालय को गिराने में शामिल दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना दिया। एनएसएफ के नेता, स्वयंसेवक और पूर्व नेता तख्तियां और बैनरों के साथ अपने गिराये गये कार्यालय के बाहर जमा हुए। धरना दे रहे कुछ नेताओं ने अपने तख्तियों पर लिखा, "नगा क्लब की इमारत पर हमला करना नगा विरोधी कार्य है, रात में तोड़फोड़ करना आतंक का काम है।"

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