पहलगाम हमला कश्मीर में पर्यटन को नष्ट करने के लिए आर्थिक युद्ध था, भारत में धार्मिक हिंसा को भड़काना चाहता था... विदेश मंत्री जयशंकर

Jaishankar
ANI
रेनू तिवारी । Jul 1 2025 9:41AM

जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमला "आर्थिक युद्ध का एक कृत्य था।" उन्होंने कहा, "इसका उद्देश्य कश्मीर में पर्यटन को नष्ट करना था, जो अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार था। इसका उद्देश्य धार्मिक हिंसा को भड़काना भी था, क्योंकि लोगों को मारे जाने से पहले उनकी आस्था की पहचान करने के लिए कहा जाता था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला कश्मीर में पर्यटन को नष्ट करने के लिए किया गया एक आर्थिक युद्ध था। उन्होंने कहा कि भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान से होने वाले आतंकवाद का जवाब देने से परमाणु ब्लैकमेल को नहीं रोकेगा। जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान से होने वाले कई आतंकवादी हमले हुए हैं और 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में यह भावना है कि 'बस, बहुत हो गया'। उनकी टिप्पणी मैनहट्टन में 9/11 स्मारक के पास वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में न्यूज़वीक के मुख्यालय में आयोजित न्यूज़वीक के सीईओ देव प्रसाद के साथ बातचीत के दौरान आई।

पहलगाम हमला आर्थिक युद्ध का एक कृत्य था

जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमला "आर्थिक युद्ध का एक कृत्य था।" उन्होंने कहा, "इसका उद्देश्य कश्मीर में पर्यटन को नष्ट करना था, जो अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार था। इसका उद्देश्य धार्मिक हिंसा को भड़काना भी था, क्योंकि लोगों को मारे जाने से पहले उनकी आस्था की पहचान करने के लिए कहा जाता था। इसलिए हमने फैसला किया कि हम आतंकवादियों को दंड से मुक्त होकर काम करने नहीं दे सकते। यह विचार कि वे सीमा के उस तरफ हैं, और इसलिए, प्रतिशोध को रोकता है, मुझे लगता है, यह एक ऐसा प्रस्ताव है जिसे चुनौती देने की आवश्यकता है और हमने यही किया।"

कट्टरतावाद की भावना से प्रेरित  

एस जयशंकर ने सोमवार को पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब आतंकवाद को किसी देश द्वारा पड़ोसी के खिलाफ समर्थन दिया जाता है और यह कट्टरतावाद की भावना से प्रेरित होता है तो आतंकवाद की सार्वजनिक रूप से निंदा करना जरूरी है। अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘आतंकवाद की मानवीय कीमत’ नाम से लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए यह टिप्पणी की। यह प्रदर्शनी संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में दो स्थानों पर 30 जून से 3 जुलाई तथा 7 जुलाई से 11 जुलाई तक प्रदर्शित की जाएगी।

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प्रदर्शनी का उद्घटन मंगलवार को पाकिस्तान द्वारा जुलाई माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता ग्रहण करने से एक दिन पहले किया गया है। जयशंकर ने कहा, ‘‘जब आतंकवाद को पड़ोसी देश के खिलाफ समर्थन दिया जाता है, जब इसे चरमपंथ की कट्टरता से बढ़ावा मिलता है, जब यह तमाम तरह की अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देता है, तो इसे सार्वजनिक रूप से उजागर करना जरूरी है और ऐसा करने का एक तरीका यह है कि वैश्विक समाज में इसके द्वारा मचाई गई तबाही को प्रदर्शित किया जाए।’’

आतंकवाद की सार्वजनिक तौर पर तब निंदा करना जरूरी है जब कोई देश इसका समर्थन करे

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित प्रदर्शनी के उद्घाटन में विभिन्न देशों के इस विश्व निकाय में नियुक्त राजदूत, वरिष्ठ संयुक्त राष्ट्र कार्मिक, अधिकारी और दूत शामिल हुए। इस प्रदर्शनी को पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के अभियान के लिए वैश्विक समर्थन जुटाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

डिजिटल प्रदर्शनी में 1993 के मुंबई बम धमाके, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले और पहलगाम आतंकवादी हमले सहित दुनिया भर में हुए भीषण आतंकवादी हमलों को प्रदर्शित किया गया है। इन हमलों को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठनों के नामों का भी उल्लेख किया गया, जिनमें पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकवादी समूह और वहां पर शरण लिये आतंकी भी शामिल हैं।

जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि हम यहां आतंकवाद की चुकाई गई मानवीय कीमत को उजागर करने वाली प्रदर्शनी के लिए ‘‘गंभीरता की भावना के साथ एकत्र हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रदर्शनी उन लोगों को आवाज देने का एक विनम्र लेकिन दृढ़ प्रयास है जो अब बोल नहीं सकते, यह उन लोगों के लिए श्रद्धांजलि है जो हमसे दूर हो गए और जिनकी जिंदगी आतंकवाद के कहर से तबाह हो गई।’’

 नष्ट हो गई जिंदगी की कहानी बयां करते है प्रदर्शनी के चित्र

विदेशमंत्री ने कहा कि प्रदर्शनी में शामिल चित्र और दृश्य, प्रत्येक क्षण, प्रत्येक स्मृति, प्रत्येक कलाकृति और प्रत्येक शब्द एक नष्ट हो गई जिंदगी की कहानी बयां करता है। उन्होंने रेखांकित किया कि आतंकवाद के पीड़ितों के परिवारों का दर्द ‘‘आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने की हमारी साझा जिम्मेदारी की तत्काल आवश्यकता की एक स्पष्ट याद दिलाता है।’’ जयशंकर ने कहा कि यहां संयुक्त राष्ट्र में, ‘‘हमें न केवल याद रखना चाहिए’’ बल्कि उन मूल्यों और मानवाधिकारों के लिए कार्य करने, उनकी रक्षा करने और उन्हें बनाए रखने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध’’ होना चाहिए जिन्हें आतंकवाद नष्ट करना चाहता है।

उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। यह संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार, नियम और मानदंड तथा राष्ट्रों को एक-दूसरे के साथ किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए के सभी मान्यताओं के विपरीत है।’’ जयशंकर ने पहलगाम आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि पांच सप्ताह पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकवाद के एक विशेष रूप से भीषण कृत्य की कड़ी निंदा की थी और मांग की थी कि इसके दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाए और न्याय के कठघरे में लाया जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने तब से ऐसा होते देखा है। उस प्रतिक्रिया से आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के संदेश का व्यापक महत्व रेखांकित होता है। दुनिया को कुछ बुनियादी अवधारणाओं पर एक साथ आना चाहिए जैसे आतंकवादियों को कोई छूट नहीं दी जानी चाहिए और परमाणु धमकी के आगे नहीं झुकना चाहिए।’’ विदेशमंत्री ने कहा, ‘‘किसी भी देश द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को उजागर किया जाना चाहिए। अब तक हम अच्छी तरह से जान चुके हैं कि कहीं का भी आतंकवाद हर जगह की शांति के लिए खतरा है। इस समझ को हमारी सामूहिक सोच और प्रतिक्रिया का मार्गदर्शन करना चाहिए।

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